ट्रक/बस की मांग सुधरने से चेकर्ड प्लाई की खपत बढ़ेगी

person access_time   5 Min Read 27 February 2019

ऑटोमोबाइल सेक्टर में वृद्धि से चेकर्ड प्लाई की मांग में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं बढ़ जाती है। चेकर्ड प्लाई का उपयोग रेलवे, कोच निर्माण में फर्श बनाने के अलावा ट्रक, बस के फर्श को बनाने में किया जाता है। टाटा मोटर्स, अशोक लेलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा आदि जैसी देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों ने हाल ही में ट्रक और बसों की मांग में बेहतरी की उम्मीद जतायी है, जिससे ट्रक और बस फ्लोरिंग में प्लाइवुड की बेहतर मांग का संकेत मिलता है। भारत में एक दर्जन प्लाइवुड निर्माता कंपनियां सार्टिफाइड चेकर्ड प्लाइवुड रेंज का उत्पादन करती हैं और इस प्लाइवुड में फायर रेटेड गुण होते हैं।

कमर्शियल वाहन उद्योग में पिछले कई महीनों के बाद यह उछाल दिखाई दे रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों में निरंतर निवेश के साथ बढती मांग ने इस उद्योग की मांग को और बढ़ावा देने में मदद की है। उम्मीद जतायी जा रही है कि वित्त वर्ष 2019 के अंत तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के स्तर पर नकदी संकट में सुधार और ईंधन की कीमतों में गिरावट से ऑटोमोबाइल उद्योग को दोहरे अंकों में वृद्धि के करीब लाने में सहायक साबित होगा।

इसके अलावा, कई ट्रक निर्माताओं की बिक्री वर्ष-पूर्व की अवधि में अधिक थी, जबकि कुछ राज्य सरकारों ने वाहनों के ओवरलोडिंग पर सख्ती से प्रतिबंध को लागू करना षुरू कर दिया है। प्रमुख ट्रक निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड के प्रबंध निदेशक ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि इन सबके बावजूद भी मैं इस (वाहन) उद्योग की उछाल में तेजी देखता हूं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि पिछले साल की अपेक्षा में चैथी तिमाही में भारी कमी के बावजूद भी साल के अंत तक इसमें 15 से 20 फीसदी की तेजी आयेगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि उन्हें अगले वित्तीय वर्ष में अशोक लेलैंड की बिक्री में 30 प्रतिशत तक का इजाफा होने की उम्मीद है जबकि नये वित्त वर्श अप्रैल में नए उत्सर्जन नियमों के लागू किया जायेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में अपने एक अहम आदेश में कहा कि अप्रैल 2020 से केवल उन्हीं वाहनों की बिक्री को अनुमति दी जायेगी जो यूरो 6 ईंधन मानकों को पूरा करेंगे। यूरो 6 ईंधन मानकों के लागू होने से पहले दुनिया में आमतौर पर वाहनों की खरीद में 25 से 50 फीसदी तक की छलांग देखी जाती है।

हालांकि फ्लीट बायर्स नए उत्सर्जन मानदंडों को लेकर काफी आशंकित हैं, जबकि ये नये मानदंड 18 महीनों से कम समय में लागू होने वाले हैं। इससे कीमतों में काफी बढ़ोतरी होगी। इस कारण बाजार में तेज प्रतिस्पर्धा बने रहने और बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कंपनियां अपने उत्पादों पर आकर्षक छूट देने के साथ आगे बढ़ा रही हैं।

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