विभिन्न प्लाईवुड और लैमिनेट मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि लेवर फोर्स का मौजूदा पलायन अप्रत्याशित है। उनका कहना है कि तालाबंदी की अवधि समाप्त होने के बाद लेवर शायद ही 2-3 महीनों के लिए कारखानों में टिकेगी। विभिन्न मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर के ठेकेदारों ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि श्रम संकट के कारण जुलाई तक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट ज्यादा से ज्यादा 25-30 फीसदी की क्षमता पर ही चलेंगे। उन्होंने बताया कि महामारी के डर से बंगाल, असम, ओडिशा, बिहार और यूपी के प्रवासी मजदूर काम पर नहीं लौटेंगे और मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को स्थानीय मजदूरों के साथ अपने काम का प्रबंधन करना होगा। यमुनानगर, पंजाब, केरल, और गांधीधाम प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, यह कहा जा सकता है कि 60-70 फीसदी प्रवासी मजदूर वहां के कारखानों में रह रहे हैं क्योंकि वे तालाबंदी की घोषणा के बाद अपने घर जाने के लिए ट्रेन और बस नहीं पकड़ पाये थे। लगभग 25 फीसदी प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व में स्थित मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में रह रहे हैं, और बाकी अपने घर जाने में कामयाब रहे क्योंकि वे उसी राज्य या पड़ोसी राज्यों के थे।
ठेकेदारों का कहना है कि कटाई और शादी के मौसम के लिए प्रवासी मजदूर हर साल अप्रैल-मई-जून महीनों के दौरान अपने घर आते जाते ही हैं। हालाँकि, इस समय की स्थिति अलग है क्योंकि वहाँ जीवन से हाथ धोनें का डर है, उनके परिवार के सदस्य उन्हें जल्द से जल्द घर आने के लिए मजबूर कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मुफ्त राशन, गैस सिलेंडर बुकिंग, उनके बैंक खाते में प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण आदि की पेशकश कर रही हैं, ताकि उन्हें कठिन परिदृश्य में मदद मिल सके। ठेकेदारों का कहना है कि वर्तमान परिदृश्य में, मजदूर अपने मूल स्थानों पर भूख से नहीं मरेंगे, वे आसानी से और 3-4 महीने के लिए अपनी आजीविका का प्रबंधन कर सकते हैं। इसलिए स्थिति सामान्य होने के बाद भी उन्हें काम पर वापस लाना मुश्किल होगा। उम्मीद है कि लगभग 50 फीसदी प्रवासी कामगार अक्टूबर से पहले काम पर लौट आएंगे तब भी और उनकी मजदूरी वर्तमान स्तर से बढ़ानी होगी।
मजदूरोंके बड़े पैमाने पर पलायन को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि भविष्य में प्लाईवुड और लेमिनेट उद्योग में ऑपरेशनल कॉस्ट में वृद्धि होगी इसलिए उद्योग को अपनी मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों में और अधिक ऑटोमेशन अपनाना चाहिए।