भारत में फेनाॅल की बढ़ती मांग को, इसके आयात पर लगे एंटी डंपिंग डयूटी के कदम का सीधा फायदा मिल रहा है। इसके चलते कुछ कंपनियां भारत में फेनाॅल मैन्युफैक्चरिंग लाइन स्थापित करने के लिए आकर्षित हुई हैं। सूत्रों के अनुसार, भारत में तीन नई लाइनें स्थापित होने जा रही हैं, जो प्रति माह 3 लाख टन उत्पादन जोड़ देगी। सूत्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक लाइन पूर्वी भारत में आ रही है, वहीं गुजरात में दो लाइनें प्रस्तावित हैं। इसके अलावा, पेट्रोलियम सेक्टर के लीडिंग कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज भी भारत में फेनाॅल मैन्युफैक्चरिंग लाइन स्थापित करने के लिए काम कर रही है, और वे फिजिबिलिटी रिपोर्ट के इन्तजार में हैं। सूत्रों का कहना है, अगर रिलायंस फेनाॅल उत्पादन में आता है, तो भारत की उत्पादन क्षमता वर्तमान क्षमता से 3 गुना अधिक हो जाएगी।
ज्ञातब्य है कि भारत में हर साल लगभग 3.5 लाख टन फेनाॅल की खपत होती है, जिसमें लेमिनेट और वुड पैनल सेगमेंट का योगदान लगभग 60 प्रतिशत है। तथ्य बताते हैं कि लेमिनेट, वुड पैनल और अन्य सेगमेंट के बढ़ते उत्पादन के कारण भारत में फेनाॅल की खपत बढ़ रही है। मेक इन इंडिया ’और‘ आत्मानिर्भर भारत’ जैसे अभियान के साथ, इन उत्पादों का घरेलू उत्पादन मेक इन इंडिया फर्नीचर की बढ़ती मांग के साथ और बढ़ेगा। फेनाॅल उपयोग करने वाले अन्य सेक्टर में भी ग्रोथ की सूचना है, और रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में भारत में फेनाॅल की खपत 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी।
वर्तमान में फेनाॅल का घरेलू उत्पादन भारतीय बाजार की मांग का सिर्फ 60 प्रतिशत पूरा कर पाता है, इसलिए फेनाॅल मैनुफैक्चरिंग में निवेश करने की अच्छी संभावना है, जैसा कि रिपोर्ट से पता चलता है। सूत्र बताते हैं कि भारत को 2024 तक हर साल लगभग 5 लाख टन फेनाॅल की आवश्यकता होगी, जो निवेशकों को भारत में फेनाॅल मैनुफैक्चरिंग लाइन स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रहा है। फेनाॅल आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी भी घरेलू उत्पादकोंको अपने प्रॉफिट मार्जिन में सुधार करने में मदद कर रही है।