लाइनर ग्रेड लेमिनेट के लिए दिक्क्तें बढ़ी, कच्चे माल के चलते सप्लाई की कमी

person access_time3 29 December 2020

क्राफ्ट पेपर की ऐतिहासिक मूल्य वृद्धि के चलते लाइनर लेमिनेट्स या बैलेंसिंग शीट लेमिनेट का उत्पादन अचानक बंद हो गया है। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी ने लेमिनेट की कीमतों को इतना प्रभावित किया है कि कंपनियों को ‘लाइनर ग्रेड उत्पादन‘ 75 फीसदी तक कम करना पड़ा। लाइनर लेमिनेट सेगमेंट अत्यधिक कीमतों को लेकर संवेदनशील उत्पाद है, जिसका भारत के कुल डेकोरेटिव लेमिनेट खपत का लगभग 47 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है।

एचपीएल मैन्युफैक्चरिंग में क्राफ्ट पेपर और रेजिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रिसाइकिल्ड क्राफ्ट पेपर की कीमतें एक महीने में 40 फीसदी तक बढ़ गई है, जिसके चलते लेमिनेट उत्पादन का इनपुट कॉस्ट 20 से 22 रुपये प्रति शीट बढ़ गया है। इसके अलावा मेलामाइन और फेनॉल के चलते लगभग 10 रुपये इनपुट कॉस्ट बढ़ी है। डेकोर पेपर का प्रभाव भी एचपीएल निर्माताओं पर पड़ रहा है। एम्वुड लेमिनेट्स के श्री प्रभजोत सिंह कहते हैं कि अलग अलग फैक्ट्री में इनपुट कॉस्ट में 30 से 40 रुपये प्रति शीट की उछाल से लाइनर लैमिनेट्स की मैन्युफैक्चरिंग में मार्जिन नहीं रही, ऊपर से घाटा लग रहा इसलिए हमने लाइनर का प्रोडक्शन आधा कर दिया है। एनसीआर रीजन के एक अन्य निर्माता ने कहा कि 20 रुपये प्रति शीट की वृद्धि के बावजूद लाइनर बनाने में नुकसान हो रहा है। लाइनर मैन्यूफैक्चरर्स बढ़ी हुई इनपुट कॉस्ट के चलते पुरानी कीमतों पर लाइनर की सप्लाई अचानक रोक दी, जिससे बाजार में भारी कमी और अफरा तफरी का माहौल बन गया है।

मोरबी स्थित लेमिनेट उत्पादकों का मानना है कि तैयार उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी मार्जिन नहीं दे पा रहा है, इसलिए उत्पादन कम हो रहा है, दूसरा पेमेंट भी सुचारू नहीं है जैसा कि कुछ महीने पहले था। यमुनानगर में प्लाई रिपोर्टर संवाददाता को बताया कि पेमेंट एक बार फिर 60 दिनों तक  पहुंच गया है।

गौरतलब है कि लाइनर ग्रेड लेमिनेट, भारत में एचपीएल मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता वृद्धि का एक महत्वपूर्ण संचालक रहा है। कुल एचपीएल मैन्युफैक्चरिंग का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा 0.6 से 0.7 मिमी थिकनेस का ही है, जिसे भारत में बैलेंसिंग या एक बैकर (पैनल के अंदर जहां डिजाइनर शीट चिपकाई जाती है) के रूप में उपयोग की जाती है।

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