लेमिनेट की कीमतें बढ़ोतरी की ओर

person access_time   3 Min Read 04 January 2021

नवंबर तक मजबूत मांग के बाद, उद्योग के लिए विभिन्न कच्चे माल की आपूर्ति में असंतुलन के कारण डेकोरेटिव लेमिनेट सेक्टर को चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा रहा है। दीवाली के बाद, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने एक बार फिर उत्पादकों को पुनर्मूल्यांकन और आकलन करने के लिए मजबूर किया है। पिछले एक महीने में सभी कच्चे माल की कीमतों में वृद्धिहुई है, जिसके कारण मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर फिर से मिलने और कीमतों में वृद्धि की संभावनाओं पर विचार कर रहे है ताकि प्लांट सर्वाइव कर सके। ऑर्गनाइज्ड सेगमेंट के निर्माताओं ने कहा कि कोविड 19 के चलते लॉकडाउन ने पहले ही वित्तीय वर्ष 20-21 के लिए लाभप्रदता को काफी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन कच्चे माल की वर्तमान स्थिति के चलते पहले की कीमतों पर माल बेचना आत्मघाती साबित होगा। समाचार लिखने तक मेलामाइन में 100 फीसदी, उसके बाद फेनाॅल में 20 फीसदी, बेस पेपर में 6 से 7 फीसदी और रिसाइकिल्ड क्राफ्ट पेपर में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

मध्यम सेगमेंट के लेमिनेट उत्पादकों पर क्राफ्ट और मेलामाइन की कीमतों में उछाल का भारी दबाव है, जिसके चलते फिर से प्रति शीट 30 रुपये की वृद्धि की घोषणा करने के लिए मजबूर हो रहे nहै। संगठित ब्रांड ए ग्रेड या वर्जिन क्राफ्ट पेपर का उपयोग करते हैं, वे भी जल्द ही कीमतों में वृद्धि करने की घोषणाओं पर विचार कर रहे हैं। प्लाई रिपोर्टर के बाजार रिपोर्ट में पाया गया कि कई डेकोरेटिव लैमिनेट उत्पादकों ने पेमेंट और कच्चे माल की कीमतों और सप्लाई की दिक्क्तों के कारण मैन्युफैक्चरिंग घटाया है। खबरों के मुताबिक कुछ कंपनियां लेमिनेट प्लांट को दो सप्ताह के लिए बंद करने की सोच रही हैं।

कच्चे माल के सप्लायर अभी वैसे उत्पादकों को सप्लाई देना पसंद कर रहे हैं, जिनकी क्रेडिट पीरियड कम है, उसके बावजूद उनकी कई शर्ते हैं। चूंकि माल भाड़ा और कंटेनरों की दिक्क्तों के चलते सप्लाई में कई बाधाएं है, इसलिए अच्छे पेमास्टर के प्रति उनका नरम रुख कमजोर प्लेयर के लिए दिक्कतें पैदा कर रहा है, जिसके चलते वे 0.7 मिमी की शीट बनाने को मजबूर है। गुजरात और उत्तर भारत में लैमिनेट उत्पादक कच्चे माल की कमी के कारण पूरी क्षमता से उत्पादन करने में असमर्थ हैं। वे कहते हैकि दीवाली के बाद 30 फीसदी कम क्षमता उपयोग हो रहा है। वर्तमान परिदृश्य के चलते अलग-अलग मोटाई में मूल्य में 20 से 35 रुपये प्रति शीट की दूसरी बार वृद्धि हो सकती है। गौरतलब है कि पिछले महीने अलग-अलग मोटाई में 20 से 40 रुपये तक कीमतें बढाई गई थी।

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