आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार का क्लस्टर एप्रोच जोर पकड़ रही है क्योंकि राज्य सरकारें इसके लिए कई पहल कर रही हंै और स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए फर्नीचर कलस्टर की घोषणा कर रही हैं। बंदरगाहों के पास विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम चार फर्नीचर क्लस्टर विकसित करने की सरकार की घोषणा के बाद लंबे समय के इस दृष्टिकोण के तहत, अब मध्य प्रदेशm सरकार ने इंदौर के बेटमाखुर्द में अंतरराष्ट्रीय मेगा फर्नीचर क्लस्टर के लिए 450 एकड़ जमीन को मंजूरी दे दी है।
इंदौर में भूमि निर्धारण के लिए घोषणा के दौरान एक प्रेजेंटेशन में कहा गया था कि इंदौर का फर्नीचर बाजार लगभग 1000 करोड़ रुपये का है, जो इस मेगा क्लस्टर के संचालन के बाद पांच गुना अधिक होगा जाएगा और मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग की गतिविधियो के चलते इस क्षेत्र में 12 हजार से अधिक रोजगार पैदा होंगे। ज्ञातव्य है कि 80 से अधिक फर्नीचर निर्माता इस नए मेगा फर्नीचर क्लस्टर में 850 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने के इच्छुक भी हैं और इसके लिए उनके संघ ने प्रस्ताव के साथ राज्य प्राधिकरण को प्लेयर्स की एक सूची सौंपी है।
केंद्र सरकार भी एमईआईएस के स्थान पर एक ऐसी योजना की तलाश कर रही है, जो आईटी सेक्टर और अन्य के जैसे डस्प् (मैन्युफैक्चरिंग लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के जैसा फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे सके। अधिकारी इसके लिए मंत्रालयों और राज्य सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। इसके अलावा अवधारणा के अंतर्गत बंदरगाहों के पास कम से कम चार मेगा फर्नीचर क्लस्टर में गुजरात में कांडला पोर्ट, कर्नाटक में उडुपी और तेलंगाना में हैदराबाद के नजदीक नलगोंडा में आने का प्रस्ताव है।
वर्तमान में चीन दुनिया में सबसे बड़ा फर्नीचर निर्माता है और भारत का फर्नीचर का प्रमुख आयात चीन से ही होता है। कोविड के बाद, भारत के पास अपने स्थानीय फर्नीचर मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर है।