प्लाइवुड की बेहतरी के लिए BIS के नए मानदंड बनने जरूरी- Rajiv Parashar, Editor

person access_time   3 Min Read 20 April 2021

25 साल पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में लकड़ी काटने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया और तर्क था कि इससे वनों की कटाई को बढावा मिलता है, इसलिए प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए प्रतिबंध लगाना अनिवार्य है। बाद में, सर्वोच्च न्यायलय ने ब्म्ब् (सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी) का गठन किया, जो राज्यों में टिम्बर की उपलब्धता के साथ साथ इसके लिए लाइसेंस की प्रक्रिया को देखती थी। इन 25 सालों में, भारतीय प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग में लगभग 25 गुना वृद्धि हुई है क्योंकि उद्योग प्लांटेशन टिम्बर पर खासकर उत्तर भारत में सफेदा और पोपलर, दक्षिणी भारत के केरल में रबरवुड और बंदरगाह स्थित इकाइयों जैसे कोलकाता, कांडला, अन्य और कुछ स्थानों में इम्पोर्टेड हार्ड वुड पर स्थानांतरित हो गया।

2014 में म्यांमार में लॉग एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगने से पहले लगभग 15 फीसदी बाजार हार्डवुड और बाकी भारत में उपलब्ध स्वदेशी टिम्बर पर निर्भर था। पिछले 7 वर्षों से, लगभग पुरी भारतीय प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग 5 से 6 साल रोटेशन वाले प्लांटेशन टिम्बर पर निर्भर है।

अब, भारतीय प्लाइवुड उद्योग ने हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से संपर्क किया है और ईमानदारी से समझाया है कि प्लाइवुड उत्पादों के आईएसआई पर उल्लिखित मानक और पैरामीटर वर्तमान समय में उपयुक्त नहीं हैं क्योंकि यह तब परिभाषित किया गया था जब उद्योग के स्रोत फारेस्ट टिम्बर, जो 25 साल की और इससे ऊपर के जीवनकाल की होती थी। उद्योग कस्टमर और यूजर के फायदे और प्लाइवुड उत्पादांे की गरिमा को बचाए रखने के लिए मानदंडों में सुधार करने की बीआईएस से गुहार लगाई है। इसके विपरीत, तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह का मानना है कि भारत में उपलब्ध लकड़ी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए उपयुक्त नहीं है, और वे चुनौती देते हैं कि इस टिम्बर से भारत, एक कम्प्रोमाइज्ड क्वालिटी प्लाइवुड का उत्पादन करता है, जो केवल सस्ते फर्नीचर बनाने के लिए ही उपयोगी है।

उद्योग कस्टमर और यूजर के फायदे और प्लाइवुड उत्पादांे की गरिमा को बचाए रखने के लिए मानदंडों में सुधार करने की बीआईएस से गुहार लगाई है। इसके विपरीत, तकनीकी विशेषज्ञों के एक समूह का मानना है कि भारत में उपलब्ध लकड़ी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। दूसरी तरफ, इस दावे को भारतीय प्लाइवुड निर्माताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है क्योंकि वे दावे के साथ 10 साल, 20 साल, 25 साल की गारंटी वाली प्लाइवुड, जो 100 फीसदी, 500 फीसदी, 700 फीसदी मनी बैक गारंटी के साथ बाजार में पेशकश कर रहे हैं।

दूसरी तरफ, इस दावे को भारतीय प्लाइवुड निर्माताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है क्योंकि वे दावे के साथ 10 साल, 20 साल, 25 साल की गारंटी वाली प्लाइवुड, जो 100 फीसदी, 500 फीसदी, 700 फीसदी मनी बैक गारंटी के साथ बाजार में पेशकश कर रहे हैं। कस्टमर और यूजर के पास इन गारंटी वाले उत्पादों पर विश्वास करने का कारण भी हैं, क्योंकि वे इन उत्पादों को वर्षों तक टिके हुए देखा है। मेरा भी मानना है कि भारतीय प्लाइवुड उद्योग उपलब्ध प्लांटेशन टिम्बर से उच्च गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड उत्पाद तैयार करने के लिए उपयुक्त तंत्र विकसित कर लिया है, जिससे ये प्लाइवुड भारत के साथ साथ विदेशों में भी हाई इन्ड फर्नीचर बनाने के लिए सही उत्पाद है।

समय की मांग है कि बीआईएस अंतरराष्ट्रीय मानक जरूरतों के अनुसार संसोधित मानदंडों और पैरामीटर के साथ आगे आए, ताकि उपलब्ध प्लांटेशन टिम्बर के साथ मेक-इन-इंडिया प्लाइवुड वैश्विक स्तर पर यूजर्स के बीच अपनी साख बनाए रख सके।

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