प्लाई रिपोर्टर ने 20 मई, 2021 को कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद ‘‘मूविंग फॉरवर्ड झझ बाउंसिंग बैक’’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें उद्योग के महान हस्तियों श्री सज्जन भजंका, चेयरमैन, सेंचुरी प्लाईबोर्ड्स इंडिया लिमिटेड, श्री प्रकाश लोहिया, एमडी, मेरिनो इंडस्ट्रीज लिमिटेड और श्री राजेश मित्तल, सीएमडी, ग्रीनप्लाई इंडस्ट्री लिमिटेड ने अपने विचार रखे। वेबिनार के दौरान श्री प्रगत द्विवेदी, संस्थापक संपादक, प्लाई रिपोर्टर ने उनसे भारत में वुड पैनल इंडस्ट्री और ट्रेड में आगे बढ़ने के तरीके पर बात की। प्रस्तुत है चर्चा के प्रमुख अंश...
इस कठिन समय में मानसिक और भावनात्मक संतुलन पर
इस कठिन समय में मानसिक और भावनात्मक संतुलन पर श्री सज्जन भजंकाः ईश्वर ने हमें परिस्थिति के अनुसार ढलने की एक अनूठी शक्ति दी है, इसलिए हर स्थिति में लोग परिस्थिति को धीरे-धीरे अपनाते ही हैं। कई देशों में 10 साल से अधिक समय तक निरंतर युद्ध होते रहे, फिर भी लोग वहां जीवन यापन करते रहे। मेरी राय में लॉकडाउन खुलने के बाद भारतीय वुड पैनल उद्योग ने सर्वश्रेष्ठ समय देखा है और चौथी तिमाही पूरे उद्योग के लिए सबसे अच्छे तिमाहियों में से एक था, क्योंकि डिमांड बहुत अच्छी थी।
श्री प्रकाश लोहियाः फ्रंट लाइन फाइटर होने के नाते मैंने भी इसको महसूस किया, लेकिन परिस्थितियां काफी सहज थी। मेरे लिए चार सप्ताह और दो दिन घर पर रहने का यह पहला अवसर था, ऐसे में मैं अपने आपको समझने की कोशिश कर सका, क्योंकि लंबे समय के बाद मैंने अपने आप के लिए सोचने और पढ़ने के लिए यह खाली समय पाया और उन समस्याओं से जो कोविड द्वारा उत्पन्न हुई हैं या भविष्य में सामने आ सकती हैं उनका सामना करने के लिए खुद को और मजबूत बनाया।
श्री राजेश मित्तलः मेरा मानना है कि चीजें और बेहतर होंगी क्योंकि जीवन की एक खासियत है कि यह कभी नहीं ठहरता। अगर कोविड है तो हमें इसके साथ जीना होगा। कठिन समय हमें सतर्क करता है और इसे अवसर में बदलने के लिए कई आइडिया से भी रूबरू कराता है। यदि हम मुश्किलों में अवसर तलाशने की हूनर विकसित कर लें, तो मुझे लगता है कि जीवन बहुत आसान होगा। अप्रैल और मई में वुड पैनल कारोबार पर
श्री प्रकाश लोहियाः इस बार घरेलू बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है, पर निर्यात की स्थिति अच्छी है। राज्य सरकारों द्वारा चरणबद्ध तरीके से लगाए गए लॉकडाउन से घरेलू बाजार प्रभावित हुआ है। इससे एक अनिश्चितता की भावना पैदा हुई और हम भावनात्मक रूप से प्रभावित हुए जो बाजार में भी दिखाई दे रहा था।
श्री राजेश मित्तलः हम घरेलू बाजार में ही काम करते हैं और देख रहे हैं कि उत्तर और पश्चिम जैसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में अप्रैल का महीना सामान्य था, पर कोविड के मामले तेजी से बढ़ने से ये उत्तर और पश्चिम क्षेत्र काफी परेशान किया। मई में स्थिति खराब रही, हालांकि बाजार में 10 से 15 फीसदी काम चल रहा था, इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि यह पूरी तरह से वॉश आउट हो गया, लेकिन सेंटीमेंट बुरी तरह बिगड़ गई है।
श्री सज्जन भजनकाः मुझे लगता है कि स्थिति में तेजी से सुधार होगा। इस बार भी हम ट शेप रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं। जून के अंत तक हम इस परिस्थिति से अच्छी तरह बाहर आ जाएंगे। अगली तिमाही अच्छी होगी और बाजार में मांग बढ़ने से उद्योग के साथ साथ देश भी तेजी से आगे बढ़ेगा।
अनिश्चितता के इस माहौल में निवेश, विस्तार और भविष्य पर
श्री सज्जन भजंका: मुझे लगता है कि या तो हम ऊपर जाते हैं या नीचे, किसी भी कीमत पर ठहराव संभव नहीं है, इसलिए यदि आप नीचे नहीं जाना चाहते हैं तो आप ऊपर जाएंगे। यदि आप रुकना नहीं चाहते हैं तो आपको विस्तार करना होगा और कुछ नया करना होगा, और लोगों को नए स्किल सेट में शामिल करना होगा तथा सकारात्मकता के साथ लगातार आगे बढ़ते रहना होगा। परिस्थिति और उद्योग के हालत बदलते रहते हैं इसलिए हमें बदलाव को लगातार अपनाना होगा।
एक समय था जब हम विनियर पर निर्भर थे, इसके लिए हम लकड़ी की खरीद, विनियर बनाने और बेचने के काम में जुड़े हुए थे। हमबिक्री के बाद बचे हुए विनियर से प्लाइवुड बनाते थे। बाद में विनियरकी प्रोसेसिंग बंद हो गई तो हमने देश के बाहर विनियर की इकाइयां स्थापित की, वहां भी उत्पादन बंद हो गयी। इसलिए, उद्योग की गतिविधियांे में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है क्योंकि परिस्थिति बार-बारबदलती है, लेकिन हर बदलाव के साथ हमारे कामकाज और लाभप्रदता में सुधार होता है। इसलिए, हमें रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि कठिन समय में हमें आगे बढ़ने के लिए अवसर की तलाश करनी ही चाहिए।
मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि भारत को बहुत आगे बढ़ना है। हमारा सबसे निकटतम प्रतिद्वंदी चीन है, हम उनके ग्रोथ को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। भारत की भी जमीनी हकीकत उनके जैसा ही है क्योंकि हम उनकी आबादी और क्षेत्रफल के करीब ही हैं। पिछले 40 वर्षों में चीन ने बहुत तेजी से विकास किया है और उनकी प्रति व्यक्ति प्लाइवुड की खपत आज 50 वर्गमीटर है जबकि भारत में यह 2 वर्गमीटर है। आज हमारे पास 12.5 मिलियन सीबीएम पैनल उत्पादन है और चीन 300 मिलियन सीबीएम का उत्पादन कर रहा है। भारत में भी स्थिति बदलेगी क्योंकि लोगों का ध्यान अब हाऊसिंग पर होगा। बढ़ती समृद्धि के साथ लोग चाहते हैं कि उनका अपना घर हो, इसलिए अगले दस वर्षों में भारतीय हाऊसिंग सेक्टर में एक क्रांति आएगी। वुड पैनल उद्योग भी उनके साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए आवास और बुनियादी ढांचे के विकास के साथ प्लाइवुड उद्योग भी तेजी से बढ़ेगा। जरूरतें पूरा करने के लिए भारत को भी स्केल अप करना होगा और इस कमी कोपूरा करने के लिए नए प्लेयर्स को आना चाहिए। अभी प्लाइवुड में तीसरा प्लेयर ग्रीनप्लाई या सेंचुरी प्लाई के मुकाबले 20 फीसदी से अधिक नहीं है। इसलिए, मैं वुड पैनल इंडस्ट्री के विकास के लिए बहुत आशावादी हूं।
श्री प्रकाश लोहियाः आपदा का सार्वभौम पैमाना, अज्ञात के सामने लाचारी और तीसरी लहर की भयावह आशंका भी मंडरा रही है। ये सभी प्रतिमान बदलाव के लिए विचार प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव की जरूरत के संकेत दे रहे हैं। उद्योग जगत के लोगों को मेरा विनम्र सुझाव है कि केवल रणनीति ही पर्याप्त नहीं होगी। इसके लिए व्यवसाय की नीति, दृष्टि और मिशन में गहरे उतरना होगा। यही समय की मांग है।
संचार और फिजिकल मूवमेंट के माध्यम से वैश्वीकृत अंतर्संबंध की इस पृष्ठभूमि के साथ हमें विनम्रता, साहस और ईमानदारी के साथ कुछ सवालों का सामना करना पड़ेगा। हमें अपने आप से कुछ प्रश्न पूछने होंगे। क्या यह विकास या सतत विकास है? यह सिर्फ अर्थव्यवस्था है या सद्भाव के साथ वाली अर्थव्यवस्था हैं? क्या यह प्रभावशीलता या दक्षता है? जिसकी हम तलाश कर रहे है। क्या यह केवल शेयरधारकों के लिए है या सभी का हित हैं जिसके लिए हम व्यापारिक नेताओं के रूप में जिम्मेदार हैं? क्या व्यापार केवल दिमाग से किया जा रहा है, या सामंजस्य के साथ सहानुभूति भरा है? हम भाग्यशाली हैं कि हम भारतीय हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हजारों वर्षों पहले इन प्रश्नों पर शोध किया है। इसलिए मूल बातों पर टिके रहें और वसुधैब कुटुम्बकम के संदेश को समझने की कोशिश करें। इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले इनके उत्तर जरूर खोजें।
श्री राजेश मित्तलः हम जो भी व्यवसाय करें, वह न केवल शेयरधारकों के लिए बल्कि सभी के हित को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल तरीके से होना चाहिए। मैं यह कहना चाहूंगा कि निश्चित रूप से ट शेप रिकवरी होगी इसलिए हमें आगे बढ़ना होगा। मुझे लगता है कि यह शार्ट और मीडियम टर्म में भी उद्योग के लिए अच्छा होगा, इसलिए बैठे रहने की कोई जरूरत नहीं है।
श्री सज्जन भजनकाः हम देश के विकास के लिए, शेयरधारकों, हमारे साथ जुड़े लोगों और अंततः समाज के लिए ही काम कर रहे हैं। इसलिए हम बड़ी जिम्मेदारी के साथ एक सेल्फ ट्रस्टी हैं।
हम जो भी व्यवसाय करें, वह न केवल शेयरधारकों के लिए बल्कि सभी के हित को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल तरीके से होना चाहिए। मैं यह कहना चाहूंगा कि निश्चित रूप से ट शेप रिकवरी होगी इसलिए हमें आगे बढ़ना होगा। मुझे लगता है कि यह शार्ट और मीडियम टर्म में भी उद्योग के लिए अच्छा होगा, इसलिए बैठे रहने की कोई जरूरत नहीं है।
बिजनेस ग्रोथ की बात करें तो, हम देख सकते हैं कि चीन कभी केवल निर्यात पर निर्भर था और उनके उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा निर्यात होता था, लेकिन अब उनके अपने उपभोग बढ़ रहे हैं साथ ही निर्यात में भारी गिरावट आई है। हम काफी भाग्यशाली हैं कि हमारे पास एक विशाल कंस्यूमर बेस है यह हमारे साथ-साथ व्यापारियों और मैंन्यूफैक्चरर्स के लिए भी फायदेमंद है जो आने वाले समय में इसका फायदा उठा सकते हैं।
श्री प्रकाश लोहियाः व्यवसायी को व्यवसाय करना है। जो हम भविष्य के लिए पहले कर रहे थे, केवल हमें इसे फिर से परिभाषित और पुनर्गठित करना है। व्यापार को आगे बढ़ना होगा क्योंकि फिर से उठ खड़ा होना मनुष्य का स्वभाव है। परिस्थियों के अनुसार ढलना कोई विकल्प नहीं, बल्कि अस्तित्व के लिए संघर्ष है। कोविड आगे बढ़ने के हमारे दृढ़ संकल्प को रोक नहीं पाएगा। प्लाइवुड में निर्यात की संभावनाओं पर
श्री राजेश मित्तलः निर्यात के लिए उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी लागत सबसे महत्वपूर्ण है। अगर हम गुणवत्ता का ध्यान रखते हैं, तो संभावना है कि हम दूसरे बाजार में निर्यात कर सकते हैं, लेकिन सवाल कॉस्ट को लेकर पैदा होती है, क्योंकि लकड़ी की कीमत चीन या वियतनाम की तुलना में उस स्तर पर नहीं है कि हम अच्छे तरीके से निर्यात करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। एक उद्योग के रूप में अगर हम प्लांटेशन और टिम्बर की स्थायी उपलब्धता की योजना बना सके तो आने वाले समय में निर्यात की बहुत बड़ी संभावना है।
श्री सज्जन भजंकाः मुझे नहीं लगता कि यूरोप और यूएसए अपनी प्लाइवुड की जरूरतों के लिए हमें ज्यादा पसंद करेंगे। दूसरी ओर, हमारी अपनी खपत बहुत तेजी से बढ़ेगी, इसलिए मुझे लगता है कि हमें आने वाले दो या तीन वर्षों में प्लाइवुड, पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ का भी आयात करना होगा।
कच्चे माल की बढ़ती कीमतों पर
श्री राजेश मित्तलः प्लाइवुड उद्योग में लकड़ी की कीमतें महत्वपूर्ण हैं। केमिकल की कीमतों का भी उत्पादन पर असर पड़ता है। आम तौर पर अब तक हम हाई इनपुट कॉस्ट ही ग्राहकों को पास करते रहे हैं। इसलिए, अगर कीमतों में थोड़ी और बढ़ोतरी होती है, तो हम कुछ दिनों के बाद उन पर डाल देंगे, मुझे नहीं लगता कि इससे उद्योग में जारी सुधार प्रभावित होगी।
श्री प्रकाश लोहियाः अर्थशास्त्र सिद्धांतों से शुरू हुआ फिर गणित के रूप में आगे बढ़ा लेकिन आज यह मनोविज्ञान पर आधारित है। कच्चे माल की कीमतें वैश्विक परिस्थिति की घटना हैं। जैसे कि चीन में मेलामाइन की कीमत बढ़ती है तो भारत प्रभावित होता है।अगली चुनौती की तैयारी करें। हमें नई चुनौतियों के लिए प्रिवेंटिव मेंटेनेंस के साथ सतर्क और तैयार रहना होगा।
श्री सज्जन भजंकाः उद्योग कमोडिटी की तरह काम नहीं करता है, जैस कि गेहूं की कीमत बढ़ने से आटे की कीमत भी बढ़ जाएगी। एक संगठित ब्रांड प्राइस लिस्ट के अनुसार कार्य करता है। यदि कच्चे माल की कीमत बढ़ती है, तो उस समय निर्माताओं को कुछ हद तक कॉस्ट वियर करनी पड़ती है। लेकिन, अगर यह लंबे समय तक चलता है तो धीरे-धीरे इसे ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है। तो, बढ़ती कीमत के साथ एक्सपोर्ट वैल्यू में वृद्धि होगी और घरेलू बाजार में एक या दो महीने में पारित हो जाएगी, और उद्योग अपने मार्जिन पर वापस आ जाएगा। इसी तरह, अगर कीमतें गिरती हैं तो उद्योग को फायदा होता है क्योंकि बाजार में कीमत तुरंत नहीं गिरती है। कच्चे माल की कमी सप्लाई चेन की गड़बड़ी के कारण थी, इसलिए आयात आधारित उत्पाद फिर परेशान होंगे। मेलामाइन की बात करें तो हम इसका कारण नहीं समझ पा रहे हैं क्योंकि इसकी कमी वैश्विक स्तर पर है। दीपक फेनोलिक्स के उत्पादन के बाद फिनोल में हम कमोबेश आत्मनिर्भर हैं। मुझे नहीं लगता कि बढ़ी हुई कीमत जल्दी घटेगी। विनियर के मामले में भी बर्मा में ऑपरेशन बंद होने के कारण दिक्क्तें है और शिपिंग की दिक्क्तें गैबॉन से ओकूमे की सुचारू आपूर्ति के लिए चुनौती है।
मुझे लगता है कि कीमत कुछ हद तक बढ़नी चाहिए, जैसे कि कोर की कीमतें बढ़ने से लकड़ी की कीमत भी बढ़ेगी और किसानों को बेहतर पेमेंट किया जाएगा ताकि उन्हें अधिक प्लांटेशन केलिए प्रोत्साहित किया जा सके। हमें नकदी फसलों से वृक्षारोपण की ओर बढ़ना ही होगा तभी देश आगे बढ़ेगा। अभी कृषि वानिकी की तुलना में नकदी फसल सरप्लस है। कृषि वानिकी से देश में पर्यावरण संरक्षण और कार्बन फुट प्रिंट में कमी जैसे कई फायदे हैं। विस्तार और मार्केट ग्रोथ
श्री सज्जन भजनकाः उद्योग के साथ-साथ व्यापार के लिए काम करना एक प्रकार की लत है, हम इसे आदत कह सकते हैं। अर्जित धन और गुडविल देश और समाज को आगे बढ़ने में मदद करेगी।
श्री राजेश मित्तलः यदि हम उसी ऊर्जा के साथ आगे नहीं बढ़ेगें तो जीवन रुक जाएगा। यह एक आदत की तरह है, और मैं कहना चाहूंगा कि रुकें नहीं लगातार अच्छे से काम करते हुए आगे बढ़ते रहंे। यह सिर्फ अपने लिए नहीं है, बल्कि उद्योग जगत यदि कच्चे माल की कीमत बढ़ती है, तो उस समय निर्माताओं को कुछ हद तक कॉस्ट वियर करनी पड़ती है। लेकिन,अगर यह लंबे समय तक चलता है तो धीरे-धीरे इसे ग्राहकों तक पहुंचाया जाता है। तो, बढ़ती कीमत के साथ एक्सपोर्ट वैल्यू में वृद्धि होगी और घरेलू बाजार में एक या दो महीने में पारित हो जाएगी, को भी इससे फायदा होता है, और भविष्य भी अच्छा होता हैं। इसलिए, हमें कड़ी मेहनत और पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।
श्री प्रकाश लोहियाः विस्तार ही प्रकृति है। विज्ञान भी कहता है कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। तो, जो गतिशीलता स्वभाव से फैलता है। वे खुद को विस्तार से नहीं रोक सकते हैं, और आपकी गतिशीलता ने इसे एक संस्था बनाने में लगा दिया है। एक व्यक्ति के रूप में आपको विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है। इसलिए अगर हम एक मजबूत आधार वाली संस्था बनाते हैं तो ही हम समाज में योगदान दे सकते हैं और समाज की मदद करने की मेरी इच्छा पूरी होती हैं।
निष्कर्ष
दूसरी लहर के बाद उम्मीद थी कि उंची कीमतों से उद्योग को राहत मिलेगी, लेकिन स्थिति अलग है और अब कीमतें फिर से बढ़ रही हैं। ऐसा लगता है कि कुछ हद तक यह उत्पाद की कीमत को उनकी अलग-अलग इनपुट कॉस्ट के अनुसार प्रभावित भी करेगा। यदि कीमत घटती बढ़ती है, तो कुछ उत्पाद अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं, जैसे इकोनॉमिकल ग्रेड प्लाइवुड महंगा हुआ तो एमडीएफ ने अंतर को पाटा। यदि विनियर महंगा हो जाता है, तो इसके विकल्प के रूप में भी कोई दूसरा उत्पाद मौजूद है।
कोविड की तीसरी लहर आए या न आए, हमें पिछले अनुभवों से सीखना होगा और अगली चुनौती के लिए तैयार रहना होगा। हमें आगे बढ़ना होगा और उसके लिए तैयारी करनी होगी क्योंकि गतिशीलतास्वाभाविक है और विस्तार इसका परिणाम है जो होना ही है। वर्कहेालिक वे होते हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि समाज की भलाई के लिए काम करते हैं। इसलिए, अपने स्वास्थ्य और धन का ख्याल रखते हुए मानसिक और भावनात्मक संतुलन के साथ अपने काम में एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाएं।
पैनलिस्ट इस बिंदु पर एकमत थे कि कई कारणों से मांग बढ़ने के साथ रिकवरी होगी क्योंकि सप्लाई के लिए बाजार में मेटेरियल की कोई बड़ी इन्वेंट्री नहीं है। इसलिए भारत की विकास गाथा जारी रहेगी।