कोविड की दूसरी लहर के बाद क्या कहते हैं उत्तर भारत के वुड पैनल इंडस्ट्री लीडर्स !

person access_time   4 Min Read 13 July 2021

प्लाई रिपोर्टर द्वारा आयोजित ई-कॉन्क्लेव ‘वॉयस फ्रॉमनॉर्थ इंडिया - पोस्ट कोविड 2.0’ को तनिश - डिजाइनफॉर डेकोर के सहयोग से 25 मई 2021 को प्लाई रिपोर्टर फेसबुक पेज पर लाइव प्रसारित किया गया।

भारत में वुड पैनल के व्यवसाय को उत्तर भारत स्थित उदयोग ड्राइव करता रहा है। जब भी कोई झटका लगताहै, तो उत्तर भारत के उद्यमी किसी भी संकट से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम करते दिखाई देते हैं। पिछले पांच वर्षों में काफी अच्छे सुधार के साथ प्लाइवुडसेगमेंट में इनकी उपस्थिति 75 फीसदी से अधिक है औरलेमिनेट में लगभग 50 फीसद है। एमडीएफ में भी यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और प्रत्येक सेगमेंट जैसे डब्ल्यूपीसी, पीवीसी लेमिनेट और एज बैंड टेप के क्षेत्रमें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यहां से बड़ी मात्रा में सप्लाई होती है। अगर हम कहें कि उत्तर भारत

 

ट्रेंड सेट करता है और दरें तय करता है, तो यह गलत नहीं होगा।

कार्यक्रम के दौरान पैनल श्री संजय गर्ग, अध्यक्ष, एसआरजी (सुमित्रा राजकृपाल ग्रुप); श्री मनीष केडिया, निदेशक, अमित डेकोरेटिव प्राइवेट लिमिटेड - भूटान टफ;श्री बॉबी वर्मा, निदेशक, अमेजॅन वुड प्राइवेट लिमिटेड; श्री गोपाल बंसल, निदेशक, सावित्री वुड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड; श्री अमित गोयल, निदेशक, जीएमजी प्लाईवुड प्राइवेट लिमिटेड और प्लाई रिपोर्टर से श्री प्रगत द्विवेदी और श्री राजीव पाराशर शामिल थे।

दूसरी लहर के बाद व्यवसाय पर प्रभाव श्री मनीष केडिया, मई में गतिविधियां पूरी तरह से बंद थीं, क्योंकि बाजार कहीं भी खुला नहीं था। हालांकि सरकार ने शहरी क्षेत्र को छोड़कर हर जगह कारखाने के कामकाज जारी रखने की अनुमति दी थी। हम नियमित रूप से काम कर रहे थे लेकिन लेवर और कच्चे माल की कमी के कारण उत्पादन कम हो गई थी। मई में मांग कम थी लेकिन अंतिम सप्ताह में अच्छी चहल-पहल रही। भारत एक बड़ी जनसंख्या वाला विशाल देश है इसलिए हाल ही में हुए लॉकडाउन में भारी नुकसान के बावजूद यह जल्द ही ठीक हो जाएगा। एक-दो महीने में स्थिति पटरी पर आ जाएगी।

श्री संजय गगर्ः लॉकडाउन का असर बड़े शहरों पर दिखा, लेकिनग्रामीण बाजार में काम जारी था इसलिए मई में भी लगभग 40 फीसदी मांग थी। जून से बाजार खुलने पर हम 100 फीसदी से  अधिक मांग की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि पिछले दो महीनों में लॉकडाउन के दौरान भी बाजार की गतिविधि धीमी ही सही पर जारी रहने के कारण स्टॉक इन्वेंट्री लगातार नीचे जा रही थी। इसलिए पिछले दो महीनों में हुए नुकसान की भरपाई अगस्त तक हो जाएगी।

श्री बॉबी वमार्ः पिछले दो महीनों में बैकलॉक के कारण मांग तो आना ही है। चिंता इस बात की है कि सप्लाई चेन गड़बड़ा गया है; केमिकल की डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है और कीमतें बढ गई हैं। यदि हम वुड पैनल इंडस्ट्री में उत्पादन का परिदृश्य देखें, तो यह लगभग 30 फीसदी था क्योंकि सभी ने 50 फीसदी तक की कटौती की और कुछ फैक्ट्रियां बंद भी हुए। इसके बावजूद केमिकल के दाम कम नहीं हुए। अगर उत्पादन 100 फीसदी होता तो केमिकल की कीमतें हमारी पहुंच में नहीं होतीं। आने वाले समयमें ऐसा होगा भी और हम आराम से फैक्ट्री नहीं चला पाएंगे। अगर हमें मार्जिन नहीं मिल रहा है तो डिमांड का कोई फायदा नहीं है। दूसरे, जो नकद में बेच और खरीद रहे हैं वे फायदे में होंगे। यदि आप क्रेडिट सेल्स पर जाते हैं तो आपको सर्वाइव करने के लिए क्रेडिट पर खरीदना होगा जो इन दिनों संभव नहीं है। बिजनेस क्रेडिट का परिदृश्य

श्री मनीष केडियाः वर्तमान समय में कमर्शियल फेस, केमिकल और टिम्बर क्रेडिट पर उपलब्ध नहीं है। कैश एंड कैरी कल्चर निश्चित रूप से बढ़ रहा है जो कोविड की पहली लहर के बाद भी दिखाई दे रहा था। लेकिन, बाद में हम वापस सामान्य स्थिति में पहले जैसा हो गए और पुरानी आदतों को अपना लिया। इसका मतलब है कि अगर हम मजबूती से मिलजुल कर आगे बढ़ेंगे, तो परिदृश्य निश्चित रूप से बदल जाएगा।

श्री गोपाल बंसलः हम यह कर सकते हैं, क्योंकि यह सब सिर्फ सोच का फर्क है। सबसे पहले अपना कैश सुरक्षित रखें फिर कैश पर खरीदारी शुरू करें। धीरे-धीरे अगर आप अपना उत्पाद इस तरह से बना सकते हैं कि उसकी मांग अपने आप पैदा हो, तो फिर निश्चित रूप से आप नकद में बेच सकते हैं। लेकिन, अगर आप भीड़ के साथ आगे बढ़ते हैं, तो आपको उनके जैसा व्यवहार करना होगा। हम अभी शत-प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहे हैं। इस दूसरे लॉकडाउन की सबसे अच्छी बात यह है कि पिछली बार की तरह कोई स्टैंड स्टिल स्थिति नहीं थी। सब कुछ धीरे-धीरे चल रहा था। बाजार भी धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। ऑर्गनइज प्रोजेक्ट भी रुके नहीं हैं, इसलिए मांग लगातार आ रही है।

श्री अमित गोयलः अवसर सभी प्रकार के उत्पादों में है, लेकिन कच्चे माल की कीमत में उतार-चढ़ाव इतना अधिक है कि उत्पाद की दर 15 दिनों में संशोधित करने की जरूरत होती है। पीवीसी में रेजिन 70 रुपये से 150 रुपये तक पहुंच गया। हमें अपने एमडीएफ प्लांट के लिए भी माल ढुलाई और कच्चे माल की कीमतों का बहुत अधिक प्रभाव पड रहा है।

एमडीएफ-पार्टिकल बोर्ड बनाम प्लाइवुड

श्री बॉबी वमार्ः प्लाइवुड पर पार्टिकल बोर्ड का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मेरी राय में एमडीएफ प्लाइवुड को प्रभावित कर सकता है और आने वाले दो महीनों में परिदृश्य बदल जाएगा। हम देख सकते हैं कि जो प्लाइवुड बेच रहे हैं, सभी दुकानदार एमडीएफ भी बेचना शुरू कर दिया है जो दो साल पहले चलन में नहीं था। आज हाई डेंसिटी एमडीएफ और इसके जैसे अन्य उत्पादों का प्रभाव अधिक पड़ रहा है क्योंकि इसकी सतह चिकनी होती है जो बेहतर फिनिश देती है। दूसरी ओर प्लाइवुड महंगा है और इस तरह की फिनिश नहीं दे पाता। यमुनानगर के प्लेयर्स काफी होशियार हैं और वे जरूरत और पसंद के अनुसार डायवर्ट करना अच्छा समझते हैं।

श्री गोपाल बंसलः मुझे लगता है कि बाजार अब वुड पैनल इंडस्ट्री के प्रत्येक उत्पाद के उपयोग और अनुप्रयोग को समझने लगा है। एमडीएफ, प्लाइवुड और पार्टिकल बोर्ड जहां इस्तेमाल किया जाना चाहिए वहां अब इसकी जगह मिल रही है। एमडीएफ 10 से अधिक वर्षों से बाजार में है और धीरे-धीरे विस्तार कर रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक अच्छा उत्पाद है और इसकी स्वीकृति तेजी से बढ़ी है। जब हमने कैलिब्रेटेड प्लाइवुड पेश किया था तो बाजार में यह बात होती थी कि यह महंगा होगा, और बाजार इसे स्वीकार नहीं करेगा। मैंने कहा ऐसा नहीं है, क्योंकि जहां कैलिब्रेटेड प्लाईवुड की जरूरत है, वहां कैलिब्रेटेड प्लाईवुड का ही उपयोग किया जाएगा। उत्पादों की अन्य केटेगरी में भी यही स्थिति है और यह हमेशा बनी रहेगी। जो लोग भविष्य की जरूरतों के हिसाब से उत्पादों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं उन्हें निश्चित रूप से नुकसान उठाना पड़ेगा।

श्री अमित गोयलः शहरी रहन सहन और मानसिकता टियर टू, थ्री शहरों तक पहुंच गई है। आप देख सकते हैं कि गांवों में कुछ साल पहले फर्नीचर नहीं था, लेकिन अब वे भी तेजी से विकास कर रहे हैं और वहां भी प्लाइवुड और पैनल उत्पादों की खपत बढ़ गई है। श्री गोपाल बंसलः फर्नीचर की मैन्युफैक्चरिंग ऑर्गनाइज्ड तरीके से होने लगी है और 25 फीसदी तक पहुंच गई है जो कुछ साल पहले सिर्फ 5 फीसदी थी। भविष्य में यह और बढ़ेगा क्योंकि हर कोई कारपेंटर को घर बुलाकर काम नहीं कराना चाहता। आने वाले कुछ वर्षों में देश में हर कोई स्वच्छ वातावरण और तैयार उत्पाद की त्वरित डिलीवरी के बारे में सोच रहा होगा, बाजार उसी ओर बढ़ रहा है।

श्री मनीष केडियाः प्लाइवुड का बाजार भी बढ़ रहा है साथ ही उत्पादन भी बढ़ा है। भारत एक विशाल देश है जो गुणवत्ता, वैल्यू फॉर मनी और लंबे समय तक चलने वाले उत्पादों में विश्वास करता है। ग्रामीण बाजार और छोटे शहरों में पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ ज्यादा पसंद नहीं की जाती है। प्लाइवुड का अपना

पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ और प्लाइवुड में बड़ा अंतर है क्योंकि पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ में होल्डिंग कैपेसिटी है और फैक्ट्रियां गोदामों में इसके एक लाख से अधिक शीट्स स्टॉक कर सकते हैं। लेकिन, प्लाइवुड में हमने यमुनानगर में ऐसा स्टॉक कभी नहीं देखा। संगठित कामकाज के साथ कुछ अपवाद हो सकते हैं। लेकिन, अगर आप छोटे और मझोलेप्लेयर्स को देखें तो वे आगे पीछे दौड़ रहे हैं।

महत्व है। अच्छी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड की खपत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। एमडीएफ का बाजार भी बड़ा हो गया है इसी तरह पार्टिकल बोर्ड और डब्ल्यूपीसी भी बढ़ रहे हैं। इन उत्पादों की मार्केटिंग की रणनीति का भी बिक्री पर असर पड़ रहा है, लेकिन प्लाइवुड की बिक्री दिन-व-दिन बढ़ती जा रही है।

टिम्बर और तैयार माल की कीमतों

श्री संजय गगर्ः घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लकड़ी की कीमत उसी तरह बढ़ेगी जैसे पहले बढ़ रही थी। मैं इंडस्ट्री प्लेयर्स से अपील करना चाहूंगा कि लकड़ी या कच्चे माल की कीमत बढ़ने पर घबराएं नहीं। इसे स्वीकार करें और उत्पाद की कीमतें बाजार में स्वीकृत हों इस पर ध्यान दें क्योंकि हमें किसी भी हालत में सर्वाइव करना है और उद्योग भी चलता रहेगा।

पेमेंट और इन्वेंटरी

श्री बॉबी वमार्ः पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ और प्लाइवुड में बड़ा अंतर है क्योंकि पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ में होल्डिंग कैपेसिटी है और फैक्ट्रियां गोदामों में इसके एक लाख से अधिक शीट्स स्टॉक कर सकते हैं। लेकिन, प्लाइवुड में हमने यमुनानगर में ऐसा स्टॉककभी नहीं देखा। संगठित कामकाज के साथ कुछ अपवाद हो सकते हैं। लेकिन, अगर आप छोटे और मझोले प्लेयर्स को देखें तो वे आगे पीछे दौड़ रहे हैं।

श्री अमित गोयलः हम आम तौर पर गलत पार्टियों के पास अपनी इन्वेंट्री बाजार में डाल देते हैं। इन्वेंट्री बनाए रखना और नियंत्रित उत्पादन एक ही बात हैं। विश्वास के आधार पर लोग आगे काम करते है। जो लोग व्यापार या सप्लाई चेन में भरोसेमंद प्लेयर हैं उन्हें सब कुछ मिलेगा।

श्री गोपाल बंसलः जो शर्तों पर काम कर रहे हैं उन्हें उनके हिस्से का मेटेरियल मिलनी चाहिए और जो शर्तों पर नहीं हैं उन्हें टाला जाना चाहिए। आप ऐसे कठिन समय में इतने कठोर नहीं हो सकते; आपको उनकी मदद करनी होगी। आज निवेश करने का समय है, और छह महीने के बाद बाजार में सुधार होता है तो आप अपना फंड निकाल सकते हैं। अंततः व्यवसाय को बनाए रखना हमारा प्रमुख उद्देश्य है। और हमें उन्हें पुनर्जीवित करने के इरादे से पूरा जी जान लगा देना चाहिए। आपको यह पता लगाने के लिए  बहुत सतर्क रहना पड़ेगा कि कौन फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है और पेमेंट की अनावश्यक कमी पैदा कर रहा है।

श्री मनीष केडियाः भारत में व्यापारिक संबंध विश्वास के साथ ही आगे बढ़ते हैं, इसलिए अपना व्यवसाय जारी रखने के लिए आपको कुछ समय त्याग करना होगा। जो लोग धोखेबाज हैं वे व्यापार से स्वतः ही बाहर हो जाएंगे। इस संकट की घड़ी में कोई बिना मांगे पेमेंट भेज रहा है और कोई पेमेंट करने को तैयार नहीं है, जबकिकई भेज रहे हैं पर थोड़ी मात्रा में। यह सब उनके इरादे और ट्रस्ट फैक्टर को तय करता है जो उन्हें लम्बे समय में फायदा नुक्सान करेगा। जिनका पेमेंट समय पर हैं या थोड़ी देर से भी है तो भविष्य में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। लेकिन, जो लोग विश्वास नहीं बना सकते, उन्हें नुकसान होगा चाहे वह व्यापार हो, मैन्युफैक्चरिंग हो या मेटेरियल सप्लायर हो। यदि हम मांग, आपूर्ति, भुगतान और उत्पादन को धैर्य के साथ संतुलित कर लें तो सब कुछ अपने आप नियंत्रण में हो जाएगा।

श्री बॉबी वमार्ः पार्टिकल बोर्ड में भी पेमेंट प्लाइवुड जैसी ही थी। पिछले दो वर्षों से पार्टिकल बोर्ड में कोई नया प्लांट नहीं लगा। सबकी अपनी सेल्स सेटल है लेकिन डिमांड बढ़ रही है। इसी तरह बाजार का भी विस्तार हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए तभी आपको अच्छे ग्राहक मिलेंगे और पेमेंट भी समय पर होगा। जुलाई से सितंबर के दौरान संभावित अनुमान

श्री गोपाल बंसलः हम इस समय तक 100 फीसदी वापसी कर लेंगे और बाजार भी उसी तरीके से आगे बढ़ेगा। जो मेहनत करता है उसका फल मिलता है। सब कुछ व्यवस्थित होना है क्योंकि पिछले साल बाजार में ठहराव के बाद भी उठा था। हमें अनिश्चितता में नहीं पड़ना चाहिए, अब बाजार एक संगठित तरीके से खुल रहा है और हमारे पास बहुत अधिक अवसर हैं इसलिए उन्हें देखें और अपना समय बर्बाद किए बिना आगे बढ़ें। हमारे कुछ डीलर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अच्छे परिणाम हासिल कर रहे हैं जबकि उनमें से कुछ आराम कर रहे हैं।

 श्री बॉबी वमार्ः वुड पैनल इंडस्ट्री में किसी व्यवसाय के लिए मार्च, अप्रैल और मई का मौसम अच्छा होता है जो अब जून और उसके बाद शिफ्ट हो गया है। पिछले साल भी बाजार खुलने के बाद तेजी से उछाल आया था, फिर से ऐसा होने वाला है और डिमांड निश्चित रूप से 100 फीसदी होगी।

श्री अमित गोयलः लॉकडाउन खुलने के बाद बाजार में तेजी से मांग बढेगी क्योंकि मॉड्यूलर फर्नीचर और ऑनलाइन फर्नीचर की  बिक्री कई गुना बढ़ गई है और यह कोविड के बाद भी जारी रहेगी 

हम इस समय तक 100 फीसदी वापसी कर लेंगे और बाजार भी उसी तरीके से आगे बढ़ेगा। जो मेहनत करता है उसका फल मिलता है। सब कुछ व्यवस्थित होना है क्योंकि पिछले साल बाजार में ठहराव के बाद भी  उठा था। हमें अनिश्चितता में  नहीं पड़ना चाहिए, अब बाजार एक संगठित तरीके से खुल रहा है और हमारे पास बहुत अधिक अवसर हैं इसलिए उन्हें देखेंऔर अपना समय बर्बाद किए बिना आगे बढ़ें। हमारे कुछ डीलर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और अच्छे परिणाम हासिल कर रहे ह

क्योंकि कई उपभोक्ता अपने घरों में कारपेंटर को नहीं बुला रहे हैं, संक्रमण का डर है। जब लेवर और बढ़ई बाजार में वापस आएंगे तो प्लाइवुड की बिक्री में भी उछाल आएगा।

श्री संजय गगर्ः अमेरिकी फर्नीचर बाजार आज तेजी से बढ़ रहा है और बिक्री अब दस गुना है। वे कोविड से हताहत होने के मामले में दुनिया में सबसे ऊपर हैं। भारत का बाजार भी इसी तरह रियेक्ट करेगा और इन दो महीनों में हुए नुकसान जुलाई-सितंबर में कवर हो जाएंगे। हम कच्छ का उदाहरण लेते हैं; 2002 में यहां भूकंपआया था, लोग सोच रहे थे कि इस क्षेत्र के पुनरुद्धार की कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन यह पुनर्जीवित हो गया और आज वापसी करनें के लिए साहस और ताकत का एक उदाहरण पेश करता है। हम निश्चित रूप से महीने दर महीने अच्छी प्रगति करेंगे। प्लाइवुड अपना प्रभाव कभी नहीं खोएगा। यदि इसके उपयोग का कुछ हिस्सा एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड में चला भी जाता है, तो अन्य अप्लीकेशन में इसकी भी जरूरत बढ़ी है। यदि आप गुणवत्तापूर्ण मेटेरियल के साथ काम करना चाहते हैं, और अच्छी तरह से काम करना चाहते हैं तो आपको समय पर पेमेंट करना होगा। स्लो पेमेंट आने वाले समय में अधिक टिकने वाली नहीं है।

श्री मनीष केडिया: पाइपलाइन खाली पड़ा है, और लोगों की आवाजाही शुरू हो चुकी है, तो यह चिंगारी निश्चित रूप से धीरे बड़ी आग में बदल जाएगी। जुलाई-सितंबर निश्चित रूप से डिमांड, सप्लाई और पेमेंट के मामले में भी असाधारण होगा। सभी के लिए जीत ही जीत की स्थिति होगी।

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