डेकोरेटिव लेमिनेट उत्पादकों को जुलाई के बाद मांग बढ़ने की उम्मीद

person access_time   4 Min Read 28 August 2021

‘डेकोरेटिव लेमिनेट बिजनेसः राइडिंग बियोंड दी सेकंड वेव’ विषय पर प्लाई रिपोर्टर द्वारा आयोजित वर्चुअल मीटिंग में इंडस्ट्री के लीडर्स ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखंे। कार्यक्रम को देश के अग्रणी डेकॉर पेपर निर्माता एमबी प्रिंट ने स्पॉन्सर किया था। कार्यक्रम के पैनल में शामिल थे श्री राकेश अग्रवाल, एमडी, अमूल्य माइका; श्री विकास अग्रवाल, प्रेसिडेंट, इलमा; श्री सुरिंदर अरोड़ा, एमडी, वर्गो ग्रुप; श्री जेएल आहूजा, निदेशक, आइका लेमिनेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड; श्री विशाल दोकानिया, निदेशक, सीडार डेकॉर प्राइवेट लिमिटेड; श्री संदीप आहूजा, आहूजा एंड कंपनी, मुंबई; श्री नवीन गुप्ता, रिलायंस प्लाइवुड कॉर्पोरेशन, बैंगलोर और श्री आर के चोटिया, जय श्री इंडस्ट्रीज, जयपुर। कार्यक्रम का संचालन प्लाई रिपोर्टर के प्रधान संपादक श्री प्रगत द्विवेदी ने किया।

ेविड के दुसरे वेव के बाद के हालत पर

श्री विकास अग्रवालः बाजार खुलने के बाद इस बार भी मांगबढ़ेगी क्योंकि पिछले तीन महीने से काम ठप है। इंडस्ट्री के सामने एकमात्र समस्या लिमिटेड सप्लाई के कारण कच्चे माल की कीमतें बढ़ना है। स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, क्योंकि जिनके पास स्टॉक में है वे ज्यादा कीमत बसूली करना चाहते है। आज हम चीन को डिमोटिवेट करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा हैं, क्योंकि जब यूरोप में लॉकडाउन था, तब चीन बहुत अधिक उत्पादन कर रहा था। यह दिक्कत छह महीने तक रह सकता है जब तक की वैश्विक स्तर पर उत्पादन फिर से शुरू नहीं हो जाता। इसके अलावा, बाजार में कोई समस्या नहीं है इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मिलकर काम करना होगा।


श्री सुरिंदर अरोड़ाः भारत में दूसरी लहर के बाद, कच्चे माल की कम मांग के बावजूद कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि अब यह एक अंतरराष्ट्रीय स्थिति बन गई है। हम फिनोल, क्राफ्ट पेपर आदि जैसे कच्चे माल के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार पर अधिक निर्भर हैं। श्री जेएल आहूजाः जून के दूसरे सप्ताह से स्टॉक में मूवमेंट शुरू हुआ है। मुझे लगता है कि जुलाई और अगस्त से रिकवरी 70 से 80 फीसदी होगी क्योंकि मानसून शुरू होने वाला है। आम तौर पर जून और जुलाई बहुत अच्छा नहीं होता हैं क्योंकि फसल के मौसम में लेवर की कमी रहती है।


संगठित व असंगठित उद्योग के कामकाज पर

श्री संदीप आहूजाः पिछले साल संगठित क्षेत्र ने निश्चित रूप से असंगठित क्षेत्र से अच्छा परफॉर्म किया क्योंकि उन्होंने धैर्य के साथ बाजार के उतार चढाव का सामना किया और कंपनी तथा वितरकों को भी मैनेज किया। उम्मीद है संगठित क्षेत्र में डिमांड बेहतर रहेगी क्योंकि उनके पास स्टॉक रखने की क्षमता असंगठित क्षेत्र से अधिक है और उत्पादन भी जारी है। इसलिए, हमारे ऑर्डर

शेड्यूल के अनुसार भेज दिया जाएगा। निर्माताओं और वितरकों ने पिछले साल की मुश्किलों में ग्राहकों की पहचान की और उन्हें सेग्रीगेट करना सीखा है; कि गुड पे मास्टर कौन हैं और कौन नहीं? इसलिए, अच्छे पार्टी को सप्लाई मिलती रहेगी।

 

श्री राजेंद्र चोटियाः लॉकडाउन से ब्रांडेड प्लेयर्स को काफी सपोर्ट मिल रहा है। दूसरी लहर के बाद भी उनके लिए सप्लाई की कोई समस्या नहीं होगी।

श्री नवीन कुमार गुप्ताः पेमेंट और सेल्स उद्योग के दो पहिए हैं। मुझे लगता है कि ब्रांडेड या गैर-ब्रांडेड दोनों सेगमेंट धीरे-धीरे मजबूत स्थिति में होंगे। थोड़ा अंतर हो सकता है पर इसे ठीक करने के लिए असंगठित क्षेत्र को अपनी गुणवत्ता में सुधार करना होगा। मेरा मानना है गुणवत्ता में सुधार से थिकनेस का महत्व कम हो जाएगा।


पेमेंट कि स्थिति पर

श्री संदीप आहूजाः मुझे लगता है कि जुलाई से पेमेंट सामान्य हो जाएगा। कई दुकानें कोविड से हुई मौतों की वजह से नहीं, बल्कि किराये, ब्याज और अन्य दिक्क्तों के कारण बंद हुई। दूसरी ओर कई दुकानें अच्छी सेल्स कर रही हैं और शोरूम आदि की ओर बढ़ रही हैं।

श्री विशाल दोनाकिनाः फाइनांस ही बिजनेस है और बिजनेस ही फाइनांस। बहुत सारे छोटे व्यवसाय, कंपनियां इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते। यदि आप कैश फ्लो की मूल अवधारणा को समझकर काम करते हैं तो बिजनेस में मुश्किलें नहीं आएगी। उतार-चढ़ाव रहेगा लेकिन यह बहुत खराब स्थिति नहीं होगी।

श्री सुरिंदर अरोड़ाः जिनको व्यापार करना है, उन्हें पेमेंट के मामले में साफसुथरा होना होगा, क्योंकि जो विसंगतियों की तलाश करते हैं, वे व्यवसाय में ज्यादा सफल नहीं होते हैं। इस बार भी भुगतान धीमा है लेकिन मुझे यकीन है कि यह आएगा। एक या दो प्रतिशत की दिक्क्तें हो सकती हैं क्योंकि यह एक सामान्य घटना है। 

 

श्री राकेश अग्रवालः पिछली बार लोगो ं के साथ-साथ बै ंको ं और सरकार ने भी उद्योग को सहयोग किया था। लेकिन, ये सहयोग हम तक नही ं पहु ंचे। इसके बावज ूद हमारे बीच सद्भाव और आत्म्विश्वास कायम है। मै ं चैनल पार्टनर्स से अनुरोध करना चाह ू ंगा कि वे लिक्विडिटी फ्लो को न रोके ं। आज उद्योग, समाज केसाथ-साथ देश को भी काम करने के लिए धन की आवश्यकता है। यदि जरूरी हो तो व्यापार में निवेश करें और चक्र को रुकने न दें।


श्री जेएल आहूजाः मैं कहना चाहूंगा कि पिछले साल और इस साल की स्थति में अंतर है। जैसा कि आमतौर पर लेन देन 45 दिन से 60 दिनों तक चलता है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि पेमेंट कोई बढ़ी समस्या है। अप्रत्याशित स्थिति के कारण कुछ 2 से 5 फीसदी तक उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। इसलिए पेमेंट में देरी किसी भी उद्योग या ब्रांड को प्रभावित नहीं करेगी। कोविड 1 और कोविड 2 से हमें यह सीखने को मिला कि लापरवाही हमेशा नुकसान करती है। इसलिए, हमें ख्याल रखना होगा और किसी भी कीमत पर सुरक्षा कि नियमों को नहीं तोड़नें होंगे। हमें स्वास्थ्य के साथ-साथ व्यवसाय में भी सावधान रहना चाहिए। मार्जिन के नुकसान के डर से कीमत घटाकर न बेचें। उद्योग इतना अच्छा है कि जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा क्योंकि पिछले 20 वर्षों में उद्योग का विकास पांच गुना हुआ है और कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है।


लेमिनेट की कीमतों और इसके भविष्य पर

श्री विकास अग्रवालः मुझे लगता है कि तीन-चार महीने कच्चे माल के दाम कम नहीं होने वाले हैं। जब वैश्विक उत्पादन फिर से शुरू होगा, उसके बाद यह औसत हो जाएगा और उपलब्धता बढ़ने से कीमतों में कमी आ सकती है।

श्री सुरिंदर अरोड़ाः पार्टिकल बोर्ड या एमडीएफ कोई नया उद्योग नहीं है। यह 1990 के दशक से है। उस समय भी हम सुनते थे कि यूरोप या अन्य देशों में 90 फीसदी पैनल पार्टिकल बोर्ड हैं। लेमिनेट के निर्यात में भारत अभी भी नंबर वन है। कोई भी आने वाला उद्योग अचानक सब कुछ नहीं बदल देता है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज मशीन का काम है, जहाँ प्री-लैम पार्टिकल बोर्ड के फायदे हैं। यह आमतौर पर कॉरपोरेट सेक्टर में तेजी से काम के निष्पादन के लिए इसका उपयोग किया जाता है और उन्हें इसकी आवश्यकता भी है। लेकिन, ज्यादातर लोगों के बीच इसका उपयोग अब तक नहीं है। लेमिनेट का उत्पादन इतना बड़ा है कि अचानक इसे बदलना संभव नहीं है। दूसरे, उत्पाद की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए सरकारी वन नीतियां भी देखनी होगी। इसलिए इसका हम पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। इसमें 15 से 20 साल और लगेंगे।

श्री विकास अग्रवालः यह उद्योग 15 से 20 वर्षों में 5 गुना बढ़ा है। हम पार्टिकल बोर्ड में भी हैं और इस सेगमेंट में भी हमने इतना ही ग्रोथ किया है। लेमिनेट प्रभावित नहीं हुआ, और हर सेगमेंट बढ़ रहा है।

श्री राजेंद्र चोटियाः हम परिदृश्य में थोड़ा बदलाव देख रहे हैं जो निश्चित रूप से कुछ बाजार पर कब्जा कर लेगा, लेकिन लेमिनेट प्रभावित नहीं होगा।

पार्टिकल बोर्ड या एमडीएफ कोई नया उद्योग नहीं है। यह 1990 के दशक से है। उस समय भी हम सुनते थे कि यूरोप या अन्य देशों में 90 फीसदी पैनल पार्टिकल बोर्ड हैं। लेमिनेट के निर्यात में भारत अभी भी नंबर वन है। कोई भी आने वाला उद्योग अचानक सब कुछ नहीं बदल देता है।

लाइनर लेमिनेट की व्यवहार्यता और इसके उपयोग पर

श्री विशाल दोकानियाः लाइनर एक इंजीनियर्ड प्रोडक्ट है जो लेमिनेट के जैसा ही है। यदि फर्नीचर के सरफेस के लिए एक शीट की जरूरत होती है तो निश्चित रूप से अंदर चार गुना की जरूरत होगी। तकनीकी रूप से अलमारी के अंदर गहरे रंग और डिजाइन लगाने का कोई मतलब नहीं है। यही कारण है कि सफेद लाइनर सबसे अधिक बिकता है इसलिए स्वाभाविक रूप से इसमें लागत प्रभावशीलता होगी। इसकी कीमत को भी ऑप्टिमाइज किया जाएगा। इसलिए, लाइनर के कच्चे माल की पूरी सीरीज को ऑप्टिमाइज किया जाता है और पेमेंट भी आमतौर पर कैटलॉग की तुलना में तेज होते हैं। यदि किसी के पास लाइनर बनाने और उद्योग को विकसित करने की क्षमता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।

श्री जेएल आहूजाः मूल रूप से, हर थिकनेस एक सेगमेंट है और इसकी जरूरत भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार पूरी तरह से 0.8 मिमी की है क्योंकि इसके लिए फेयर रिटरडेंट होने की अनिवार्यता नहीं है। तो, बाजार 0.8 मिमी में स्थानांतरित हो गया और पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ ने धीरे-धीरे 1 मिमी की जगह ले ली। एमडीएफ के बारे में कहूं तो कुछ बाजार प्री-लैम में जाने लगे हैं। लाइनर अपने आप में एक ऐसा उत्पाद है जिसका अपना मार्केट सेगमेंट है। मैं एक सेगमेंट का लाइनर बनाता हूं और इसका डीलरों का आधार भी है। उस सेगमेंट के बाजार में किफायती इंटीरियर की मांग है। मुझे लगता है कि लाइनर का अपना बाजार रहेगा और यह जीवित भी रहेगा।

श्री विशाल दोकानियाः मेरा 1 मिमी, 0.8 मिमी, लाइनर के साथ-साथ फर्नीचर सेगमेंट भी पिछले वर्ष सबसे अधिक व्यापार बढ़ा है। मुझे लगता है कि इस उत्पाद के साथ नकारात्मकता जोड़े गए हैं। लोग नमक और चावल भी बनाते हैं। इसका कोई मतलब नहीं है कि वे बिरयानी बनाकर बेचें।

श्री राजेंद्र चोटियाः लाइनर मूल रूप से पेंट का विकल्प है। इसकी बिक्री आज की बिक्री से बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। 1 मिमी और लाइनर की कोई तुलना नहीं है क्योंकि दोनों अलग-अलग सेगमेंट हैं। एक वितरक को क्या नहीं करना चाहिए?

श्री नवीन कुमार गुप्ताः वितरकों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। अपनी क्षमता, नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से काम करना चाहिए। उसे अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और आपाधापी नहीं करनी चाहिए। पार्टी को परखते हुए सावधानी से आगे बढ़ें, ताकि नुकसान न हो।

ी संदीप आहूजाः उन्हें एक निर्माता से दूसरे निर्माता के पास नहीं जाना चाहिए। धैर्य बनाए रखें और केवल एक कंपनी से काम करें। यह लंबे समय में फायदा करेगा। यदि कोई किसी ब्रांड के प्रति वफादार है, तो बाजार, वितरक और ब्रांड दोनों को एक ही मानता है और इसका फायदा वितरक को मिलता है। मुंबई में कोई भी ग्रीनलैम के बारे में सोचता है, तो वे आहूजा को ही पूछते हैं।

श्री राजेन्द्र चोटियाः निष्ठा के साथ एक कंपनी के साथ काम करें। कंपनी सहयोग करेगी, और ग्राहक भी वफादार होंगे जो आपके व्यवसाय के लिए अच्छा होगा और व्यवसाय बढ़ेगा भी। हम 18 वर्षों से केवल सेंचुरी लेमिनेट्स के साथ काम कर रहे हैं जिससे हमें बहुत मदद मिली।

श्री सुरिंदर अरोड़ाः कई बार निर्माता छोटी-छोटी चीजों के लिए वितरक को जिम्मेदार ठहराते हैं। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए और उनकी समस्याओं को भी समझने के साथ एक संतुलन होना चाहिए। स्वार्थी दृष्टिकोण कभी अच्छा नहीं होता।

श्री विशाल डोनाकिनाः वितरक हमारे साझेदार हैं और यह दोतरफा संबंध लंबे समय तक कायम तभी रह सकता है जब दोनों को फायदा हो। एक निर्माता के रूप में हम यहीं चाहते है कि हमारे वितरक जीतें, क्योंकि अगर वितरक जीत रहे हैं, तो मैं जीतूंगा! और यही बात वितरकों और उनके डीलरों पर भी लागू होती है। चैनल में सभी यह सुनिश्चित करें कि उनका निचली कड़ी जीतें, आप निश्चित रूप से जीतेंगे।

श्री जेएल आहूजाः हम इस उद्योग में आकर बहुत ही सौभाग्यशाली महसूस करते हैं। जो कुछ भी मुश्किलें पैदा हुई है, कोई बात नहीं; यह उद्योग फिर भी आगे बढ़ने वाला है। इसका कारण यह है कि यह बुनियादी ढांचे का हिस्सा है। हम वास्तव में पूरे लेमिनेट, प्लाइवुड और एमडीएफ को एक उद्योग ‘फर्नीचर उद्योग‘ के रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सरकार के स्तर पर उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत फर्नीचर विभाग बनाया जाए। हमारा कोई गार्जियन नहीं है और अब भारत सरकार इस फर्नीचर उद्योग को प्रायोरिटी सेक्टर के रूप में मान्यता दे रही है। तो, सभी कच्चे माल, कम्पोनेंट आदि एक इंडस्ट्री के अंतर्गत हो जाएंगे। यह हमारा प्रयास है और यह उद्योग हमारे बुनियादी ढांचे का हिस्सा है तो अगले 10-15 साल मुझे लैमिनेट इंडस्ट्री में  कोई दिक्कत नहीं लगती है। अगली पीढ़ी विकास के लिए बहुत आश्वस्त महसूस करेगी।

निष्कर्ष

निर्माता और वितरक, एक ही बात पर सहमत हैं कि जुलाई से या मानसून के कारण एक महीने बाद कारोबार फिर से वापस आ जाएगा, और हम फिर से उस पहले वाले स्तर पर होंगे। दूसरा, चर्चा में स्पष्ट है कि संगठित प्लेयर्स ने इस कोविड काल में अपनी स्टॉकिंग और डिलीवरी को मजबूत किया है। जबकि असंगठित क्षेत्र खराब वित्तीय योजना में फंस गया और किसी तरह उबरने की कोशिश कर रहा है। आपूर्ति कम हो या ज्यादा सही व्यवसायी निश्चित रूप से पांच गुना बढे हैं। ये डिफॉल्ट स्थिति में नहीं होंगे। यह समय आकस्मिक निधि का उपयोग करने का है क्योंकि सरकार इस स्थिति में नहीं है कि उस तरह सहयोग कर सके जिस तरह उन्होंने पिछले साल सक्रियता दिखाई थी। कुछ समय के लिए तरलता की कमी रहेगी, क्योंकि धन बाजार में ही रहता है जो निश्चित रूप से लोगों के मन से डर दूर होने के बाद वापस आ जाएगा।

महत्वपूर्ण बिंदु


- एक-दो महीने में बाजार और पेमेंट स्थिर हो जाएगा।
- यदि व्यवसाय में निवेश करने के लिए आश्वस्त हैं तो आपका अस्तित्व कायम रहने की संभावना अधिक है, यदि पेमेंट रोकते हैं तो इसका नुकसान उठाना पड सकता है क्योंकि सप्लायर आपकी रेटिंग कर रहे हैं। इसलिए, असुरक्षित हुए बिना फ्लो जारी रखें और व्यवसाय के पुनरुद्धार के समय अपनी रेटिंग बनाए रखें।
- प्री लैम बोर्ड से लेमिनेट बाजार में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है।
- वितरक मानते हैं कि पेमेंट स्लो है पर इसमें सुधर होने में कोई संदेह नहीं है।
- पार्टियां हर तरफ से एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं। देर हो सकती है लेकिन पेमेंट जरूर आएगा।
- बाजार से गायब हो रहे नॉन कमिटेड प्लेयर्स को सप्लाई करना अदूरदर्शिता होगी।

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