बरसात के मौसम और कच्चे माल की बढ़ती लागत से पार्टिकल बोर्ड प्लांट्स का मार्जिन प्रभावित हुआ है। कच्चेमाल की कीमतों में तेज वृद्धि होने के साथ विशेष रूप से गुजरात स्थित हार्ड वुड बेस्ड पार्टिकल बोर्ड यूनिटों को काफी परेशानी हो रही है। पार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्री पिछले साल अच्छी ग्रोथ दर्ज की थी जो अब मंदी के दौर से गुजर रही है। इसलिए कई कंपनियो का प्रॉफिट मार्जिन गिरता जा रहा हैं क्योंकि बाजार में पार्टिकल बोर्ड की कीमत घटती जा रही हैं जबकि कच्चे माल पिछले 3 महीनों से तेजी से बढ़ रहा है।
उत्पादकों का मानना है कि लकड़ी की कीमतों में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और आयातित लकड़ी की लगातार बढ़ती कीमतों के साथ इसकी उपलब्धता भी महंगी होती जा रही है। इसके विपरीत एसोसिएशन्स द्वारा किए गए प्रयासोंके बावजूद तैयार माल की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। मोरबी में नीलगिरी की कीमतों में भी तेजी आई है, जबकि उत्तर में भी, सफेदा की कीमतें तेजी से बढ़ी है। गुजरात स्थित पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं का कहना है कि उद्योग पर दोनों तरफ सेदबाव है; एक तरफ लकड़ी, फॉर्मल्डिहाइड, मेलामाइन जैसे कच्चे माल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं तो दूसरी ओर जून और जुलाई में मांग में गिरावट आई है।
गौरतलब है कि पार्टिकल बोर्ड सेगमेंट का ग्रोथ 2020 में कोविड की पहली लहर के बाद पूरे जोरों पर था। क्षमता वृद्धि के साथ उभरते फर्नीचर निर्माताओं की मांग ने उद्योग को तेजी हासिल करने में काफी सहायक था। अब बढ़ती इनपुट कॉस्ट और तैयार माल की घटती कीमतों के साथ स्थिति अलग है। इसके अलावा, क्षमता वृद्धि भी हुई है क्योंकि पहले से ही लगभग 250 सीबीएम प्रति दिन की क्षमता वाली लगभग 6 मध्यम आकार की लाइनें पाइपलाइन में हैं। कुछ बड़े प्लेयर्स 400 से अधिक सीबीएम प्रतिदिन की क्षमता के पार्टिकल बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग में उतरने पर भी विचार कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेडीमेड फर्नीचर की बढ़ती मांग के कारण पार्टिकल बोर्ड निर्माताओं के पास फर्नीचर और रिटेल सेक्टर से काफी ऑर्डर थे लेकिन तैयार उत्पादों की कीमतवसूली नहीं हो रही है। चीन, मलेशिया से रेडीमेड फर्नीचर के आयात प्रतिबंध ने भी घरेलू उत्पादकों को सहयोग किया जिससे पार्टिकल बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि हुई।