टिम्बर की बढ़ती लागत के बावजूद, एमडीएफ की कीमतें स्थिर

person access_time3 26 April 2022

एमडीएफ उद्योग टिम्बर की बढ़ती लागत को अवशोषित करने में सक्षम है, हालाँकि बढ़ती कीमते कुछ महीनों से पूरे वुड पैनल इंडस्ट्री और ट्रेड को पस्त कर रखा है। एचडी ़ एमआर ग्रेड मेटेरियल की वैल्यू ऐडिशन के चलते एमडीएफ पैनल की मांग में तेजी है, जहां कमाई के मौके तुलनात्मक रूप से बेहतर है। पिछले 2 महीनों में पीलिंग ग्रेड टिम्बर की लागत में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि फाइबर ग्रेड टिम्बर की कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है। यही कारण है कि एमडीएफ मैन्यूफैक्चरर्स अभी भी कीमतों में वृद्धि को सहन करने में सक्षम हैं।

प्लाई रिपोर्टर के मार्केट फीड से पता चलता है कि एमडीएफ में ऑर्डर पेंडेंसी घटकर 10 दिन तक आ गया है, जो कि एक साल से 30 दिनों से ऊपर था। इसका कारण यह भी है कि दो और लाइनों पर उत्पादन शुरू होने के बाद पिछले दो महीनों में एमडीएफ की आपूर्ति में सुधार हुआ है, साथ ही नई लाइनों पर उत्पादन शुरू होने के कारण और कई लोगों ने अपनी उत्पादन क्षमता का उपयोग भी बढाया है।

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन पैनल इंडस्ट्रीज ने अपने लाइन में नए उपकरण जोड़कर आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड स्थित एमडीएफ इकाइयों में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है। एक्शन टेसा ने भी अपना आउटपुट बढ़ाया है। रुशिल डेकॉर भी पिछले महीने आंध्र प्रदेश यूनिट की क्षमता उपयोग में सुधार किया है। उत्तर भारत में, क्रोस्टा पैनल्स ने यमुनानगर में अपने थिन एमडीएफ का उत्पादन शुरू कर दिया है, इसके अलावा ऐडलरवुड और ट्रीनॉक्स भी लेमिनेट्स और प्रीलैम बोर्डों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अपने प्लांट की स्थापना और आधुनिकीकरण कर रहे हैं।

विभिन्न एमडीएफ प्लांट में साल के अंत में क्लोजिंग, रेवेन्यू और प्रोफिटेबिलिटी में तेज वृद्धि देखी जा रही है, इस वजह से कंपनियां कोई और कीमतें बढ़ने के लिए ‘वेट एंड वॉच‘ की स्थ्तिि में हैं। यह भी सच है क्योंकि भारत में एमडीएफ में काफी कैपेसिटी ऐडिशन हो रहा है, जो 2023 में उत्पादनमें आ जाएगा, इसलिए अब कीमतें स्थिर ही रहने की उम्मीद है। लगभग 400 क्यूबिक मीटर की एक नई लाइन के साथ होशियारपुर पंजाब स्थित सेंचुरीप्लाई की यूनिट में क्षमता वृद्धि की गई, जो कुछ महीनों में कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू कर देगी। यह स्पष्ट है कि केमिकल की कीमतों में नरमी के साथ

एमडीएफ में कीमतें थोड़े समय के लिए स्थिर रहेंगी। यह देखने वाली बात है कि आने वाले महीनों में इनर्जी कॉस्ट, टिम्बर का इनपुट कॉस्ट का प्रॉफिट पर कितना प्रभाव पड़ता है। चूंकि हर कोई मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए अपनी अधिकतम संभव क्षमता का उपयोग करने का प्रयास कर रहा है, इसलिए आपूर्ति में स्थिरता भी रहने वाली है।

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