जीएसटी कार्यान्वयन के लगभग दो वर्षों के बाद, इस प्रणाली में कर चोरी के संबंध में नियम अधिक कठोर और सक्षम बनाने के प्रयास किये जा रहे है क्योंकि बी2बी सेगमेंट में कर चोरी की अनेक शिकायतें विभाग को प्राप्त हो रही हैं। वुड पैनल उद्योग भी, बड़े पैमाने पर असंगठित होने के कारण उनके दायरे में प्रमुखता से है। सरकार अब राजस्व तथा टैक्स के अनुपालन बढ़ाने के लिए चोरी-विरोधी उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। काॅसिल ने अधिकारियों के दो समितियों का गठन किया है, जिनमें से एक ई-इनवॉइस (ई-चालान) प्रणाली शुरू करने की व्यवहार्यता पर ध्यान देने के लिए और दूसरी चालान को कारगर बनाने और अनुपालन के बोझ कम करने के लिए बनाई गई है। ये समितियां अगले महीने तक अंतरिम रिपोर्ट का फाइनल खाका तैयार कर लेंगी।
मीडिया रिपोर्टं के अनुसार जीएसटी अधिकारी एक निश्चित टर्नओवर से ऊपर के व्यवसायों के लिए एक प्रणाली विकसित कर रहे हैं, जिसे अपनी हर एक बिक्री के लिए सरकार या जीएसटी पोर्टल पर ‘ई-चालान‘ जेनेरेट करना होगा, बिलकुल उसी तरह से जैसे ई-वे बिल बनाया जा रहा है। संबंधित विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वुड पैनल, हार्डवेयर, सेनेटरी वेयर, फर्नीचर, बिजली के सामान इत्यादि बनाने और इसका ट्रेडिंग का काम करने वाली छोटी व्यावसायिक संस्थाओं के खिलाफ कई शिकायतें आ रही हैं। एक अध् िाकारी ने बताया कि हमें बड़ी मात्रा में यह शिकायतें मिल रही हैं कि ये संस्थाएं जीएसटी चार्ज तो कर रही हैं लेकिन रिटर्न दाखिल नहीं कर रही हैं। उन्होंने ये भी कहा कि चूंकि शिकायतों की संख्या बहुत बड़ी है, इसलिए विभाग संभावित कर चोरी की मात्रा का पता लगाने और उन्हें अनुवर्ती कार्रवाई के लिए फील्ड कार्यालयों को संदर्भित
करने के लिए एक तंत्र विकसित कर रहा है।
कार्यान्वयन के बाद नई प्रणाली में, इन व्यवसायों को एक सॉफ्टवेयर प्रदान किया जाएगा, जो ई-चालान बनाने के लिए जीएसटीएन या एक सरकारी पोर्टल से जुड़ा होगा। उन्हें प्रत्येक इनवॉइस के इलेक्ट्रॉनिक चालान के लिए एक यूनिक नंबर मिलेगी जिसे सेल्स रिटर्न और भुगतान किए गए करों से मिलान किया जा सके। ई-चालान की प्रस्तावित प्रणाली अंततः माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता को प्रतिस्थापित करेगी, क्योंकि
जीएसटीएन के माध्यम से ही चालान भी जेनेरेट होगा।
वर्तमान में 50,000 रुपये से अधिक के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल आवश्यक है। अधिकारी ने आगे कहा कि एक बार पूरी तरह ई-टैक्स इनवॉइस जेनरेट होना शुरू हो जाएगा, तो यह व्यवसायों द्वारा रिटर्न फाइलिंग के बोझ को कम कर देगा क्योंकि इनवॉइस के माध्यम से डेटा रिटर्न फॉर्म में ऑटो-पॉप्युलेट होगा। अधिकारी ने आगे कहा कि नई गठित समितियों को वैश्विक मॉडल विशेष रूप से लैटिन अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप जैसे देशों में लागू प्रणाली का अध्ययन करना होगा। वे ई-चालान जेनरेशन के तरीके को अपनाने के लिए व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के तरीकों पर भी ध्यान देंगे।
जीएसटी के तहत 1.21 करोड़ से अधिक पंजीकृत व्यवसाय हैं, जिनमें से 20 लाख कंपोजिशन स्कीम के तहत हैं। 2019-20 के लिए, सरकार ने केंद्रीय जीएसटी से 6.10 लाख करोड़ रुपये और कम्पोजिशन स्कीम के रूप में 1.01 लाख करोड़ रुपये इकठा करने का प्रस्ताव किया है। 2018-19 में केंद्रीय जीएसटी कलेक्शन 4.25 लाख करोड़ रुपये था, जबकि कम्पोजिशन स्कीम से 97,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।