यूपी में नए प्लाइवुड लाइसेंस खुलने के अवसर

person access_time   3 Min Read 14 July 2018

लकड़ी की उपलब्धता के आधार पर, उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए नए लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू की है। विभाग ने आठ श्रेणियों में उद्योग स्थापित करने के लिए नए लाइसेंस हेतू ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया है। श्रेणियां जिनमें शामिल हैंः 1)सॉ मिल, 2) विनियर 3) प्लाइवुड, 4)विनियर और प्लाइवुड, 5) स्टैंड अलोन चिपर, 6) एमडीएफ/एचडीएफ, 7) पार्टिकल बोर्ड, 8) एमडीएफ/एचडीएफ और पार्टिकल बोर्ड। नए लाइसेंस के लिए आवेदक संबंधित जिले में विभागीय वन अधिकारी/विभागीय निदेशक के कार्यालय से संपर्क कर सकते है और ऑनलाइन आवेदन जमा करने में अधिकारियों की सहायता ले सकते है इसके साथ ही राज्य स्तरीय समिति, डब्ल्यूबीआई उत्तर प्रदेश के कार्यालय में सदस्य सचिव से भी संपर्क कर सकते है। आवेदन के लिए विभाग के मानदंड और योग्यता उनकी विभाग की वेबसाइट पर विस्तार से दी गई है।

यूपी के वन विभाग ने लकड़ी आधारित उद्योगों के चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए नियम और शर्तों में संशोधन किया है। अब आवेदक को अपने नेट वर्थ के लिए 3 साल की ऑडिट बैलेंस शीट, 3 साल की आयकर रिटर्न, बैंक से सॉल्वैसी प्रमाण पत्र या आवेदन के समय किसी अन्य जरूरी दस्तावेज के साथ, सम्बंधित दस्तावेज जमा करना जरूरी है ताकि वास्तविक आवेदकों को लाभ हो सके।

चूंकि डब्ल्यूबीआई की प्रत्येक श्रेणी में मशीनरी सीधे लकड़ी की खपत से जुड़ी हुई है, इसलिए राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) ने प्रत्येक श्रेणी के संचालन के तहत मशीनरी की संख्या को तर्कसंगत बनाने का फैसला किया है। आवेदक को ऑनलाइन आवेदन जमा करते समय ‘अर्नेस्ट मनी‘ के रूप में डब्ल्यूबीआई की प्रत्येक श्रेणी के लिए लगाए जाने वाले वार्षिक शुल्क के बराबर राशि जमा करनी होगी। प्रत्येक श्रेणी के तहत न्यूनतम और अधिकतम संख्या में मशीनरी जिसके लिए आवेदक आवेदन कर सकता है, निम्नानुसार होगाः -

लाइसेंस दो चरण में दिया जाएगा। सफल होने पर, आवेदकों को सैद्धांतिक मंजूरी/‘ऑफर लेटर‘ जारी किया जाएगा, जो कि विभिन्न नियमों और शर्तों को निर्धारित करेगा जिसमें भूमि, प्लांट और मशीनरी की खरीद/व्यवस्था, डब्ल्यूबीआई इकाई आदि को चालू करना शामिल है, जो एसएलसी द्वारा निर्दिष्ट समय सीमा के अनुसार होगी। सैद्धांतिक मंजूरी/‘ऑफर लेटर‘ प्राप्त होने पर प्रत्येक सफल आवेदक को ‘स्वीकृति पत्र‘ के साथ सैद्धांतिक

मंजूरी/‘ऑफर लेटर‘ जारी करने की तारीख से एक महीने के भीतर डब्लूबीआई की प्रासंगिक श्रेणी पर लागू शेष 4 साल का वार्षिक शुल्क ऑनलाइन जमा करनी होगी। यह लाइसेंस जारी करने से पांचवें वर्ष 31 दिसंबर तक मान्य होगी। इसके बाद, ‘‘वार्षिक नवीकरण शुल्क‘‘ के भुगतान के बाद लाइसेंस को 1 से 5 साल के लिए नवीनीकृत किया जाएगा। असफल आवेदकों की अर्नेस्ट मनी बिना ब्याज के वापस किया जाएगा।

एक आवेदक को अपनी पसंद की श्रेणी में केवल एक लाइसेंस मिल सकता है। सफल आवेदक यूनिट के कमीशन से पहले सैद्धांतिक मंजूरी/‘ऑफर लेटर‘ या जारी किए गए वास्तविक लाइसेंस को हस्तांतरित नहीं कर सकेंगे। प्रत्येक आवेदक को आवेदन पत्र के साथ एक अंडरटेकिंग देना होगा कि वह डब्ल्यूबीआई इकाई की स्थापना और संचालन और एसएलसी, डब्ल्यूबीआई उत्तर प्रदेश, अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी सभी निर्देशों के लिए प्रासंगिक सभी कानूनों/नियमों/निर्णयों का पालन करेगा।

उद्योगों को सड़क के किनारे/रेलवे के किनारे/नहर के किनारे के प्लांटेशन को छोड़कर, निकटतम अधिसूचित जंगलों या संरक्षित क्षेत्रों की सीमा से दस किलोमीटर की हवाई दूरी से अधिक पर ही संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, निकटतम अधिसूचित वन या संरक्षित क्षेत्र की सीमा से हवाई दूरी के बावजूद, औद्योगिक एस्टेट या नगरपालिका क्षेत्र में लकड़ी आधारित उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। अधिसूचना में निहित संरक्षित क्षेत्रों (पीएएस) केा पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र के प्रावधानों को लकड़ी आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए विचार किया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस समाचार को लिखने तक 2000 से अधिक आवेदन आ चुके हैं, जिनमेें ज्यादातर सॉ मिलों के लिए आवेदन हुए हैं, साथ ही प्लाइवुड, पीलिंग, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्रीज के लिए 100 से अधिक आवेदन किए गए हैं। हालांकि, राज्य के पीसीसीएफ की अध्यक्षता में लखनऊ में आयोजित एसएलसी (राज्य स्तरीय समिति) की एक बैठक में यूपी प्लाइवुड के वरिष्ठ सदस्य पदाधिकारियों ने नए लाइसेंस जारी करने से पहले लकड़ी के वर्तमान परिदृश्य और उपलब्धता की समीक्षा करने की मांग की। एसोसिएशन के महासचिव अजय सरदाना ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि उन्होंने राज्य में लकड़ी के स्टॉक डेटा प्राप्त करने के लिए वन अधिकारी से अनुरोध किया है, क्योंकि पिछले 3-4 सालों से उद्योग द्वारा स्थापित आधुनिक मशीनों के कारण लकड़ी की खपत बढ़ी है, इसलिए नए लाइसेंस जारी करने से पहले लकड़ी की उपलब्धता के वास्तविक परिदृश्य पर विचार किया जाना चाहिए।

एआईपीएमए के अध्यक्ष श्री देवेंद्र चावला ने कहा कि प्लाइवुड की वर्तमान आपूर्ति मांग से अधिक है, लेकिन अगर सरकार स्मार्ट शहरों और अन्य विकास परक परियोजनाएं चलाती है तो बाजार मेंसुधार होगा। यूपी में नई क्षमता वृद्धि निश्चित रूप से आपूर्ति को बढ़ाएगा, साथ ही लकड़ी की उपलब्धता को भी प्रभावित करेगा। यदि यह किसानों को लाभ देता है और वे अधिक प्लांटेशन के लिए प्रेरित होंगे, तो यह लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए अच्छा है।

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