प्रोडक्शन वाॅल्यूम के आधार पर प्रतिस्पर्धी माहौल‘, पोपलर लाॅग की कीमतों में वृद्धि का बड़ा कारण है

person access_time   4 Min Read 15 October 2018

कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी और प्लाइवुड की कीमत में वृद्धि की संभावना पर उद्योग का दृष्टिकोण जानने के लिए प्लाई रिपोर्टर ने आल इंडिया प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) के प्रेसिडेंट श्री देवेंद्र चावला से बात की। श्री चावला, जो प्लाइवुड उद्योग की जरूरतों और इसके कल्याण के लिए हमेशा सक्रिय रहते हैं, उन्होंने समय-समय पर उत्पादन की मात्रा में कमी को लेकर जल्द से जल्द अनुमानित मूल्य वृद्धि करने पर बैठक की तत्काल आवश्यकता व्यक्त की है। बातचीत के अंश विस्तार से पढ़ें ...

Q. पोपलर की कीमतों में 35-40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इसके क्या कारण हैं?

A. निस्संदेह पिछले 3 महीनों के दौरान पोपलर की कीमतों में 35 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लकड़ी की बढ़ती कीमतों के पीछे काफी हद तक उत्पादन में वृद्धि जिम्मेदार है। वुड पैनल मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की अधिकता ने लकड़ी की मांग में वृद्धि की है। इसके अतिरिक्त, उत्तरी भारत में अनियमित और भारी बारिष के चलते पोपलर लॉग की आपूर्ति में कमी ने आग में घी का काम किया है।

Q.  क्या आप बता सकते हैं कि उत्पादन में अचानक वृद्धि कैसे हुई है?
A. प्लाइवुड प्लांट, जो आमतौर पर पूरे उत्तरी बेल्ट में 12 से 16 घंटे की शिफ्ट पर चलते हैं, ने बड़े प्लांट से दबाव महसूस किया और अपने उत्पादन को बढ़ाया है। यहां तक कि पिछले एक साल के दौरान आने वाले नए संयंत्र भी डे एंड नाइट उत्पादन कर रहे हैं, जिसके बाद कई अन्य इकाइयां भी आक्रामक हो गई और उत्पादकता में वृद्धि की है। बारिश के अलावा उत्पादन की मात्रा के आधार पर ‘प्रतिस्पर्धी माहौल‘ पोपलर लॉग के मूल्य वृद्धि का एक बड़ा कारण है।

Q.  टिम्बर, विनियर और केमिकल की कीमतों में उछाल के बावजूद, हम प्लाइवुड निर्माताओं पर बहुत अधिक दबाव के बारे में सुनते हैं, लेकिन तैयार माल की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं, क्यों?
A. अप्रैल में कीमतों में 6 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की गई थी, लेकिन थोड़े समय के बाद, प्लाइवुड की बढ़ी कीमत गति को बनाए नहीं रख सका। पुराने उत्पादन के साथ-साथ नए कारखानों में उत्पादन में वृद्धि के चलते प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कीमतें फिर से नीचे आ गईं। लॉग की कीमतों में अस्थायी वृद्धि के साथ, निर्माता 8-10 दिनों तक सहन करने में सक्षम थे लेकिन फिर से नीचे आ गया और अब कीमतों में वृद्धि पर भारी दबाव है। मैन्यूफैक्चरिंग कॉस्ट तेजी से बढ़ी है इसलिए उद्योग और व्यापार में सुधार और अच्छे के लिए वास्तविक मूल्य वृद्धि बहुत जरूरी है।

न केवल पोपलर बल्कि हमारे उत्पादों के 2-3 कच्चे माल जैसे फेनाॅल, फोर्मल्डिहाईड और अन्य की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। फेस विनियर एक और क्षेत्र है जिसके चलते यह उतार चढ़ाव और प्लाइवुड की कीमत बढ़ रही है। मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ रहा है, जो भुगतान की स्थिति को प्रभावित कर रहा है। तैयार माल की अतिरिक्त आपूर्ति के कारण भुगतान में हर जगह दिक्कतें है और इसे संयुक्त रूप से नियंत्रित किया जाना चाहिए, जिसके लिए हम स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए बैठक कर रहे हैं ताकि उद्योग और व्यापार स्वस्थ तरीके से काम कर सकें।

फेस विनियर के कुछ विकल्प हैं जिन्हें भारत के भीतर खोजा और विकसित किया जा सकता है। मुझे विश्वास है आने वाले समय में हम फेस विनियर के लिए एक स्वदेशी विकल्प विकसित करने पर काम करेंगे और लागत पर भी विदेशी मुद्रा विनिमय का बचत कर सकेंगे। हम इस मामले पर चर्चा करने जा रहे हैं और फेस को विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

Q. एआईपीएमए का अगला कदम क्या है?

A. एआईपीएमए मूल्य वृद्धि के समापन तक पहुंचने और अवांछित उत्पादन को कम करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसी कई कारखाने हैं जो बंद होने के कगार पर हैं और कई इस स्थिति में आ रही हैं। कम मांग के बावजूद उत्पादन बहुत अधिक है इसलिए मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर को कम करना चिंता का विषय है। ‘ऑल इंडियन प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन‘ लोगों को उनके उत्पादन को कम करने के लिए आम स्वीकार्य तरीकों को खोजने में मदद करेगा।

मेरा मानना है कि जब भी कोई बैठकें होती हैं तो 60 से 80 प्रतिशत लोग भाग लेते हैं और निर्णय का पालन करते हैं और यह उनके स्वयं के भलाई के लिए है। हमने सितंबर माह के पहले पखवाड़े में एआईपीएमए की बैठक के लिए योजना बनाई है, जो सदस्यों को एक साथ निर्णय लेने और लागू करने के लिए कुछ परिणाम और राहत लाएंगे।

Q.प्लाइवुड उद्योग पर जीएसटी का प्रभाव अब तक कैसा है?

A. जीएसटी कार्यान्वयन के बाद पुराने और स्थापित प्लांट, तथा बड़े और मध्यम आकार की इकाइयों को लाभ हुआ है। जीएसटी निश्चित रूप से मध्यम आकार के ब्रांडों को अत्यधिक असंगठित कंपनियों के साथ कम अंतर की वजह से बेहतर बाजार हासिल करने में मदद की है। औपचारिक कार्य संस्कृति में वृद्धि हुई है लेकिन कई छोटे प्लेयर्स को अभी भी औपचारिक कार्य संस्कृति अपनाना है। जीएसटी निश्चित रूप से उद्योग की मदद कर रहा है और काम करने में आसानी हुई है। एआईपीएमए और उसके सदस्यों ने 28 से 18 फीसदी तक जीएसटी कम करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की और यह प्लाइवुड उद्योग के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ है। भविष्य में हम आशा करते हैं कि जीएसटी में, जब 12 और 18 प्रतिशत स्लैब को साथ मिलकर लगभग 15 प्रतिशत स्लैब में किया जाएगा, तो यह उद्योग को फिर से बहुत अधिक बढ़ावा देगा।

Q. जीएसटी के बाद ब्रांडेड और बड़ी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही हैं, आपकी क्या राय है?

A. अपने बाजार में कुछ बड़े ब्रांडों की वृद्धि कुछ भी नहीं बल्कि हम सभी पर एक आरोप का कारण है। बड़े ब्रांड जो प्लाइवुड खरीद रहे हैं, आउटसोर्सिंग कर रहे है और मुद्रित कर सस्ती कीमत पर पेशकश कर रहे हैं, इसके पीछे छोटे उद्योग को नो सर्विवल प्वाइंट की ओर धकेलने की योजना है। छोटी प्लाइवुड इकाइयों के लिए यह दर्दनाक और विनाशकारी योजना वास्तव में वितरकों और डीलरों के लिए समस्या का कारण बन रही है क्योंकि उन्हें मार्जिन भी खोना पड़ रहा है। इसलिए, निर्माताओं और डीलर दोनों को इस जाल में घिरने से पहले कई बार सोचने की जरूरत है।

Q. एआईपीएमए प्रेसीडेंट के रूप में, आप क्या कहना चाहेंगे?

A. आने वाले समय में परिवर्तन सभी के लिए अनिवार्य है और उद्योगों को पर्याप्त पूंजी के साथ संगठित रूप से काम करना चाहिए। भारी ऋण के आधार पर बढ़ते वॉल्यूम या दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूरी में बिक्री बढ़ाने से भुगतान की परेशानियां और आखिरकार बंद होने की ओर बढ़ोतरी होगी। एआईपीएमए मीटिंग में शामिल हों, एआईपीएमए के फैसले को लागू करने में एक दूसरे का समर्थन करें और भुगतान और ऋण के जाल में पड़ने के बजाए अपने मार्जिन और पेमेंट की सुरक्षा करें।

 

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