मेलिया-दूबिया (मालाबार नीम), दक्षिण के प्लाई-पैनल उद्योग के लिए बड़े स्रोत के रूप में उभरेगा

person access_time5 15 February 2019

दक्षिण भारत स्थित प्लाइवुड और पैनल उद्योग भारत के बाजार २० फीसदी मांग का योगदान देता है। इसके सीमित मार्केट शेयर का मुख्य कारण उद्योग के लिए इस क्षेत्र में प्लांटेशन टिम्बर की कम उपलब्धता है, जो पैनल इंडस्ट्री के लिए बहुत आवश्यक है। पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में प्लाइवुड और पैनल इंडस्ट्री द्वारा सफलता की कहानी लिखे जाने के बाद दूसरे राज्यों ने भी इसपर ध्यान देना शुरू किया है। दक्षिण भारत में सरकार, उद्योग और प्लांटर्स प्लांटेशन टिम्बर के सतत विकास के बारे में बहुत चिंतित नहीं थे, लेकिन परिदृश्य धीरे- धीरे बदल रहा है। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में मेलिया-दूबिया (मालाबार नीम) के विशाल प्लांटेशन के संकेत मिलें हंै। रिपोर्ट से पता चलता है कि हाल ही में कर्नाटक सरकार ने मेलिया-दूबिया प्लांटेशन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर करोड़ों निःशुल्क
नमूने वितरित किए, जो 6 से 7 साल की अवधि में कोर विनियर पीलिंग के लिए तैयार हो जाएगा। राज्य सरकारें भी किसानों को इन लकड़ियों की फ्री कटाई और ढुलाई की अनुमति दे दी हैं।

इपिर्ति हमेशा पैनल उत्पादों के मैन्यूफैक्चरिंग के लिए मेलिया-दूबिया के उज्ज्वल भविष्य की वकालत करता है। संस्थान ने एक बयान कहा है कि मेलिया-दूबिया भारत की विविध जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में कृषि व्यवसाय के लिए एक संभावित टिम्बर प्रजाति है। यह एक बहुमुखी और चमत्कारिक पेड़ है। यह 10 से 25 साल के जीवन चक्र के साथ तेजी से बढ़ रहा है, जो विनियर और प्लाइवुड के उत्पादन के लिए विशेष रूप से अनुकूल है।

मालाबार नीम के रिपोर्ट और कई अन्य सफल प्रयोग यह साबित करता है कि यह प्लाइवुड और पैनल मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सटीक और सस्टेनबल रॉ मेटेरियल है। वहां से प्राप्त रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण भारत में एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड की बड़ी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता शुरू होने के कारण एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड का बढ़ता उत्पादन भी किसानों को इन टिम्बर स्पेसीज को लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है।

वर्तमान में दक्षिण भारत में कई प्लाइवुड निर्माता कोर और फेस विनियर के लिए मेलिया-दूबिया (मालाबार नीम) का उपयोग कर रहे हैं, हालांकि यह पोपलर और रबर टिम्बर की तुलना में महंगा है, लेकिन लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में विशाल प्लांटेशन को देखते हुए, उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह कीमतें आने वाले 3 वर्षों में नीचे आ जाएगी।

तथ्य यह है कि भारतीय वुड पैनल और प्लाइवुड का भविष्य मुख्य रूप से उद्योग को लकड़ी की स्थायी आपूर्ति पर निर्भर करता है क्योंकि यह सामग्री की लागत का लगभग 65 फीसदी योगदान देता है। मालाबार नीम की कीमतें अगले 3 वर्षों में दक्षिण आधारित उद्योग के भाग्य का निर्धारण करेगी। उत्तर की सफलता पोपलर और सफेदा की उपलब्धता और सामर्थ्य के कारण है जिसने उत्तर भारतीय प्लाइवुड उद्योग के अग्रणी स्थिति को मजबूत करने में मदद की। पोपलर लॉग्स की बढ़ती कीमतों के साथ, निश्चित रूप से दक्षिण के लिए संभावनाओं का द्वार खुल रहा है, अगर वे उचित मूल्य पर मेलिया-दूबिया हासिल कर सके।

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