कैसे आत्मनिर्भर बनेगा- भारतीय एचडीएफ फ्लोरिंग उद्योग?

person access_time6 30 September 2020

सस्ता आयात, अक्सर डंपिंग का कारण होता है, क्योंकि विभिन्न निर्यातक देशों के निर्माता, संबंधित सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी, सुविधायें व् अन्य प्रोत्साहन, यहां तक की व्यापार में कुछ जोड़ तोड़ की मदद से कीमतें बहुत कम रखते हैं। लेमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग ऐसे उत्पादों में से एक है, जहां चीन से सस्ते आयात ने भारतीय लेमिनेट फ्लोरिंग निर्माताओं के विकास की संभावनाओं को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया है। चीन से सस्ते आयात के चलते एचडीएफ फ्लोरिंग बाजार इतना आहत हुआ कि उत्पादकों में उद्यमिता की ललक ही धीमी पड़ गई।

लेमिनेट और प्लाइवुड सेगमेंट में, भारत ने दशकों पहले अपनी मैन्युफैक्चरिंग की उपयोगिता प्राप्त कर ली। हालाँकि 2009-10 के दौरान, डेकोरेटिव लेमिनेट सेक्टर चीन से किये जाने वाले लेमिनेट के आयात पर भारत सरकार से एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की मांग की, जिससे यहां लैमिनेट मैन्युफैक्चरिंग को गति देने में मदद मिली, यहां तक कि आज भारत के लेमिनेट की मांग दुनिया भर में है। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड सेक्टर में, भारत अब लोकल मैन्युफैक्चरिंग ब्रांड की ओर देखता है, जिस पर पहले आयात हावी था। आयातित एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड की कीमत में बड़ा अंतर होता था, जिसके चलते एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड लाइन में घरेलू उद्योग का विकास नहीं हो पाया था।

1996 से 2008 के दौरान, कुछ घरेलू उद्योगों ने बड़े आयात से प्रतिस्पर्धा करते हुए अपना बाजार बनाने की कोशिश की, इसके बावजूद भी कुछ नहीं हुआ, जब तक कि सरकार ने कुछ एंटी डम्पिंग उपायों के माध्यम से घरेलू उद्योग का साथ नहीं दिया।आज भारत में एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड उद्योग लगभग 85 से 90 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर चुका है। देर से ही सही पर इसी तरह का प्रयास फर्नीचर से जुड़े उत्पाद और फर्निशिंग में किया जा रहा है।

एचडीएफ फ्लोरिंग सेगमेंट में ग्रोथ की संभावना

सम्भावना से भरपूर एचडीएफ फ्लोरिंग सेगमेंट’ अभी भी सस्ते आयात से प्रभावित है, जिन पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। देश में एमडीएफ और एचडीएफ के बड़े प्रतिष्ठानों के डिजाइन यूनिट स्थानीय कारखानों के साथ, भारत में लेमिनेटेड फ्लोरिंग के घरेलू उत्पादकों के लिए एक ठोस आधार तैयार किया है। यह सर्वविदित है कि भारत एक बड़ा बाजार हैं और यहां ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो ग्राहक हैं। आज बढ़ते मध्यमवर्ग और भारतीय लोगों के लिए आवास की बढ़ती मांग के चलते उनके घरों और ऑफिसों में लेमिनेटेड फ्लोरिंग के उपयोग की बड़ी सम्भावना है। इस उत्पाद की आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा आयातित लैमिनेटेड फ्लोरिंग द्वारा पूरा किया जा रहा है जो कि अगर कुछ नीतिगत बदलावों पर विचार किया जाए तो घरेलू इकाइयों द्वारा बहुत अच्छी तरह से पूरा किया जा सकता है।

लेमिनेटेड वुडेन फ्लोरिंग अब टेबल, अलमारी, ऑफिस फर्नीचर आदि की तरह ही एक फर्नीचर आइटम है, क्योंकि जैसे फर्नीचर में ग्राहक को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं होती है, उसी तरह फ्लोरिंग खरीदने के बाद इंस्टालेशन के अलावा कुछ भी  करने की जरूरत नहीं है, और इंस्टालेशन में कुछ भी समय नहीं लगता। आधुनिक फर्निशिंग तब तक पूरी नहीं होती है जब तक कि फर्नीचर के साथ मैचिंग एचडीएफ फ्लोरिंग को इनस्टॉल नहीं किया जाता। यह कम खर्चीला और इंस्टालेशन में भी सुबिधाजनक है, साथ ही इससे स्वास्थ्य को भी कोई खतरा नहीं है, जो कि भारतीय वातावरण में कालीनों के माध्यम से होता है। कोविड के चलते और चीन के प्रति बढ़ते असंतोष और उसके खिलाफ बढ़ती मुखरता के बीच, हमारे देश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही कई नए अवसर भी पैदा हुए है। केंद्र सरकार एसएमई औरएमएसएमई सेक्टर को सहारा देकर समर्थवान और सक्षम बनाने की कोशिश कर रही है ताकि चीन पर निर्भरता कम हो और भारत को आत्मनिर्भर रूप से मैन्युफैक्चरिंग हब में बदला जा सके।

यह अनलॉक भी अधिकतम संभावित क्षेत्रों का पता लगाने के नए अवसरों और नए परिप्रेक्ष्य को भी खोल रहा है, जहां भारत डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग के साथ आसानी से विकसित हो सकता है। आगे बढ़ते हुए, वाणिज्य मंत्रालय और अन्य विभागा ने कई अन्य आयातित वस्तुओं का पता लगाने के साथ लकड़ी, वुडेन फर्नीचर के क्षेत्र में भी उद्योग समूहों और अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बातचीत शुरू कर दिया है क्योंकि ये क्षेत्र आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।

एचडीएफ फ्लोरिंग एक शानदार उत्पाद है, भारतीय घरों के लिए अत्याधिक उपयुक्त है क्योंकि यह एक स्वच्छ,किफायती और यूजर फ्रेंडली इंटीरियर मेटेरियल है, और सबसे बड़ी बात है कि यह भारतीय कंपनियों द्वारा बहुतायत में उत्पादित किया जाता है। भारत सरकार को चाहिए कि इस प्रोडक्ट को फर्नीचर केटेगरी के अंतर्गत लाएं, साथ ही आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए इसे सबसे ज्यादा सरकारी सहयोग की आवश्यकता है। -श्री अजय अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, बालाजी एक्शन बिल्डवेल

एचडीएफ बेस्ड भारतीय फ्लोरिंग का बाजार नहीं बढ़ सका क्योंकि अधिकांश भारतीय निर्माता एमडीएफ बोर्ड का उपयोग करते हैं जो पानी को अधिक अवशोषित करता है इसलिए उत्पादों में फूलने, उबड़-खाबड़ और टिकाऊपन से संबंधित शिकायतें अधिक देखी जा सकती हैं। घनत्व में अच्छा एचडीएफ बोर्ड पानी कम सोखता है इसलिए अधिक टिकाऊ होता है, इसका रखरखाव भी कम है और लागत भी कम आता है। गुणवत्ता के प्रति ग्राहकों को शिक्षित नहीं करना भी एक अन्य प्रमुख चिंता का विषय है जो कभी भी इस केटेगरी को समग्र रूप से विकसित नहीं होने देता है। सस्ते और सेकंड क्वालिटी वाले आयात भी एक कारण हैं, जो लेमिनेट फ्लोरिंग को भारतीय बाजार में बढ़ने नहीं देते हैं। छोटे मार्केट वैल्यू का यह कैटेगरी बड़े व्यावसायिक घरानों को निवेश करने के लिए आकर्षित नहीं कर सका है। - श्री शेखर सती, सीनियर-वाइस-प्रेसिडेंट (एमडीएफ), ग्रीनपैनल इंडस्ट्रीज लिमिटेड

सभी भारतीय निर्माता गुणात्मक रूप से अच्छा लेमिनेटेड फ्लोरिंग का उत्पादन कर रहे हैं फिर भी उत्पादन क्षमता का उपयोग बहुत कम है। भारत की डिमांड-सप्लाई सभी तीनों निर्माताओं सूर्या पैनल, एक्शन टेसा और ग्रीन पैनल से पूरा हो सकता है। ये सभी चीन से सस्ते और कम गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के आयात के कारण स्थापित क्षमता का औसत 15 प्रतिशत तक ही उत्पादन कर रहे हैं, जबकि बड़े खरीदार भारतीय शहरों में बड़े प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के पहल के साथ इसके लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, क्ळज्त्, क्प्च्च् और वित्त मंत्रालय आदि से सहयोग की जरूरत है, साथ ही सीमा शुल्क, एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने या लेमिनेटेड फ्लोरिंग पर बीआईएस को अनिवार्य कर घरेलू उद्योग का सहायता प्रदान करने की बहुत आवश्यकता है। - श्री रूशिल ठक्कर, निदेशक, रूशिल डेकोर लिमिटेड

चूंकि भारत के नीति निर्माता स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए फर्नीचर उद्योग को एक उज्ज्वल संभावित क्षेत्र के रूप में देख रहे हैं, ऐसी स्थिति में लेमिनेटेड फ्लोरिंग बहुत अच्छी तरह से इस गतिविधि का एक हिस्सा बन सकता है, क्योंकि यह भी लकड़ी के अवशेषों से बनाया जाता है। लेमिनेटेडएचडीएफ फ्लोरिंग उद्योग, जो एक प्रकार का फर्नीचर ही है, लेकिन विभिन्न कोड (भ्ैछ 4418) के अंतर्गत आता है, जो चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और अन्य साफ्टा (ै।थ्ज्।) देशों से सस्ती कीमतों पर भारी आयात से प्रभावित है। गौरतलब है कि अधिकांश लेमिनेटेड फ्लोरिंग मैन्युफैक्चरर्स, एमएसएमई केटेगरी और कुछ बड़ी केटेगरी के अंतर्गत आते हैं। लेमिनेटेड फ्लोरिंग का मुख्य कच्चा माल हाई डेंसिटी फाइबर बोर्ड, डेकोरेटिव पेपर और ग्लू आदि हैं।

लेमिनेटेड वुडेन फ्लोरिंग आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग हाल ही में लेमिनेटेड फ्लोरिंग बनाने वाली कंपनियों ने भी वाणिज्य मंत्रालय को लिखे गए पत्र में फर्नीचर के बराबर लेमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की, ताकि घरेलू निर्माताओं को बाजार में मेटेरियल के सस्ते आयात से मुकाबला करने के लिए सहायता मिल सके। निर्माताओं की यह भी मांग है कि लैमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग को भी फर्नीचरकेटेगरी उत्पाद की तरह माना जाना चाहिए। उनकी यह मांग वास्तव में बड़ा महत्व हैं क्योंकि फ्लोरिंग की तख्तों को बिछाने के अलावा इसमें कुछ और नहीं करना पड़ता है, जो बिलकुल फर्नीचर की तरह ही है जिसे खरीदनें के बाद ग्राहक को और कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं होती है।

एचडीएफ फ्लोरिंग निर्माताओं द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख बिंदु सूचीबद्ध हैं जिसपर निश्चित रूप से तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। एचडीएफ फ्लोरिंग की मैन्युफैक्चरिंग के लिए मुख्य कच्चा माल एचडीएफ बोर्ड है और भारत में विशाल क्षमता के साथ एचडीएफ/एमडीएफ बोर्ड की मैन्युफैक्चरिंग में काफी बड़ा निवेश किया गया है। क्षमता का उपयोग बिलकुल नहीं हो पाना उद्योग के लिए कठिनाई पैदा कर रही है और बहुत बड़ा निवेश भी अवरुद्ध है।


पूरे विश्व में एचडीएफ फ्लोरिंग के निर्माण में एचडीएफ बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता का 30 से 40 फीसदी से अधिक का उपयोग किया जाता है जबकि भारत में फ्लोरिंग के लिए केवल 5 से 7 फीसदी का ही उपयोग कियाजा रहा है।

डीजीएफटी को लिखे पत्र में आयातित एचडीएफ फ्लोरिंग (एचएसएन 4418) पर प्रतिबन्ध लगाने का आग्रह किया गया है जैसा कि फर्नीचर के आयात पर प्रस्तावित है क्योंकि यह भी फर्नीचर केटेगरी में ही आता है, केवल एचएसएन कोड अलग है। घरेलू उद्योग स्थापित क्षमता का लगभग 15 फीसदी पर चल रहा है और इन सस्ते आयातों के कारण भारी निवेश का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। सरकार ने रंगीन टीवी, टायर, खेल के सामान, खिलौनों के आयात को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया है और फर्नीचर पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव किया है। जैसा की लेमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग भी फर्नीचर की केटेगरी में आता है सिर्फ एचएसएन नंबर अलग है।

पूरे विश्व में एचडीएफ फ्लोरिंग के निर्माण में एचडीएफ बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता का 30 से 40 फीसदी से अधिक का उपयोग किया जाता है जबकि भारत में फ्लोरिंग के लिए केवल 5 से 7 फीसदी का ही उपयोग किया जा रहा है।

यह भी माना जाता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अफ्रीका में निर्यात की बड़ी संभावना है क्योंकि भारतीय फ्लोरिंग उत्पादकों को तकनीकी जानकारी है और भारत में
 पयोग की जाने वाली मशीनें विश्व के अन्य प्रमुख प्लेयर्स के जैसा ही हैं। एचडीएफ बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग में भारी निवेश का उपयोग एचडीएफ फ्लोरिंग मैन्युफैक्चरिंग के लिए वैल्यू एडिशन मशीनें में कम निवेश के साथ फ्लोरिंग तैयार की जाती हैं, क्योंकि एचडीएफ बोर्ड्स से फ्लोरिंग बनाने की मशीनें इतनी महंगी नहीं होती हैं।

एचडीएफ/एमडीएफ बोर्ड बनाने के लिए प्रमुख कच्चा माल सफेदा/पोपलर के जैसा ही प्लांटेशन है, जिसे पूरे देश में गैर-वन क्षेत्रों में एग्रो फॉरेस्ट्री प्रोजेक्ट्स के अंतर्गत किसानों द्व ारा ही उगाया जाता है, जिसके चलते देश के वन क्षेत्र में भी वृद्धि होती है और राष्ट्रीय वन नीति के उद्देश्यों की पूर्ति करने में मदद मिलती है। के उद्देश्य को भी पूरा करता है। उद्योग द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी प्रजातियां रिन्यूएबल प्लांटेशन के अंतर्गत आता हैं। जैसा कि देश में किसानों द्वारा उगाए गए सफेदा/पोपलर एचडीएफ बोर्ड बनाने में उपयोग किया जाता है, जबकि चीन, 

यह भारत में किसानों की आय को दोगुना करने मलेशिया, इंडोनेशिया में वे रबड़ की लकड़ी का उपयोग करते हैं जो कि इन देशों में दूसरे उत्पाद का बाई-प्रोडक्ट है, क्योंकि रबर का पेड़ जब रबड़ देना बंद कर देता है तो यह बेकार हो जाता है और पर्यावरणीय सुरक्षा के कारण इसे जलाया भी नहीं जा सकता। इसलिए इसका उपयोग एमडीएफ/एचडीएफ के उत्पादन के लिए किया जाता है। उनकी सरकारें इन उद्योगों द्व ारा बेकार रबड़ वुड के उपयोग को प्रोत्साहित करती है और इसे बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है जो पोपलर / सफेदा की लकड़ी की कीमत का लगभग 1/3 तक है, इसलिए, इन देशों में लैमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग के उत्पादन की लागत बहुत कम है जिससे भारत के घरेलू उद्योग के लिए कठिनाई पैदा हो रही है।

प्लाई रिपोर्टर द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार एचडीएफ/ लैमिनेटेड फ्लोरिंग का मार्केट सालाना लगभग 625 करोड़ रूपए है। एचडीएफ मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन भी भारत में लेमिनेटेड वुडेन फ्लोरिंग के विकास और उपभोक्ताओं में स्वीकृति के स्तर पर विचार कर रही है। लेमिनेटेड फ्लोरिंग सेगमेंट लगभग 15 फीसदी की सीएजीआर के साथ विकसित कर रहा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा असंगठित आयातकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है जहां अधिकांश मेटेरियल चीन से आ रही है। घरेलू उद्योग में मांग को पूरा करने की पूरी उत्पादन क्षमता है, लेकिन चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से सस्ते आयात के कारण घरेलू उद्योग की उत्पादन क्षमता स्थापित क्षमता का 10 से 15 फीसदी तक ही उपयोग की जा रही है जो कि ब्रेक इवन की तुलना में बहुत कम है इसलिए घरेलू उद्योग को नुकसान उठाना पड़ रहा है। घरेलू उद्योग ने लगभग 150 करोड़ का निवेश किया है। संगठित क्षेत्र में तीन प्लेयर्स हैं- एक्शन टेसा, ग्रीनपैनल और सूर्या पैनल, जबकि अन्य असंगठित क्षेत्र में हैं।

प्लाई रिपोर्टर द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत में एचडीएफ फ्लोरिंग को तीन एचडीएफ निर्माता बेच रहे हैं जैसे एक्शन टेसा, ग्रीनपैनल व सूर्या पैनल। सस्ते चीनी आयात के कारण तीनों प्लेयर्स की सम्मिलित रूप से बाजार हिस्सेदारी मात्र 5 से 6 फीसदी है। अलग-अलग रीजन में विकसित देशों के कई प्लेयर्स जैसे एगर, पेर्गो, यूरो फ्लोर, ट्राई स्क्वायर, स्क्वायर फुट आदि जैसे अच्छे ब्रांडों की भी मजबूत मौजूदगी है, लेकिन जो होना चाहिए, उसकी तुलना में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की हिस्सेदारी बहुत कम है। अनुमान के मुताबिक, देश में लगभग 150 लाख वर्ग मीटर मेटेरियल बेची जा रही है, जिसमें 85 फीसदी ऐसी कीमत पर आयात किया जाता है, जो लागत मूल्य से भी नीचे होता है।

भारतीय कंपनियों द्वारा यह दावा किया जाता है कि लेमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग की सस्ती और निचली गुणवत्ता वाले उत्पाद को भारत में वुडेन/ एचडीएफ फ्लोरिंग ने नाम पर डंप किया जा रहा है, जो खासकर ।ब्.3 गुणवत्ता वाले है। ये वाटर रेजिस्टेंस भी नहीं होते और फ्रिक्शन टेस्टिंग भी पास नहीं करते हैं। जबकि भारतीय प्लेयर्स ।ब्.4 और ।ब्.5 ग्रेड बना रहे हैं, जो वाटर रेजिस्टेंस और हाई फ्रिक्शन रेजिस्टेंस हैं। आयातित लैमिनेटेड फ्लोरिंग का सेल्फ लाइफ भी घरेलू उद्योग द्वारा प्रदान की जाने वाली गुणवत्ता से बहुत कम है।

एचडीएफ फ्लोरिंग निर्माताओं का कहना है कि, फ्लोरिंग का व्यवसाय एक लेवर इंटेंसिव उद्योग है, जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन की काफी संभावनाएँ हैं। विभाग को लिखे गये पत्र में अनुरोध किया गया कि डीजीएफटी अधिसूचना जारी कर एफटीपी के तहत आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है जैसा कि रंगीन टीवी के आयात के लिए किया जा रहा है और फर्नीचर उद्योग के लिए भी प्रस्तावित् है, क्योंकि लेमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग भी फर्नीचर की केटेगरी में आता है फर्क सिर्फ अलग एचएसएन कोड का है, इसलिए इसे भी फर्नीचर के सममूल्य माना जाए।

घरेलू उद्योग में मांग को पूरा करने\ की पूरी उत्पादन क्षमता है, लेकिन चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से सस्ते आयात के कारण घरेलू उद्योग की उत्पादन क्षमता स्थापित क्षमता का 10 से 15 फीसदी तक ही उपयोग की जा रही है जो कि ब्रेक इवन की तुलना में बहुत कमहै इसलिए घरेलू उद्योग को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

एचडीएफ निर्माताओं ने पत्र में उल्लेख किया गया है कि ‘भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के हमारे पीएम के विजन को पूरा करने के लिए ‘‘हमारे स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर होने और उन्हें वैश्विक बनाने की आवश्यकता है‘‘। इसके लिए एक एसोसिएशन के नाते हम सहयोग की कामना करते है ताकि चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और साफ्टा (ै।थ्ज्।) देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग कर सकें।

एचडीएफ फ्लोरिंग निर्माताओं का कहना है कि यह उद्योग केवल तभी जीवित रह पाएगा, जब लैमिनेटेड एचडीएफ फ्लोरिंग के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा जैसा कि आत्मनिर्भर भारत और ‘‘वोकल फॉर लोकल और मेक ईटी ग्लोबल‘‘ के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कलर टीवी के लिए किया जा रहा है और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फर्नीचर सहित अन्य गैर-आवश्यक वस्तुओं के सामानों पर लगाने का प्रस्ताव है। 

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