डॉ. वी.पी. तिवारी बने आईएसटीएफ इंडिया चैप्टर के पहले प्रेसिडेंड

Friday, 16 October 2020

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल फॉरेनर्स (प्ैज्थ्) की स्थापना 1950 में पूरी दुनिया में वनवासियों के साथ मिलकर यूएसए में टॉम गिल ने की थी, जिसका मुख्या उद्येश्य ‘‘उष्णकटिबंधीय वनो के प्रबंधन, संरक्षण, और बुद्धिमत्ता पूर्ण उपयोग पर जानकारी आदान प्रदान करने की सुविधा प्रदान करना‘‘ है। आईएसटीएफ ने फॉरेस्टरी के बारे में ताजा जानकारी साझा कर क्षेत्र में समान हितों के साथ वानिकी का काम करने वाले दूसरों लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है। इसका मिशन दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन, संरक्षण और न्यायसंगत और पारिस्थितिक रूप से स्थायी उपयोग के लिए सर्वोत्तम उपायों को आदान प्रदान करने को बढ़ावा देना है। आईएसटीएफ का 102 देशों में दुनिया भर में 1600 से अधिक सदस्य हैं। आईएसटीएफ ने मई, 2020 में अपने भारत चैप्टर को मंजूरी दी और डॉ. वी.पीतिवारी को आईएसटीएफ इंडिया चैप्टर के पहले प्रेसिडेंट के रूप में चुना गया है।

डॉ.वी.पी. तिवारी, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला के पूर्व निदेशक हैं। उन्होंने एफएओ, डीएएडी, आईटीटीओ और इरास्मस-मुंडस फैलोशिप हासिल की हैं और उप समन्वयक आईयूएफआरओ 4.01.03 के रूप में सेवा प्रदान किया हैं। वह फॉरेस्ट इकोसिस्टम के एसोसिएट एडिटर और यूएनसीसीडी रोस्टर ऑफ एक्सपर्ट्स के सदस्य भी हैं। उन्होंने विभिन्न प्रतिष्ठित पीयर रिवीयूड इंटरनेशनल जर्नल में 90 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और उनके नाम छह संपादित पुस्तकें हैं। उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं में 60 पेपर भी प्रस्तुत किए और दुनिया भर के कई देशों का दौरा किया है।

डॉ. तिवारी ने बताया कि आईएसटीएफ इंडिया चैप्टर का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित होंगेः

1. भारतीय वानिकी और सस्टेनेबल लैंड यूज प्रैक्टिसेज की बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय निकाय के रूप में कार्य करके प्रभावी ढंग से वानिकी और प्राकृतिक संसाधनों की जानकारी, पेशेवर गतिविधियों पर अपडेट और भारतीय वनों से संबंधित मुद्दों के बारे में भारत में सदस्यों को सूचित करना।

2. भारत में सदस्यों की नियुक्ति और शामिल कर वन विज्ञान, भारतीय वन और उनके बचाव और संरक्षण, वृक्षारोपण की पहल, वानिकी प्रबंधन और नीति निर्धारण की प्रगति के बारे में जागरूकता और सूचना के आदान-प्रदान करने की सुविधा प्रदान करना।

3. विभिन्न हितधारकों जैसे कि वनपाल, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, नीति और निर्णय निर्माताओं, और आदिवासी, ग्रामीण और शहरी समुदाय के सदस्यों के बीच भारत के वनों, उनकी जैव विविधता के अलावा वैज्ञानिक ज्ञान व् अनुसंधान के प्रसार को बढ़ावा देना।

4. अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय नीतियों तथा बेस्ट प्रक्टिसेस और अंतर्राष्ट्रीय तथा स्थानीय कानूनों, दिशानिर्देशों, स्टैण्डर्ड जो टिकाऊ प्रबंधन को प्रभावित करता है के बारे में सूचित कर और उनका वकालत कर भारत के सभी प्रकार के जंगलों के स्थायी प्रबंधन में योगदान देना और उसका विवरण देना है।

5. समतामूलक और पारिस्थितिक रूप से स्थायी भूमि उपयोग के लिए प्रचलित प्रथाओं के विकास और कार्यान्वयन को बढ़ावा देना, जो अन्य संगठनों के साथ सहयोग और सहयोग के माध्यम से भारत के वनों का संरक्षण करते हैं, जिनमें अन्य आईएसटीएफ चैप्टर, और सरकारी, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी, शैक्षणिक और निजी निकाय, एजेंसियां, राष्ट्रीय या स्थानीय संगठन, और अनुसंधान संस्थान और केंद्र भी शामिल हैं।

6. समुदाय के लोगों, विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं, आदिवासी/ ग्रामीण लोगों और पंचायत और समुदाय के नेताओं के बीच जंगलों, उनकी उपयोगिता, और भूमि पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें संरक्षित करने और मजबूत बनाने के लिए लोगों की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा और प्रशिक्षण का समर्थन करने के लिए सहयोग प्रदान करना।

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