पार्टिकल बोर्ड के दाम प्लाइवुड के करीब पहुंचा

person access_time   3 Min Read 18 January 2021

पिछले 3 महीनों में पार्टिकल बोर्ड की कीमतें तेजी से बढ़ी है। कुछ जगहों पर प्रति वर्ग फुट पार्टिकल बोर्ड की कीमतें, अब इकोनॉमिकल ग्रेड प्लाइवुड के बराबर हो गई है। खुदरा बाजार में पार्टिकल बोर्ड की कीमतें 37-38 रुपये हैं, और प्लाइवुड की कीमतें भी लगभग समान रेंज में उपलब्ध हैं। दोनों की कीमतों में समानता लगभग दो दशकों के लंबे अंतराल के बाद आई है, हालाँकि तब भारत में बड़े पैमाने पर पार्टिकल बोर्ड का आयात किया जाता था। पटना में नाला रोड स्थित एक फर्नीचर निर्माता फर्नीचर की सस्ती रेंज जैसे, डाइनिंग टेबल, अलमारी, कंप्यूटर टेबल आदि बनाने के लिए लगभग 20 ट्रक इकोनॉमिकल ग्रेड प्लाइवुड और पार्टिकल बोर्ड का उपयोग करते हंै। प्लाई रिपोर्टर से बात करते हुए, उन्होंने बताया कि दोनों उत्पादों की कीमतें लगभग बराबर हो गईं हैं। छोटे शहरों में, असंगठित फर्नीचर निर्माता और यहां तक कि ठेकेदारों के लिए भी खुदरा बाजारों में बेचे जाने वाले सस्ते फर्नीचर का उत्पादन करने के लिए दोनों मेटेरियल की कीमतें तकरीबन बराबर हो गई है, इसलिए वे अपने फर्नीचर के लिए प्रीमियम उत्पाद के रूप में प्लाइवुड का उपयोग कर रहे हैं ताकि बढ़िया मार्जिन मिल सके। पुणे, अहमदाबाद, वड़ोदरा में फर्नीचर मैन्युफक्चरर्स ने सस्ते प्लाइवुड का फायदा उठाया। प्लाई रिपोर्टर कि टीम जब उनसे बात की तो उनका तर्क यह था कि अगर पार्टिकल बोर्ड की कीमतें फर्नीचर निर्माताओं के लिए 40 रुपये और उससे अधिक पर पहुंच गई हैं, तो उसी कीमत पर प्लाइवुड का उपयोग क्यों ना करें।

पुणे स्थित एक फर्नीचर निर्माता का भी ऐसा ही कहना है लेकिन वे कीमत बढ़ने के बावजूद अभी पार्टिकल बोर्ड को प्राथमिकता दे रहे हैं और इकोनॉमिकल ग्रेड प्लाइवुड या एमडीएफ का उपयोग करने की सोच रहे हैं। वे कहते हैं कि ग्राहकों की जरूरत के अनुसार किचेन के शटर के लिए 16 मिमी सेमी कैलिब्रेटेड प्लाइवुड खरीदते हैं। लकड़ी, केमिकल और मेलामाइन सहित सभी कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से पार्टिकल बोर्ड के निर्माताओं ने पार्टिकल बोर्ड की कीमतों में वृद्धि की है।

अगस्त 2020 की कीमतों की तुलना में प्री-लेमिनेटेड बोर्ड की कीमतें प्रभावी रूप से लगभग 25 प्रतिशत अधिक हैं। पार्टिकल बोर्ड बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि यदि कच्चे माल व् कंटेनरों की उपलब्धता और केमिकल की कीमतें कम नहीं होती हैं, तब तक बेमेल मांग-आपूर्ति के कारण कीमतें आगे भी बढ़ सकती हैं। पिछले 3 महीनों में ,टिम्बर, रेजिन और लेमिनेशन के लिए उपयोग होने वाले डेकोर पेपर की कीमतें काफी बढ़ गई है, जिससे बढ़ते इनपुट कॉस्ट को मजबूर कारखानों द्वारा बाजार में पारित करने का दबाव बढ़ गया है।

पिछले 5 महीनांे में, प्री-लैम पार्टिकल बोर्ड का उपयोग काफी ज्यादा बढ़ी है, जिसके चलते कारखानों में बड़ी मात्रा में पेंडिंग आर्डर है। अधिकांश प्लांट कथित तौर पर अपनी अधिकतम क्षमता पर चल रहे हैं। आयात में कमी भी घरेलू प्लांट को उनकी क्षमता उपयोग में मदद कर रहा है।

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