केरल स्थित उद्योग के प्लाइवुड मिलों में मजदूरों की भारी कमी देखी जा रही हैं। वर्कर की भारी कमी ने प्लाइवुड फैक्ट्रियों के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के आखिरी सप्ताह से प्रोडक्शन वॉल्यूम 60-65 प्रतिशत घट गया है। श्रमिकों की कमी के चलते उत्पादकता की दिक्क्तें अप्रैल या मई तक बनी रहने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि केरल प्लाइवुड इंडस्ट्री मुख्य रूप से असम और पश्चिम बंगाल से आए प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है। दोनों राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने और शादी के सीजन के कारण, श्रमिक अपने गृह राज्यों को लौट गए हैं। केरल राज्य के वुड बेस्ड इंडस्ट्री के केंद्र पेरुम्बवूर, अलुवा, कन्नूर आदि में पश्चिम बंगाल और असम के 90 प्रतिशत श्रमिक हैं। सॉ मिल ओनर्स और प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम मुजीब रहमान ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रमिकों का विकल्प लाना मुश्किल है। प्लाइवुड उद्योग बुरी तरह से प्रभावित है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि ये श्रमिक चुनाव के बाद वापस नहीं आ जाते।
प्लाइवुड इंडस्ट्री को उम्मीद है कि अप्रैल का महीना उत्पादन इकाइयों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार, झारखंड के शेष मजदूर त्योहार और शादी के मौसम के कारण अपने
घर लौट सकते हैं। उद्योग में अप्रैल महीने में उत्पादन में काफी गिरावट की आशंका है, लेकिन उम्मीद है कि श्रमिकों के वापस आने के बाद मई से उत्पादन सामान्य हो जाएगा।