पश्चिम बंगाल स्थित प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए लम्बू टिम्बर अपनी उपलब्धता और सामर्थ्य के कारण तेजी से उभर रहा है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के आसपास स्थित 150 से अधिक प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, प्लाइवुड बनाने के लिए लम्बू टिम्बर के कोर विनियर का उपयोग कर रही हैं। प्लाई रिपोर्टर संवाददाता के साथ बात करते हुए, उन्होंने कहा कि यह प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए काफी उपयुक्त है, क्योंकि क्वालिटी, डेंसिटी, स्ट्रेंथ और कीमत सफेदा और पोपलर जितनी ही अच्छी हैं। वे यह भी मानते हैं कि वे सेमुल, कदम्ब, सफेदा के कोर विनियर पर निर्भर थे, जो उन्हें यूपी और बिहार से मिलता था, लेकिन अब उन्हें स्थानीय स्तर पर पर्याप्त मात्रा में टिम्बर मिल रहा है।
भारत के पूर्वी और उत्तर पूर्व राज्यों में लम्बू ट्री का प्लांटेशन तेजी से बढ़ रहा है। इसे मीडियम हार्डवुड भी कहा जाता है और पोपलर तथा सफेदा जैसे अच्छे ग्रोथ के लिए इसके पौधे को 6 से 8 साल तक रखा जाता है। इतने समय बाद प्राप्त टिम्बर प्लाइवुड और पैनल उद्योग के लिए बहुत उपयुक्त है। यदि इसे लंबे समय तक रखा जाय, तो यह हार्डवुड में बदल जाता है जो फर्निचर और इंटीरियर डेकोरकटिव वुड पैनल उधोग के लिए काफी उपयुक्त है। यह लकड़ी बहुत मजबूत है और इसमें कोई गांठ भी नहीं होती। अपने रासायनिक गुणों के कारण, यह दीमक और बोरर से पूरी तरह से सुरक्षित है।
पूर्वी भारत में प्लाइवुड फैक्ट्रियों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह लकड़ी बहुत उपयोगी है, और इसकी मांग मशीन पर अच्छी प्रोसेसिंग होने के कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, पश्चिम बंगाल के अलावा आंध्र प्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों के कुछ जिलों में प्लांटेशन तेजी से हो रहा है। नर्सरी मालिकों के अनुसार, पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले से प्रतिदिन लगभग 40,000 पेड़ अलग-अलग राज्यों में भेजे जा रहे हैं और पिछले चार से पांच वर्षों में इसकी मांग बढ़ी है।
पश्चिम बंगाल स्थित प्लाइवुड फैक्ट्री मालिक लम्बू ट्री के ग्रेन और स्ट्रेंथ से संतुष्ट है, और कहते हैं कि यह प्लाइवुड बनाने के लिए सबसे उपयुक्त और टिकाऊ कच्चे माल के रूप में उभरेगा। इसकी कीमतें अब कम्फर्ट जोन में आ रही हैं, इसलिए सफेदा और पोपलर कोर विनियर पर उनकी निर्भरता भी कम हो रही है।