वर्तमान समय में प्लाइवुड सेक्टर में अवसर और सम्भावनाओं पर चर्चा

person access_time   4 Min Read 02 September 2021

प्लाई रिपोर्टर द्वारा आयजित किये गए ई-कॉन्क्लेव ‘क्या कहता है इंडिया -स्कोप अहेड इन प्लाइवुड सेक्टर इन प्रेजेंट टाइम’ पर चर्चा के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों के प्लाइवुड निर्माता मौजूद थे, जिन्होंने कोविड 2.0 के बाद बाजार के हालात और आगे के परिदृश्य पर चर्चा की। कार्यक्रम कृधा प्लायवुड (बेस्ट डेकोरेटिव पैनल) के सहयोग से 5 जून, 2021 को प्लाई रिपोर्टर फेसबुक पेज ऑफ लाइव प्रसारित किया गया था। प्रस्तुत है चर्चा के प्रमुख अंश।

महामारी के समय प्लाइवुड उद्योग में अवसर

श्री विशाल जुनेजा, निदेशक, विधाता इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेडः हमें यह देखना है कि उद्योग के लिए आगे क्या संभावनाए है और तत्काल क्या अवसर होंगे? मेरी राय में, आर्थिक संकट को देखते हुए, सरकार को खर्च बढ़ाना होगा, क्योंकि बुनियादी ढांचा ही अर्थव्यवस्था को गति देने का एकमात्र तरीका है। सार्वजनिक खर्च (जैसे सड़क, पुल, अस्पताल, आदि) और निजी खर्च (अपने स्वयं के लोगों द्वारा या आवास, मॉल आदि जैसे जनता के लिए विकसित बुनियादी ढांचे) दोनों को तेज करना होगा। कोविड के दौरान सरकार ने इक्विटी बाजार, रियल एस्टेट आदि के माध्यम से पिछले डेढ़ वर्षों में मात्रात्मक सहूलियत प्रदान करने के लिहाज से लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर के इनफ्लो तैयार किया। इसकी वजह से ही हम रियल एस्टेट और इक्विटी मार्केट के मूड में बदलाव देख रहे है और कोविड के बावजूद ये तेजी से बढ़ रहा है। आने वाले समय में ये इनफ्लो हाउसिंग सेक्टरकी ओर होगा जिससे वुड पैनल डेकोरेटिव के साथ-साथ इसके जैसे अन्य उद्योग को फायदा होगा। मुझे उम्मीद है रिकवरी तेजी से होगी क्योंकि डीलरों/डिस्ट्रीब्यूटरों के स्तर पर इन्वेंट्री बहुत कम है।

इस बार हर डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर और चैनल पार्टनर्स ने हमारा जबरदस्त सपोर्ट किया। जून में हम बेहतर रिकवरी कर पाए और जुलाई से सब कुछ नियमित हो जाना चाहिए। यदि उद्योग, सरकार और लोग पहली बार की तरह लापरवाहन हो तो इस वित्तीय वर्ष बाकी महीने में अप्रैल-मई में हुए नुकसान को कवर कर लेंगे। अगर तेजी से टीकाकरण की जाती है तो तीसरी लहर की संभावना बहुत कम होगी।

श्री आलोक अग्रवाल, सीएमडी, रियल प्लाई इंडस्ट्रीज (प्रा.) लिमिटेडः हमें उम्मीद है कि हम बहुत जल्द इस संकट से उबार जाएंगे। आने वाले समय में प्लाइवुड का बाजार दो तरह से विभाजित होंगे एक क्वालिटी मार्केट और दूसरा रेगुलर मार्केट, इसलिए प्लाइवुड की मांग कम होने की कोई बात ही नहीं है। आज बाजार में मांग है और अच्छी क्वालिटी की मांग बहुत अधिक है। फर्नीचर निर्माता बहुत अधिक ग्रोथ कर रहे हैं और वे अच्छी अच्छी मशीनें इनस्टॉल करा रहे हैं। मशीनों के साथ अच्छी गुणवत्तापूर्ण कैलिब्रेटेड प्लाइवुड, एज बैंडिंग, लेमिनेशन और विनियर अप्लीकेशन के साथ उनका उत्पादन तेजी से होता है। इसलिए, मेरी राय में प्लाइवुड की मांग पहले से काफी बेहतर होगी। जून में वे अपने 80 फीसदी तक और जुलाई में 100 प्रतिशत या इससे भी बेहतर  स्थिति में होंगे।

 

श्री माखन गट्टानी, प्रबंध निदेशक, गट्टानी इंडस्ट्रीजः भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। उत्पादन काफी होने के बावजूद भारत प्लाइवुड का आयात कर रहा है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि भारतीय बाजार में प्लाइवुड की बिक्री में कोई कमी होगी। यदि आप अच्छी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड बना रहेहैं और अच्छे डीलरों के नेटवर्क के साथ काम कर रहे हैं, तो सेल्स की कोई समस्या नहीं होगी। प्लाइवुड में 25 सालके अपने करियर में मैंने कभी भी मांग में इतनी बढ़ोतरी नहींदेखी, जितनी हमने कोविड की पहली लहर के बाद देखी है। लगभग 40 दिनों की देरी के कारण हमारे पास आर्डरकी बाढ़ आ गई थी।

श्री अजीत मिंडा, निदेशक, लॉन्गहॉर्न इंडस्ट्रीज (सियाम प्लाई)ः हमने उत्पादन के साथ-साथ सेल्स के मामले में मई में भी 90 फीसदी मार्केट को कवर किया है; अभी भी आर्डर,की कोई कमी नहीं है।

श्री अमित अग्रवाल, निदेशक, मार्चलैंड एंड संस ग्रुपः हमें उम्मीद है कि अगस्त के बाद रिकवरी 80 से 100 प्रतिशत पर होगी। मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देकर इम्पोर्ट मार्केट सेगमेंट जैसे क्वालिटी प्रोडक्ट को बढ़ावा देने और उन्हें बदलने का 

अच्छा अवसर है चाहे वह एमडीएफ हो, पार्टिकल बोर्ड हो या प्लाइवुड।

डॉ. प्रशांत, निदेशक, एके प्लाईवुडः मेरी राय में क्वालिटी प्लाइवुड कोर कंपोज्ड प्लाइवुड, डबल प्रेसिंग और कैलिब्रेटेड प्लाइवुड है। लेकिन, भारत में उपलब्ध कोर कंपोजर काफीमहंगी हैं। चीन की तुलना में 80 फीसदी अधिक महंगी हैं।इसलिए, मशीन निर्माताओं को वैसे सोलुशन उपलब्ध कराना चाहिए जो चीन उपयोग कर रहा है। गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुडनिर्माताओं और प्री-लेमिनेटेड प्लाइवुड के टैग के साथ हमारे लिए अमेरिका में बहुत बड़ा बाजार होगा।

अभी भारत में, सीएआरबी टेस्टिंग के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं है। इसके लिए लोग हॉन्गकॉन्ग से सर्टिफिकेशन ले,रहे हैं, फिर अपने उत्पाद अमेरिका एक्सपोर्ट कर रहे हैं। हमें भी ऐसा ही करना होगा क्योंकि वहां की कंपनियों को एफएससी और सीईआरबी (कार्ब) की जरूरत है। मेटेरियलकी उपलब्धता कोई समस्या नहीं है, जनसंख्या बहुत बड़ी है और इसका बाजार भी। इसलिए, सही नीति होनी चाहिए ताकि हम सही समय पर सही जगह पर पहुंच सकें। श्री साकेत गर्ग, निदेशक, सॉलिड प्लाई प्राइवेट लिमिटेडः भारत में जीवन स्तर बढ़ रहा है और हर कोई चाहता है जहां वे रहते हैं और काम करते हैं, वहां का वातावरण अच्छा हो। इसलिए पूरे प्लाइवुड और पैनल उद्योग में मांग बनी रहेगी। यदि आपकी नीति और सिद्धांत स्पष्ट है, तो आप एक अच्छे टीम के साथ ग्रोथ कर सकते हैं, क्योंकि क्वालिटी प्रोडक्ट की अच्छी मांग है। लॉकडाउन और लॉजिस्टिक की दिक्कत की वजह से हमारे डिस्पैच में बाधा उत्पन्न हुई है। इसकेबावजूद हम मई में 65 फीसदी काम कर पाए और जुलाई तक हम इसे कवर कर लेंगे।

 

श्री जय गोपाल गुप्ता, एमडी, कृदय प्लाइवुड इंडिया प्राइवेट लिमिटेडः भविष्य अच्छा होगा। यदि आप गुणवत्तापूर्ण प्लाईवुड बना रहे हैं तो सेल्स में कोई दिक्कत नहीं होगी। उत्पादन कम हुआ है लेकिन आने वाले समय में यह रिकवर हो जाएगा।

 

कैलिब्रेटेड प्लाइवुड की मांग

श्री आलोक अग्रवालः दोनों मेटेरियल के लिए बाजार होगा। हम इस मायने में अलग है कि हमें ऑर्गनाइज्ड तरीके से बिक्री करनी है इसलिए हम ट्रेडिशनल मैन्युफैक्चरिंग नहीं अपनाएंगे और कैलिब्रेटेड पर ध्यान केंद्रित करेंगे लेकिन बाजार दोनों का रहेगा क्योंकि कैलिब्रेशन के लिए कॉस्ट,प्रोसेस टाइम और निवेश भी होता है।

पूरे प्लाइवुड और पैनल उद्योग में मांग बनी रहेगी। यदि आपकी नीति और सिद्धांत स्पष्ट है, तो आप एक अच्छे टीम के साथ ग्रोथ कर सकते हैं, क्योंकि क्वालिटी प्रोडक्ट की अच्छी मांग है। लॉकडाउन और लॉजिस्टिक की दिक्कत की वजह से हमारे डिस्पैच में बाधा उत्पन्न हुईहै। इसके बावजूद हम मई में 65 फीसदी काम कर पाए और जुलाई तक हम इसे कवर कर लेंगे।

श्री माखन गट्टानीः यहां होने के फायदे और नुकसान दोनों हैं; हम अभी भी जर्मन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि इसके कारण कीमत में अंतर है, इसके पीछे उद्देश्य सिर्फ बेहतर गुणवत्ता प्रदान करना है। यदि आप ब्रांड के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको ए ग्रेड उत्पाद बनाते रहना होगा।

 

श्री साकेत गर्ग: यदि हम मशीनों की बात करें तो दोनों ही प्रक्रिया में आधुनिकता अपनाना पड़ेगा। चूंकि लेवर की दिक्कत है, यदि आप प्रोसेस आधुनिक नहीं करते हैं तोकॉस्टिंग व्यावहारिक नहीं रहेगा। लेकिन, ग्लू, रेजिन आदि अभी भी ट्रडिशनल प्रोसेस में ही बेहतर हैं क्योंकि कॉस्ट कटिंग नहीं हुई और हॉट प्रेस के लिए जरूरत के अनुसार ग्लू का इस्तेमाल किया जाता है। टेक्नोलॉजी के बढ़ने से समय की खपत, फेस की मोटाई, रेजिन का उपयोग कम हो रहा है। नई तकनीक के साथ पुरानी प्रक्रियाओं का मिश्रण उत्पाद की क्वालिटी को बेहतर बनाएगा।

श्री विशाल जुनेजाः हमने 11 साल पहले आधुनिक मशीनों से लैस फैक्टरी लगाई, हालांकि हमने महसूस किया कि उस समय कैलिब्रेटेड प्लाइवुड की मांग ज्यादा नहीं थी। आज दोनों उत्पाद का अस्तित्व साथ साथ हैं। अगर हम अपने ऑपरेशन को 100 फीसदी कैलिब्रेट करने पर शिफ्ट करते हैं तो यह मेरे लिए व्यवहारिक नहीं होगा। हमें उन डीलर्स/डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ चलना है जो लंबे समय से हमारे साथ हैं। मुझे लगता है कि शहरी-ग्रामीण, ओईएम -नॉन-ओईएम के जरूरतों के अनुसार दोनों उत्पाद निश्चित रूप से मौजूद रहेंगे। आने वाले समय में कैलिब्रेटेड के प्रतिडीलरों की दिलचस्पी मौजूदा 20 से 50 फीसदी तक बढ़ सकती है, लेकिन भविष्य में दोनों उत्पाद मौजूद रहेंगे।

श्री अमित अग्रवालः प्लाइवुड और पार्टिकल बोर्ड में कोई तुलना ही नहीं है। दोनों के मार्केट सेगमेंट अलग-अलग है और अलग अलग उपयोग के साथ ग्राहकों के नेटवर्क भी अलग-अलग
हैं। हमारी रुचि अभी भी दोनों में है क्योंकि क्वालिटी बेचना है और कंपनी को मार्जिन चाहिए। कुछ साल पहले पार्टिकल बोर्ड समय के अनुसार जरूरत थी, लेकिन आने वाले दिनों में इसकी मांग बढ़ेगी क्योंकि अब ओईएम अपने यूनिट लगा रहे हैं और जरूरत के अनुसार पार्टिकल बोर्ड और एमडीएफ क्वालिटी भी उत्पादित की जा रही है। आइकिया ने कई भारतीय ओईएम के साथ टाई-अप किया है, इसलिए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद समय की मांग है, चाहे वह प्लाइवुड, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड आदि कुछ भी हो। भविष्य में कैलिब्रेशन आइडियल होगा। मुझे याद है साल 2000 में आईएसओ सर्टिफिकेशन लेना लग्जरी था।आज प्ैप् और प्ैव् एक सामान्य बात है। इसी तरह कैलिब्रेटेड प्लाइवुड को आज एक अलग केटेगरी के रूप में बाजार मेंउतारा जा रहा है।

डॉ. प्रशांतः अगर आप दुनिया में देखें तो प्लाइवुड का मतलब कैलिब्रेटेड है, और लैमिनेट की मोटाई 0.6 मिमी है, लेकिन भारत में 1 मिमी है। धीरे-धीरे बाजार बदल रहा है और कारपेंटर सेगमेंट 0.8 मिमी पर शिफ्ट हो रहा है। हमारे ओईएम पहले से ही मेच्योर हैं और वे 0.7 मिमी तक पहुंच गए। इसलिए, यदि आपको 0.7 मिमी तक पहुंचना है,तो इसके लिए स्मूथ सरफेस की जरूरत होगी, इसलिए वे कैलिब्रेटेड प्लाइवुड के बारे में पूछते हैं। हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है और इंटरनेशनल ट्रेंड अपनाने के लिए 0.6 मिमी तक पहुंचना होगा।

प्लाइवुड बाजार में क्रेडिट सिस्टम

श्री जय गोपाल गुप्ताः सबसे बड़ी कमी क्रेडिट सिस्टम है जो इसके ग्रोथ में बाधक है। इस व्यवसाय में डेब्ट बहुत अधिक हैं इसलिए प्लाइवुड का व्यवसाय तेजी से नहीं बढ़ रहा है। डीलरों/डिस्ट्रब्यूटरों के मन में कोई सम्मान नहीं है।डॉ. प्रशांतः यह एक ऐसा विषय है जिस पर पूरे उद्योग को एक साथ इस मुद्दे का समाधान करना चाहिए। क्रेडिट दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और यदि आप व्यापार का विस्तार करते हैं तो यह और बढ़ता जाएगा।

श्री माखन गट्टनीः मैं हमेशा कहता हूं कि आपको अच्छे डीलरों के साथ काम करना चाहिए क्योंकि अगर बिक्री नहीं होती है तो हम कहते हैं कि उत्पाद गलत जगह पर है। हमने आजतक बाजार में एक रुपया भी नहीं खोया है, क्योंकि हमारा सिद्धांत एक शहर में केवल एक व्यक्ति को माल देना है और वह हमारे ब्रांड के साथ ही बेचता है।

श्री आलोक अग्रवालः अंडर बिलिंग मुख्य कारण है जो उद्योग के ग्रोथ में बाधक है। ऐसा नहीं है कि सस्ता बेच रहे हैं तो हर कोई खरीदेगा। कैलिब्रेटेड प्लाइवुड का सेलिंग मॉडल पारंपरिक तरीके से अलग है। आपको ग्राहक चाहिए तो उन तक पहुंचने की ताकत होनी चाहिए।

 

श्री अमित अग्रवालः यदि मैन्युफैक्चरर्स डीलर को नहीं परखते हैं तो पेमेंट की दिक्क्तें आती है। आज बेचने के दबाव किसी भी डीलर को बिना उसकी जांच परख किए मेटेरियल डंप कर दी जाती है, ऐसे में आप पूरे बाजार को दोष नहीं दे सकते। पेमेंट नहीं मिलना तभी होता है जब डीलर व्यवसाय में हीनहीं रहना चाहता है। 35 साल के अनुभव में मैंने देखा पेमेंट अटकता नहीं है देर सबेर आता ही है।

श्री अजीत मिंडाः प्लाइवुड के व्यवसाय में अंडर इनवॉइसिंग सबसे बड़ी चुनौती है। अगर इसमें कमी आए तो यह इस सेक्टर के भविष्य के लिए काफी अच्छा होगा।

क्वालिटी की पहचान कैसे किया जा सकता है?

श्री प्रगत द्विवेदीः डीलरों के नजर में क्वालिटी के क्या मायने है? क्या यह फेस का रंग है या अंदर लगे कोर की गिनती है? अलग-अलग लोगों के लिए, थिकनेस, वेट, कलर आदि के अनुसार अलग अलग प्लाइवुड के लिए अलग-अलग पैरामीटर हैं। ए, बी और सी ग्रेड काउंटरों के लिए अच्छी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड की परिभाषा अलग है। एक स्थापित काउंटर जिनका बिजनेस में समय के साथ काफी अच्छा योगदान और अनुभव है और 42 किलो का भारी प्लाइवुड बेच रहा है उनके लिए इसके मायने अलग है। इसी तरह जिन लोगों ने 10-15 साल पहले बिजनेस की शुरुआत की, उनका पैरामीटर अलग होगा जो ज्यादातर मीडियम ग्रेड को क्वालिटी मानते है क्योंकि उस समय उन्होंने उसी क्वालिटी को देखा था। और सी ग्रेड उन लोगों के लिए क्वालिटी माना जाएगा जिन्होंने 7 से 8 साल पहले अपनी दुकान शुरू की थी।

लेकिन एक ग्राहक के लिए क्वालिटी प्लाइवुड वह है जो लेमिनेट अप्लीकेशन के बाद ट्विस्ट या टेढ़ा नहीं होता है। स्क्रू होल्डिंग कैपेसिटी अच्छी है, काटते समय कोई फेस चिपिंग नहीं होता, कोई स्टीम पॉकेट नहीं है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई ओवरलैप या अंडर थिकनेस ना हो। कैलिब्रेटेड अलग है, वास्तव में कन्वेंशनल प्लाइवुडभी अच्छा हो सकता है यदि कोई ओवर या गैप न हो ताकि बॉन्डिंग अच्छी होगी। इसलिए कुछ महत्वपूर्ण चीजें जैसे सीधा कोर, अच्छी बॉन्डिंग और सही कम्प्रेशन से ही एक अच्छा प्लाइवुड बनता है। 

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