लेमिनेट के प्रत्येक रॉ मेटेरियल जैसे क्राफ्ट पेपर, मेलामाइन, फॉर्मल्डिहाइड, फिनॉल आदि की कीमतों में भारी वृद्धि ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को अपने इकोनॉमिकल ग्रेड उत्पादों का उत्पादन कम करने को मजबूर किया है। लाइनर लेमिनेट का उत्पादन सितंबर-अक्टूबर महीने में काफी प्रभावित हुआ था। कच्चे माल की ऊँची कीमतों के कारण ज्यादातर कम्पनियाँ उत्पादन रोक दी। चाहे यह बड़े वॉल्यूम वाली कंपनी हो या मिड साइज वाली, सभी ने लाइनर के उत्पादन 70 से 80 फीसदी घटा दिये जिसके चलते लाइनर की सप्लाई में दिक्क्तें पैदा हो गई है।
बड़े लेमिनेट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने साफ किया कि लाइनर के उत्पादन से बाहर आने का फैसला स्थाई नहीं है। प्राप्त रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि उन्होंने सभी इकोनोमिकल ग्रेड शीट का उत्पादन कम करने का विकल्प चुना था क्योंकि अभी कच्चे माल की खरीददारी के लिए बहुत अधिक निवेश की जरूरत है, लेकिन उनके फंड का एलोकेशन की प्रार्थमिकता डिजाइनर रेंज के लेमिनेट उत्पादन के लिए निर्धारित है। बड़े वॉल्यूम प्रोडूसर्स जैसे स्टाइलैम, वर्गो, ड्यूरियन, ग्लोब इत्यादि ने लाइनर की सप्लाई की कमी की है और सीमित स्तर पर ही सिर्फ उनको ही सप्लाइ दे रही हैं, जोm उनके नियमित ग्राहक है या नए रेट तुरंत पेमेंट के साथ दे रहे है। यहाँ तक कि बड़े ब्रांड जो प्रोजेक्ट को बैलेंसिंग सीट की सप्लाई देते हैं उन्होंने भी कीमतें बढ़ा दी और सप्लाई टाइट कर दिए हैं। इंडस्टी रिपोर्ट कहते है कि भारत हर महीने लगभग 15 मिलियन लाइनर लेमिनेट शीट का उत्पादन करता है, जो सितंबर में बमुश्किल 8 मिलियन रह गया। बाजार में लाइनर लेमिनेट की खरीददारी 400 रूपए प्रति शीट पर की जा रही हैं। कई कंपनियों को लगता है कि कच्चे माल की ऊँची कीमतों के कारण निर्माताओं का निवेश बहुत अधिक बढ़ गया है, इसलिए उन्होंने उन मेटेरियल का उत्पादन करने का फैसला किया है, जिससे उन्हें बेहतर फ़ायदा हो, क्योंकि उन्हें लगता है कि लाइनर लेमिनेट कम मार्जिन वाला उत्पाद है, और इसके लिए उतना निवेश अभी उचित नहीं है।
लाइनर ग्रेड लेमिनेट के मैन्युफैक्चरिंग घटना, उद्योग के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इस उत्पाद ने भारतीय डेकोरेटिव लेमिनेट इंडस्ट्री के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है। यह भी कहा जाता है कि कुछ बड़े मैन्युफैक्चरिंग हाउसेस और कई छोटे लेमिनेट यूनिट लाइनर लेमिनेटm मैन्युफैक्चरिंग पर बहुत अधिक निर्भर हैं, लेकिन कच्चे माल की कीमतों में इस तरह बढ़ोतरी ने पूरे उद्योग और व्यापार के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।