भारतीय प्लाइवुड उद्योग ग्राहकों की बदलती जरूरतों के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की पेशकश करने के लिए प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग की नई तकनीक को तेजी से अपना रहा है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, हाई क्वालिटी प्लाईवुड, जो यूनिफार्म थिकनेस, जीरो गैप, बेहतर इलास्टिसिटी, रप्चर और टेंसाइल स्ट्रेंथ हो इसके उत्पादन करने की प्रक्रिया में कई मिड सेगमेंट ब्रांड कोर कंपोजर, कैलिब्रेटर्स, 8 फ़ीट वाले ग्लू स्प्रेडर्स, ऑटोमेटिक डीडी सॉ इत्यादिइनस्टॉल कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और दक्षिणी भारत में एक दर्जन नई प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स ने हाल ही में नई मशीनों और तकनीक के चालू होने के साथ अपने पूरे उत्पादन को कैलिब्रेटेड प्लाईवुड में स्थानांतरित कर दिया है। रिपोर्ट में यह भी संकेत मिलता है कि पिछले 2-3 सालों में लगभग 55 प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स ने नई तकनीक को अपनाया है, और प्लाईवुड प्रौद्योगिकी की नई तकनीक से यूनिफार्म थिकनेसm के साथ कैलिब्रेटेड प्लाईवुड के उत्पादन करने का दावा किया है। यह भी बताया गया है कि अन्य 12 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इस दिशा में काम कर रही हैं, और उन्होंने कैलिब्रेटर्स, कोर कम्पोज़र, कोर जॉइंटर्स, 8 फीट ग्लू स्प्रेडर्स आदि के लिए ऑर्डर दिये है, जो अगले 6 से 8 महीनों में चालू होने की उम्मीद है। मशीनरी सप्लायर के अनुसार, 2023 तक कैलिब्रेटेड प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए 100 प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होंगे।
प्लाइवुड मैन्युफक्चरर्स को लगता है कि भारत को भविष्य में औरm अधिक कैलिब्रेटेड प्लाइवुड की जरूरत होगी, क्योंकि कारपेंटर्स और कारीगरों के काम में बदलाव में हो रहा है और मशीनों के काम बढ़ गए है। बढ़ई अब प्लाईवुड काटने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग कर रहे हैं, इस प्रकार, कैलिब्रेटेड प्लाईवुड का उपयोग भविष्य में बढ़ेगा। ज्ञातव्य है कि इस तरह के प्लाईवुड चीन, रूस, इंडोनेशिया आदि से आयात की जाती रही है, और भारत में बढ़ते उत्पादन के साथ, उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाले घरेलू उत्पाद मिल सकते हैं।