भारत में महानगरों और टियर 1 शहरों में रेसिडेंसियल प्रॉपर्टी की बिक्री में भारी वृद्धि के कारण प्रीमियम वुड एंड डेकोरेटिव पैनल प्रोडक्ट की मांग बढ़ने की उम्मीद है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में डेकोरेटिव विनियर, प्रीमियम डेकोरेटिव लेमिनेट, ऐक्रेलिक लेमिनेट, हाई क्वालिटी प्रीमियम ग्रेड लूवर, सॉलिड सरफेस, वुडेन फ्लोरिंग और फसाड मेटेरियल की बिक्री में आश्चर्यजनक उछाल देखने को मिलेगा, क्योंकि वर्ष 2022 में लग्जरी हाउसिंग फ्लैट्स, विला आदि की बिक्री में भारी वृद्धि होने की खबर है।
रियल एस्टेट कंसल्टेंसी, प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के टियर-1 शहरों में रेसिडेंसियल प्रॉपर्टी की बिक्री कैलेंडर वर्ष 2022 में टियर 2 शहरों के मुकाबले 250 फीसदी ज्यादा रही। टियर 2 शहरों में कुल 1.83 लाख यूनिट के मुकाबले टीयर 1 शहरों में 4.53 लाख यूनिट की बिक्री रही।
यहाँ तक की नये रेसिडेंसियल प्रॉपर्टी के लॉन्च होने के मामले में भी, टियर 1 शहरों ने 2022 में 240 फीसदी ज्यादा बिक्री के साथ टियर 2 शहरों को पीछे छोड़ दिया। महानगरों में 3.71 लाख यूनिट नए लॉन्च किये गए, जबकि पहले यह 1.52 लाख यूनिट थे।
अगर घरों के वैल्यू (कीमतों) को देखें, तो टियर 1 शहरों में रेसिडेंसियल प्रॉपर्टी का बाजार टियर 2 शहरों की तुलना में चार गुना ज्यादा है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ठाणे, पुणे, हैदराबाद, अहमदाबाद, मुंबई, बेंगलुरु, नवी मुंबई, वडोदरा, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर आदि जैसे शहरों में लक्जरी फ्लैटों और विला की बिक्री सबसे ज्यादा दर्ज की गई है।
दिलचस्प बात यह है कि वित्त वर्ष 2022 में पिछले आठ वर्षों में सबसे अधिक लॉन्च और बिक्री देखी गई, इस वर्ष 3.7 लाख यूनिट नई सप्लाई के साथ बिक्री 4.5 लाख यूनिट को पार कर गया। भारत में शीर्ष टियर 1 शहरों में केवल 12 महीने की इन्वेंट्री अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। इन्वेंट्री में यह अंतर डेवलपर्स को मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए आने वाली तिमाहियों में नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
कुल मिलाकर, 2022 में पिछले आठ वर्षों में अधिकतम रेसिडेंसियल प्रॉपर्टी की बिक्री देखी गई है, जिसमें कुल 28 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके कई कारण हैं जैसे कि कोविड के बाद वोलाटाइल प्रॉपर्टी की तुलना में लोगों का विश्वास अचल संपत्ति में बढ़ना और 2022 की पहली छमाही में 4 फीसदी से कम रेपो रेट का होना, कमर्शियल लेंडर्स की उधार लेने और उधार देने की क्षमता में वृद्धि के कारण इंटरेस्ट रेट कम होना और वित्तीय प्रणाली में तरलता की वृद्धि इत्यादि।