यूपी में नए लाइसेंस पर एनजीटी ने खड़े किए सवाल, नई प्लाइवुड यूनिट के मषीनों के आर्डर रुक

person access_time   4 Min Read 03 June 2019

उत्तर प्रदेश में प्लाइवुड समेत लकड़ी आधारित उद्योगों की स्थापना के लिये हाल ही में जारी किये गये लाइसेंसों को लेकर उद्यमी, एक बार असमंजस की स्थिति में फंस गये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लकड़ी आधरित विभिन्न तरह के उद्योगों के लिये 8 वर्गों में जारी किये गये लाइसेंसों की प्रक्रिया पर नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) ने कुछ बड़े सवाल खड़े किये है। एनजीटी ने यूपी वन विभाग को इसके लिये नोटिस जारी कर जबाब मांगा है। एक याचिका पर सुनवाई के बाद एनजीटी द्वारा उठाये गये गंभीर सवालों से अब यह लगभग साफ हो गया है कि राज्य में लकड़ी आधारित नई इकाईयों की स्थापना अब अदालती प्रक्रिया के पूरे होने के बाद ही संभव हो सकेगी। यह भी साफ है कि एनजीटी द्वारा सरकारी प्रक्रिया पर उठाये गये सवालों के बाद से उन उद्यमियों को सबसे बड़ा झटका लगा है, जो लाइसेंस प्राप्त करने के बाद राज्य में संबंधित उद्योग स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे और इसके लिये भारी निवेश करने में जुटे हुए थे।

इस संबंध में प्लाई रिपोर्टर संवाददाता से बातचीत करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक, श्री एम.पीं. सिंह, ने कहा कि यह मामला डीएफओ कोर्ट सेल द्वारा देखा जा रहा है। सरकार की ओर से सरकारी वकीलों द्वारा कोर्ट में इसकी पैरवी की जानी है और जबाव दिया जाना है। संबंधित अधिकारी ही इस पर कार्य को कर रहे हैं, चूंकि यह एक अदालती मामला है, इसलिये इस बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं कह सकते है। शासन के जो वकील इसे देख रहे हैं, वही इस पर उचित प्रतिक्रिया दे सकेंगे और शासन का पक्ष उचित तरीके से कोर्ट में रख सकेंगे। श्री सिंह ने कहा कि शासन कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा, लेकिन कोर्ट का क्या निर्णय होगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि जो लाइसेंस जारी हो चुके है उससे संबंधित आगे की प्रक्रिया भी सरकार द्वारा की जा रही है।

नये उद्योगों की स्थापना में असमय खड़ी हुई इस परेशानी और उद्यमियों पर इसके प्रभाव को लेकर प्लाई रिपोर्टर ने इस इंडस्ट्री से जुड़े विभिन्न स्टेक होल्डर्स से बातचीत की और समूचे परिदृश्य को समझने का प्रयास किया। इस उद्योग से जुड़े अधिकतर विशेषज्ञों ने माना कि लाइसेंस प्राप्त कर चुके नये संभावित उद्यमियों को फिलहाल अपनी कार्य योजना रोक देनी चाहिये और सरकार व अदालत से मामले पर स्पष्ट निर्णय आने के बाद ही उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

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