वुड बेस्ड उद्योग के नए लाइसेंस पर यूपी सरकार के जवाब से एनजीटी संतुप्ट नहीं, एक महीने में कम्प्लायंस रिपोर्ट जमा करने का निर्देष

person access_time5 16 September 2019

राज्य में लकड़ी आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए जारी नए लाइसेंस पर यूपी के वन विभाग की हाई पावर कमेटी द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद, एनजीटी ने 06 अगस्त, 2019 को जारी अपने आदेश में यूपी राज्य को निर्देश दिया कि वह 1350 इकाइयों के संदर्भ में दिनांक 01.03. 2019 को जारी नोटिस की समीक्षा टीएन गोदावर्मन बनाम केंद्र सरकार के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का कड़ाई से अनुपालन करते हुए करें और एक महीने के भीतर कम्प्लायंस रिपोर्ट दाखिल करें।

एनजीटी ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया था और लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए जारी लाइसेंस की प्रक्रिया पर यूपी वन विभाग से रिपोर्ट मांगी थी। इस नोटिस में, एनजीटी ने उत्तर प्रदेश में उपलब्ध लकड़ी की मात्रा के लिए वन विभाग की प्रतिक्रिया भी मांगी थी। उत्तर प्रदेश राज्य के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की रिपोर्ट के अनुसार, वनों (टीओएफ) के बाहर पेड़ों की कुल उपलब्धता 96.80 फीसदी है, जबकि जंगल के अंदर के पेड़ केवल 3.20 फीसदी है।

एनजीटी द्वारा जारी आदेश के अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अनदेखी करते हुए, उत्तर प्रदेश राज्य ने पहले 31.10.2017 की अधिसूचना में छूट दी थी जिसे इस मामले पर सुनवाई में न्यायाधिकरण द्वारा खारिज कर दिया गया था और आदेश को दिनांक 11.09.2018 को अनुसूचित किया गया था। फिर भी, यूपी राज्य छूट के आधार पर आगे बढ़ी और लकड़ी आधारित उद्योगों के लिए गलत तरीके से लकड़ी की उपलब्धता को दिखाते हुए नए लाइसेंस प्रदान किये।

वर्तमान आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि छूट को समाप्त करने के प्रभाव को अनदेखा किया गया। इससे लकड़ी आधारित उद्योगों की आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई हो सकती है। दूसरी ओर, आवेदक के वकील ने नई इकाइयों के लिए लकडी की उपलब्धता का आंकड़ा दिनांक 17. 12.2015 की रिपोर्ट के अनुसार 65540 क्यू मीट्रिक टन बताया। एफएसआई द्वारा 08.01.2018 को दी गई रिपोर्ट के अनुसार, उपलब्ध लकड़ी 7,774,522 क्यू मीट्रिक टन थी।

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