नार्थ इंडिया में बंद हुई कई प्लाइवुड इकाई

Saturday, 28 December 2019

उत्तर भारतीय प्लाइवुड उद्योग ने 2019 में अपनी यात्रा के सबसे बुरे चरण का सामना किया। निर्माता इस पूरे वर्ष कई मोर्चों पर लड़ रहे थे। लकड़ी की बढ़ती कीमतें, लॉग्स की गुणवत्ता, ऑर्डर में गिरावट, खराब पेमेंट वसूली तथा टीम में अच्छे व कुशल सदस्यों की कमी, जैसे कई कमजोर पहलू है जिसका उत्तर भारत स्थित इकाइयों को सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, महंगी मार्केटिंग कॉस्ट, बिलिंग और टैक्स का अनुपालन और नगण्य बैंकिंग सहयोग के कारण कई साझेदार-संचालित फर्में जो कम पूंजी और कम मार्जिन पर चलती थी, के लिए समय बड़ा कठिन हो गया। परिदृश्य इतना पेचीदा था कि उत्तर की कई इकाइयाँ साझेदार बनाकर लोगों के बीच रहना चाहती थीं या बिक्री की पेशकश कर रहे थी।

यमुनानगर में भी परिदृश्य समान थी क्योंकि यहां भी अधिकतम इकाइयाँ ऐसी है जो अपनी लागत और लाभ का विश्लेषण वित्तीय वर्ष के अंत में करती हैं। स्थानीय स्रोतों और लकड़ी के व्यापारियों के अनुसार, लगभग 70 इकाइयां अपने अस्तित्व पर अनिश्चितता का सामना कर रही थीं, जबकि किराए पर चल रहे एक दर्जन प्लांट ने पहले ही उसके मालिकों को चाबी सौंप दी थी। प्लाइवुड इकाइयों को नुकसान हुआ क्योंकि कच्चे माल की लागत में तेज वृद्धि हुई और बाजार से प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण, इनके लिए ऑपरेटिंग मार्जिन माइनस में चले गए। यह बताया गया था कि कमजोर मांग के कारण वर्ष 2019 में क्षमता उपयोग औसतन 55 प्रतिशत तक गिर गया था, जबकि भुगतान वसूली साइकिल बैंकिंग व्यवस्था में सख्ती के चलते 120 दिनों तक बढ़ा गया था। प्लाई रिपोर्टर का अनुमान है कि मांग और तरलता की कमी के बावजूद, प्लाइवुड बाजार का आकार इस वर्ष 30,000 करोड़ तक पहुंच गया है, जिसमें असंगठित और मिड-सेगमेंट प्लेयर की बाजार हिस्सेदारी लगभग 85 फीसदी है।

Image
Ply Reporter
Plywood | Timber | Laminate | MDF/Particle Board | PVC/WPC/ACP

Ply Reporter delivers the latest news, special reports, and industry insights from leading plywood manufacturers in India.

PREVIOS POST
Laminate: Liner Becomes the Survival Anchor
NEXT POST
Organized Sector: Sales Grew, Margins fell