बाजार में बड़ी इन्वेंटरी, लैमिनेट इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा सवाल

person access_time3 22 June 2020

कोविड के लॉकडाउन के कारण डेकोरेटिव लैमिनेट उद्योगऔर व्यापार को झटका लगा है। पेमेंट में देरी और 1.0 मिमी व 0.8 मिमी के डेकोरेटिव केटेगरी के मेटेरियल की खराब लिफ्टिंग जाहिर तौर पर कई लैमिनेट उत्पादकों को बहुत मुश्किल में डाल रहा है। इन्वेंटरी इतनी अधिक है कि 70 प्रतिशत स्टॉकिस्ट के पास उनकी वर्तमान बिक्री का 8 गुना अधिक स्टॉक हैं। उद्योग के सूत्रों के अनुसार, मई के अंत तक पूरे लॉकडाउन अवधि के दौरान लगभग 10 फीसदी ही बकाया प्राप्त किया गया है। सरफेस रिपोर्टर मैगजीन के एक वेबिनार के दौरान, ग्रीनलैम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के एमडी श्री सौरभ मित्तल ने बताया कि हालाँकि बाजार खुल रहे हैं फिर भी सभी का अकाउंट ओवरड्यू है, क्योंकि पहले 40 दिनों के लाॅकडाउन से सभी का कलेक्शन जीरो है, इसलिए यह सभी के लिए एक चुनौती है और हमें सामूहिक रूप से व्यवसाय को पुनर्जीवित करना होगा।

पिछले एक वर्ष से प्लाई रिपोर्टर का विश्लेषण इंगित करता रहा है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स और कंपनी के डिपो में विशाल इन्वेंटरी के कारण लैमिनेट सेक्टर बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। कई निर्माताओं और उद्योग के स्टेक होल्डर द्वारा व्यापक रूप से इसे स्वीकार किया गया कि भारत में लैमिनेट की मासिक बिक्री के 6 से अधिक गुना, विशेष रूप से 1 मिमी केटेगरी में इन्वेंटरी है। 0.8 मिमी के उत्पादन में तेजी और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की बढ़ती संख्या के साथ, इस मोटाई की केटेगरी में भी एक बिल्डअप उभर रहा है। मई के महीने में ग्रामीण क्षेत्रों से काफी हद तक लाइनर शीट की मांग देखी गई।

उद्योग के लोगों से प्राप्त आकड़ों के अनुसार, मिड सेगमेंट, डेकोरेटिव लैमिनेट प्लांट मई के तीसरे सप्ताह से उत्पादन शुरू कर चुकी हैं और औसतन 8 घंटे काम कर मुश्किल से एक तिहाई क्षमता पर चल रही हैं। एक्सपोर्ट मार्केट से आने वाली स्थिर मांग की बदौलत ओर्गनइज्ड लैमिनेट प्लेयर अपनी यूनिट 40 प्रतिशत पर चला रहे हैं। डेकोरेटिव केटेगरी में मेरिनो, ग्रीनलैम, सेंचुरी लेमिनेट्स, स्टाइलैम, वर्गो आदि लीडिंग प्लेयर्स मई के पहले सप्ताह में मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दिये थे। यह भी बताया जा रहा है कि संगठित लैमिनेट ब्रांडों को मध्यम सेगमेंट प्लांट की तुलना में अच्छी पेमेंट मिली है। यह अनुमान है कि जून में और अधिक लैमिनेट प्लांट में काम शुरू होंगे, इसलिए यदि मंदी बरकरार रही तो कीमतें गिरने की बड़ी आशंका है।

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