एमडीएफ की मांग में तेजी से हो रहा सुधार

person access_time3 30 July 2020

अनलॉक के पहले चरण के बाद भारत में एमडीएफ की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। निर्माताओं से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें जून से ही अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एमडीएफ का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होने के चलते इसकी मांग बढ़ी है। ज्ञातव्य है कि 40 प्रतिशत से ज्यादा एमडीएफ का उपयोग फर्नीचर की तुलना में - अन्य सेक्टर जैसे गिफ्ट, पैकेजिंग, शू, खिलौने बनाने वाले, फोटो फ्रेम्स, ब्लैक बोर्ड, स्लेट, जाली, पीयू कोटिंग, पॉलिश, डेको पेंट, डेकोरेटिव, कार्ड बोर्ड, डेकोरेटिव शीट, डोर स्किन इत्यादि में होता हैं, जबकि बाकी 60 फीसदी फर्नीचर बनाने के लिए जैसे बेड, डाइनिंग टेबल, वार्डरोब, शटर, कार्केस, स्टडी टेबल, आदि में किया जाता है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकांश भारतीय यूनिट्स में कॉन्टिनियुअस लाइनें होती हैं जिन्हें चलाने में प्लाइवुड की तुलना में कम लेवर की आवश्यकता होती है, इसलिए वे सफलतापूर्वक क्षमता बढ़ाने और बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने में पर्याप्त सक्षम हैं। अनुमान है कि एमडीएफ मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स जून में ही अपनी उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत पार कर चुके हैं।

एमडीएफ उत्पादक भारत में आयात में गिरावट का भी लाभ ले रहे हैं। भारत में थीन एमडीएफ के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी की जांच शुरू होने से भी इन्हें मदद मिल रही है क्योंकि कई इम्पोर्टर्स और यूजर का झुकाव घरेलू एमडीएफ की ओर बढ़ा है। एमडीएफ कैटेगरी में उच्च घनत्व वाले मॉइस्चर रेसिस्टेंट बोर्ड की बढ़ती मांग भी एमडीएफ सेगमेंट के लिए बूस्टर का काम किया है क्योंकि किचन के शटर, कार्केस और अलमारी बनाने में उपयोग के लिए यह प्रमुख रूप से इकोनोमिकल ग्रेड प्लाइवुड के बाजार हिस्सेदारी ले रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय एमडीएफ सेक्टर जुलाई में प्री-कोविड सेल्स के 70 फीसदी तक पहुंच सकता है।

You may also like to read

shareShare article
×
×