रेजिन की कीमतें बढ़ने से डब्ल्यूपीसी/ पीवीसी बोर्ड 20 फीसदी मंहगें हुए

person access_time6 27 November 2020

पिछले छह महीनों से जैसा की प्लाई रिपोर्टर द्वारा इस लेख में चर्चा किया गया है, के अनुसार कई कारणों से 2 महीनों के भीतर पीवीसी रेजिन और अन्य कच्चे माल की क्रमिक मूल्य वृद्धि के कारण डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड की कीमतों में 20 प्रतिशत तक अप्रत्याशित उछाल आया है। पीवीसी रेजिन की कीमतें 75रू से बढ़कर 120रू प्रति किलोग्राम हो गई। पीवीसी रेजिन डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड, पीवीसी एज बैंड टेप और पीवीसी लेमिनेट, पीवीसी डोर और डोर फ्रेम बनाने के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है। बाजार इस स्थिति का सामना कैसे कर रहा है और निर्माताओं की राय क्या है? इस पर प्रस्तुत है एक संक्षिप्त रिपोर्ट।

कच्चे माल, पीवीसी रेजिन, और इनकी आपूर्ति में कमी

उद्योग से प्राप्त विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार, पीवीसी रेजिन की कीमत लगातार बढ़ रही है और पिछले 4 महीनों में 40 फीसदीतक बढ़ गई है, जिसने डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड बनाने के लागत खर्च को बुरी तरह प्रभावित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मई की दूसरी छमाही के बाद पीवीसी रेजिन की कीमतों में तेजी का रुख देखा गया। वृद्धि लगातार हुई, जो 21 अक्टूबर तक 45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है इसलिए इसका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण है।

उद्योग का कहना है कि रिलायंस भारत में पीवीसी रेजिन का एक प्रमुख घरेलू उत्पादक है, साथ ही 3 अन्य निर्माता जैसे डीसीडब्ल्यू, फेनोलेक्स और श्रीराम के अलावा ताइवान, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और अफ्रीका से इसे आयात भी किया जाता है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सप्लाई में गड़बड़ी पीवीसी रेजिन की कीमत वृद्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है।

पीवीसी रेजिन और अन्य कच्चे माल की कीमत में हाल ही में अचानक वृद्धि ने उत्पादकों में खलबली मचा दी है। डीलर मूल्य में वृद्धि को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जबकि - कच्चे माल के विक्रेता नुकसान उठाकर उत्पाद को बेचने को तैयार नहीं हैं। अब पीवीसी फोम बोर्ड के निर्माता बीच में फंस गए हैं।

इंडोउड के प्रबंध निदेशक श्री बीएल बेंगानी, जो एनएफसी बोर्ड का उत्पादन करते है। एनएफसी बोर्ड, बाजार में उपलब्ध पीवीसी फोम बोर्ड या डब्ल्यूपीसी उत्पादों से बिलकुल अलग है। उन्होंने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि भारत फोम बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग के लिए फिटिंग ग्रेड पीवीसी रेजिन का शुद्ध आयातक है। ज्यादातर भारतीय आयातकों ने कोविड-19 के कारण अपनी खरीद छोड़ दिया था, इसी बीच, प्रमुख निर्यात कंपनियों ने वार्षिक रखरखाव के कारण भी बदलाव किए। इसलिए, भारत में पीवीसी रेजिन की भारी कमी थी। यही पीवीसी रेजिन के मूल्य में वृद्धि का प्राथमिक कारण था।

अमूल्या माइका डब्ल्यूपीसी के एमडी श्री राकेश अग्रवाल ने पीवीसी रेजिन के घरेलू उत्पादकों को दोषी ठहराया और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कमी है, इसलिए रिलायंस स्थिति का एकाधिकार जमा रहा है।

हार्डी स्मिथ के श्री हार्दिक पांचाल ने इसका कारण बताते हुए कहा कि भारत में पीवीसी रेजिन की कीमतें लॉकडाउन के बाद से ही लगातार बढ़ रही हैं और अब तक कुल मिलाकर 55 फीसदी की वृद्धि हुई है। रेजिन 75 रू प्रति किलोग्राम से 115 रुपये तक पहुंच गया है। लॉकडाउन के बाद फॉर्मोसा को अपने दो इकाइयों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना पड़ा। उन्होंने पीवीसी सप्लाई के लिए 29 सितंबर को फोर्स मेजर घोषित किया। इसकी वजह से पीवीसी की वैश्विक आपूर्ति काफी हद तक प्रभावित हुई। इसकी वजह से पीवीसी-डब्ल्यूपीसी बोर्ड, डोर और डोर फ्रेम जैसे तैयार उत्पाद की लागत प्रभावित हुई है। स्थानीय निर्माता भी कीमतें बढ़ा रहे है और सप्लाई को रोक रखा है।

अटलांटिक पॉलिमर्स के श्री नरेन ठक्कर का कहना है कि भारत अपनी पीवीसी की खपत का 65 प्रतिशत से अधिक आयात करता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में तेजी देखी जा ही है। अभी कच्चे माल की भारी कमी है क्योंकि भारतीय आयातकों ने कोविड-19 के कारण बुकिंग नहीं की थी। समुद्री माल भाड़ा भी दोगुना बढ़ गया जिससे कच्चे माल की लागत प्रभावित हुई। वर्तमान बाजार परिदृश्य में, यहां तक कि भारतीय निर्माता जो मांग का 35 फीसदी पूरा करते हैं वे भी कीमतों में वृद्धि का फायदा उठा रहे है।

भारत फोम बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग के लिए फिटिंग ग्रेड पीवीसी रेजिन का शुद्ध आयातक है। ज्यादातर भारतीय आयातकों ने कोविड-19 के कारण अपनी खरीद छोड़ दिया था, इसी बीच, प्रमुख निर्यात कंपनियों ने वार्षिक रखरखाव के कारण भी बदलाव किए। इसलिए, भारत में पीवीसी रेजिन की भारी कमी थी। यही पीवीसी रेजिन के मूल्य में वृद्धि का प्राथमिक कारण था।

डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड की कीमतों में अबतक का सबसे बड़ा उछाल 

घरेलू डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड उत्पादक दो महीनों में लगातार दो बार कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हुए है। एलस्टोन डब्ल्यूपीसी के श्री दीपांकर गर्ग का मानना है कि कोविड के कारणडब्ल्यूपीसी उद्योग ने कठीन परिस्थितियों का अनुभव किया है। सबसे पहले, लॉकडाउन के बाद मांग में कमी और उसके बाद जैसे ही स्थिति में सुधार शुरू हुए, कच्चे माल और उपकरणों की लागत में अचानक वृद्धि देखी गई, जो मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोविड के प्रतिबंधों के कारण माल ढुलाई की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। मालभाड़े में घरेलू स्तर पर वृद्धि ने भी कीमतें बढ़ाने में अपना योगदान दिया। इस वृद्धि का एक मुख्य कारण क्वालिटी पॉलिमर में मूल्य वृद्धि भी है। एलस्टोन विश्व स्तरीय क्वालिटी और सर्विस प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए कीमत बढ़ाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था। तैयार उत्पाद पर डब्ल्यूपीसी की कीमतों में कुल 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।

श्री राकेश अग्रवाल भी इसका समर्थन करते हैं और 20 प्रतिशत से अधिक वृद्धि को सही मानते हैं। सेंचुरी पीवीसी के श्री राजेंद्र शाह ने कहा कि मूल्य वृद्धि के पीछे प्राथमिक कारण पीवीसी ग्रेनुएल्स की लागत में तेज वृद्धि है, जो पीवीसी बोर्ड के कम्पोजिशन का बड़ा हिस्सा होता है। यह 3-4 महीनों में 40 फीसदी तक बढ़ गया है। वे भी इसके चलते 20 फीसदी से अधिक वृद्धि को उचित मानते हंै।

फ्लोरेस्टा के निदेशक श्री विनय अग्रवाल का कहना है कि मुख्य कच्चे माल की लागत की वजह से उत्पाद लागत पर 100 फीसदी असर पड़ेगा, घरेलू बाजार में कमी के कारण पीवीसी रेजिन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

इकॉस्ट के निदेशक श्री अंकुर होरा कहते हैं कि इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं, क्योंकि आयातकों ने बाजार में कमी पैदा की है। अब स्थानीय बाजार में माल की कमी है, इसलिए कीमत उछलकर 120 रूपए हो गई। दूसरी बात यह है कि दो महीने पहले पीवीसी कंपनियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माल की अनुपलब्धता के कारण सौदे निरस्त कर दिए जाने कारण फोर्स मेजर घोषित किया गया था। इसके अलावा कच्चे माल की आवक, साथ ही ग्राहकों को भेजने के लिए लॉजिस्टिक कॉस्ट में औसतन लगभग 4 फीसदी का अंतर देखा गया। तीसरा कारण सभी तय लागत अधिक और पिछले स्तर से उत्पादन कम होने से उत्पादन लागत बढ़ी है। चैथा अन्य प्रोसेसिंग जैसे फ्यूमिंग एजेंट, लुब्रिकेंट्स के चलते भी 8 से 10 प्रतिशत तक कीमत में वृद्धि देखी गई। ये चार कारण हैं जिसने न केवल पीवीसी बोर्ड की कीमत को प्रभावित किया है, बल्कि पीवीसी डोर, डोर फ्रेम, वॉल पैनल आदि की कीमत को भी प्रभावित किया है। उन्होंने कीमत में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि की, और लगभग यही प्रभाव हर निर्माताओं पर पड़ा है, बशर्ते वे कैल्शियम फिलर मिलकर गुणवत्ता में गिरावट नहीं की हो।

रेजिन 75 रू प्रति किलोग्राम से 115 रुपये तक पहुंच गया है। लॉकडाउन के बाद फॉर्मोसा को अपने दो इकाइयों को अनिश्चित काल के लिए बंद करना पड़ा। उन्होंने पीवीसी सप्लाई के लिए 29 सितंबर को फोर्स मेजर घोषित किया। इसकी वजह से पीवीसी की वैश्विक आपूर्ति काफी हद तक प्रभावित हुई। इसकी वजह से पीवीसी-डब्ल्यूपीसी बोर्ड, डोर और डोर फ्रेम जैसे तैयार उत्पाद की लागत प्रभावित हुई है। स्थानीय निर्माता भी कीमतें बढ़ा रहे है और सप्लाई को रोक रखा है।

पीवीसी रेजिन - आगे का परिदृश्य 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई के परिदृश्य को देखते हुए, पीवीसी रेजिन की कीमतों में और 3 महीनों तक कमी आने की सम्भावना नहीं दिख रही है। श्री बी एल बेंगानी का कहना है कि पीवीसी रेजिन और अन्य कच्चे माल की कीमत में हाल ही में अचानक वृद्धि ने उत्पादकों में खलबली मचा दी है। डीलर मूल्य में वृद्धि को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जबकि - कच्चे माल के विक्रेता नुकसान उठाकर उत्पाद को बेचने को तैयार नहीं हैं।

अब पीवीसी फोम बोर्ड के निर्माता बीच में फंस गए हैं। यह बहुत कठिन समय है। हालाँकि यह सब गुजर जाएगा। उनका मानना है कि दिसंबर/जनवरी शिपमेंट में पीवीसी की कीमतों में कुछ हद तक कमी आएगी और थोड़ी बहुत मौसमी वृद्धि के साथ स्थिर हो जाएगी। श्री राकेश अग्रवाल का कहना है कि सप्लाई सामान्य हो जाएगा यह निश्चित नहीं है। हो सकता है अगले साल के शुरुआत में हो जाए क्योंकि बंद प्लांट का संचालन शुरू हो जाएगा। श्री शाह का मानना है कि चैथी तिमाही से स्थिति में सुधार हो सकता है। अभी के पीवीसी की कीमत उद्योग के लिए ठीक नहीं है। इसी तरह श्री विनय अग्रवाल भी जनवरी 2021 के अंत तक स्थिति को सामान्य होने की उम्मीद करते हैं।

श्री हार्दिक पांचाल फॉर्मोसा फैसिलिटी के जल्द से जल्द फिर से शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि घोषित फोर्स मेजर की वजह से कीमतें सामान्य होने की भविष्यवाणी करना थोड़ा मुश्किल है। उन्हें उम्मीद है कि दीपावली या दिसंबर से पहले स्थिति सामान्य हो जाएगी। श्री अंकुर होरा को स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है क्योंकि पीवीसी की कीमत अगले साल जनवरी तक कम होने वाली नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि फरवरी 2020 तक कीमत में नरमी आ जाएगी। श्री नरेन ठक्कर का भी मानना है कि जनवरी 2021 से पहले कभी भी स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं है क्योंकि नवंबर शिपमेंट के लिए नई मात्रा का आवंटन सीमित हैं और कीमतें भी उच्च अंतर पर हैं।

उद्योग को बाजार का साथ मिलना जरूरी ह

बोर्ड के निर्माताओं का कहना है कि पीवीसी रेजिन मुख्य कच्चा माल है, जिसकी कीमत अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है, जो इस क्षेत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। वे कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर हैं और उन्होंने इसे स्वीकार किये जाने की मांग की है। श्री राकेश अग्रवाल का कहना है कि डीलरों को पैनिक बाइंग नहीं करनी चाहिए। अब, उन्हें बढे़ रेट के लागू होने की संक्रमण काल का कम लाभ मिल सकता है, लेकिन स्टॉक का बोझ अधिक होगा। इसी तरह डीलरों को श्री शाह का संदेश यह है कि पैनिक होर्डिंग न करंे और बिना अच्छा मार्जिन बेचना नहीं है। कुछ कम गुणवत्ता वाले स्थानीय निर्माता कॉस्ट कम करने के लिए संरचना बदल सकते हैं। लेकिन इससे क्वालिटी पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए थोड़े फायदे के लिए कम कीमत के जाल में ना फसें।

श्री राकेश अग्रवाल का कहना है कि डीलरों को पैनिक बाइंग नहीं करनी चाहिए। अब, उन्हें बढे़ रेट के लागू होने की संक्रमण काल का कम लाभ मिल सकता है, लेकिन स्टॉक का बोझ अधिक होगा। इसी तरह डीलरों को श्री शाह का संदेश यह है कि पैनिक होर्डिंग न करंे और बिना अच्छा मार्जिन बेचना नहीं है। कुछ कम गुणवत्ता वाले स्थानीय निर्माता कॉस्ट कम करने के लिए संरचना बदल सकते हैं। लेकिन इससे क्वालिटी पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए थोड़े फायदे के लिए कम कीमत के जाल में ना फसें।

श्री हार्दिक पांचाल ने निर्माताओं द्वारा अनुरोध किये गए मूल्य वृद्धि को स्वीकार करने का आग्रह किया और इस स्थिति के लिए समर्थन मांगा है। उन्हें यकीन है कि भारतीय डीलर इस सस्टेनबल उत्पाद के लिए सहयोग करेंगे, क्योंकि केवल उन्होंने ही पीवीसी/डब्ल्यूपीसी के इस विशाल बाजार का निर्माण किया है। इसी तरह, श्री अंकुर होरा भी पीवीसी निर्माताओं को साथ देने के लिए अपील करते हैं, क्योंकि पीवीसी, जो एक या दो महीने के लिए क्रेडिट पर उपलब्ध था, आज एडवांस पेमेंट पर भी उपलब्ध नहीं है।

श्री विनय अग्रवाल कहते हैं कि यह एक मुश्किल समय है। वह सभी डीलरों और उपयोगकर्ताओं से अनुरोध करते हैं कि वे मूल्य वृद्धि से घबराएं नहीं, स्थिति बहुत जल्द सामान्य हो जाएगी तबतक वे सभी डीलरों से सहयोग करने का अनुरोध करते है। डीलरों और उपयोगकर्ताओं के लिए श्री ठक्कर का संदेश यह है कि वे ब्रांडेड उत्पादों को ना छोड़ें विशेष रूप से इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, क्योंकि वे मानक गुणवत्ता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि मूल्य संवेदनशील होने के कारण बाजार में उपलब्ध उत्पाद कि गुणवत्ता में कमी हो सकती है। साथ ही, उनकी सलाह है कि वे अपनी खरीद की योजना पहले बना लें और पर्याप्त सुरक्षा स्टॉक बनाए रखें क्योंकि भारी कमी के कारण मांग अधिक है। साथ ही निर्माताओं को समय पर भुगतान कर समर्थन जारी रखें क्योंकि यह वह समय है जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड के बाजार का भविष्य 

श्री हार्दिक पांचाल का कहना है कि पीवीसी बेस्ड डब्ल्यूपीसी देश में एक मान्यता प्राप्त बाजार है और अब निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में इसके हजारों उपयोगकर्ता हैं। उत्पाद में दीमक, बोरर, पानी और आग के प्रति अनूठे गुणों की विशेषताएं हैं। हमें इसके आस-पास कोई विकल्प नहीं दिखता, इसलिए मांग में कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन हाँ, निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं से सप्लाई में कमी के कारण कुछ स्विच ओवर हो सकते हैं। इसके चलते कुछ अन्य उत्पादों को जगह मिल सकती है। श्री राकेश अग्रवाल को भरोसा है कि उत्पाद बाजार में परिपक्व हो गया है। हर कोई अनुमान लगा रहा ह

ब्रांडेड उत्पादों को ना छोड़ें विशेष रूप से इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, क्योंकि वे मानक गुणवत्ता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, क्योंकि मूल्य संवेदनशील होने के कारण बाजार में उपलब्ध उत्पाद कि गुणवत्ता में कमी हो सकती है। साथ ही, उनकी सलाह है कि वे अपनी खरीद की योजना पहले बना लें और पर्याप्त सुरक्षा स्टॉक बनाए रखें क्योंकि भारी कमी के कारण मांग अधिक है। साथ ही निर्माताओं को समय पर भुगतान कर समर्थन जारी रखें क्योंकि यह वह समय है जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

कि यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रहने वाली है। इसलिए, अन्य उत्पादों द्वारा प्रतिस्थापन की संभावना कम से कम है। हालाँकि, कुछ नए उपयोगकर्ता ट्रायल स्थगित कर सकते हैं। श्री विनय अग्रवाल ने कहा कि अब उत्पाद की लागत में अचानक वृद्धि के कारण, ओईएम जैसे वाणिज्यिक ग्राहक किसी अन्य वैकल्पिक उत्पाद का विकल्प चुन सकते हैं, लेकिन बाजार में वास्तविक डब्ल्यूपीसी का कोई विकल्प नहीं है, यदि अंतिम उपयोगकर्ता गुणवत्तापूर्ण उत्पाद चाहता है तो वह केवल रियल डब्ल्यूपीसी ही अपनाएगा। जबकि, श्री शाह का अनुमान है कि अगर यह कीमत स्थिर रहता है तो इस कैटेगरी के ग्रोथ पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

श्री नरेन ठक्कर ने कहा कि यह एक चिंता का विषय था साथ ही उन्होंने सोचा था कि इससे वैकल्पिक उत्पादों को जगह मिल जाएगी लेकिन वास्तविकता पूरी तरह से इसके उलट है।

उन्होंने मांग में वृद्धि देखी है। उनकी कंपनी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर रहा क्योंकि इस उत्पाद मांग बढ़ रही है। इसके कई नए संयंत्र इंस्टालेशन फेज में हैं जो सप्लाई में सुधार करेंगे। सरकार की ओर से आत्मनिर्भार भारत की पहल ने भारत में निर्मित बोर्ड के लिए ग्राहकों की वरीयता का सहयोग मिला है जिसके कारण भारत में निर्मित पीवीसी/डब्ल्यूपीसी बोर्ड का बाजार हिस्सेदारी बढ़ी है, जो पहले चीन से आयातित बोर्ड के लिए थी। और इसके अलावा, अभी भी कोई उत्पाद नहीं है जोइस प्राइस पॉइंट पर बोरर एंड टरमाइट प्रतिरोध, जल प्रतिरोधी और अग्निरोधी गुणों की सभी विशेषताएं प्रदान करते हों। इन सभी कारणों से बाजार पीवीसी/डब्ल्यूपीसी बोर्ड के भविष्य को लेकर काफी आशान्वित है।

रिलायंस भारत में पीवीसी रेजिन का एक प्रमुख घरेलू उत्पादक है, साथ ही 3 अन्य निर्माता जैसे डीसीडब्ल्यू, फेनोलेक्स और श्रीराम के अलावा ताइवान, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और अफ्रीका सेइसे आयात भी किया जाता है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सप्लाई में गड़बड़ी पीवीसी रेजिन की कीमत वृद्धि का मुख्य कारण माना जा रहा है।
 

श्री अंकुर होरा कहते हैं कि यदि किसी उत्पाद की कीमत 20 फीसदी बढ़ जाती है, तो निश्चित रूप से वैकल्पिक उत्पादों को लाभ मिलता है, चाहे कोई भी प्रोडक्ट कटेगरी हो। सबसे महत्वपूर्ण गुणवत्ता और विशेषताएं हैं जो ग्राहकों को पसंद आती हैं क्योंकि उनमें से कई दीमक/बोरर प्रूफ मांगते हैं, या एक्सटेरियर के लिए उन्हें केवल एक्सटेरियर के अनुकूल ेटेरियल चाहिए। ग्रिल्स में इसका कोई विकल्प नहीं है, इसलिए निश्चित रूप से इन एप्लीकेशन में कोई समस्या नहीं है।

डोर फ्रेम में भी लकड़ी के फ्रेम जिसमें कई दिक्क्तें पैदा होती है, की तुलना में इसके साथ कोई समस्या नहीं है। इसलिए, अगर इसके कीमतों में 15 फीसदी का अंतर है, तो भी लोग अभी भी पेमेंट करने को तैयार हैं, क्योंकि इसका विकल्प, जो पेश किया जा रहा है, वह बहुत विश्वसनीय नहीं है, और इसमें बहुत सारी चुनौतियां हैं जो बिल्डरों को समझ में आ रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि यह सीपीडब्ल्यूडी, पीडब्ल्यूडी, आदि जैसे कई विभागों के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है, इसलिए कोई मौका नहीं है कि वे इसके स्थान पर दूसरे विकल्पों का उपयोग करेंगे

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