उद्योग जगत की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, कांडला, चेन्नई, मैंगलोर, विषाखापत्तनम, कोलकाता बंदरगाह स्थित प्लाइवुड इकाइयों को उरुग्वे, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना आदि से अच्छी मात्रा में यूकेलिप्टस और पाइन लॉग मिलने लगे हैं।
वयतनाम, तंजानिया, लाओस, युगांडा, ब्राजील, नेपाल आदि से कोर विनियर आने से प्लाइवुड उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति में सुधार हुआ है। गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश में स्थित प्लाइवुड उद्योग प्रमुख रूप से आयातित कोर विनियर का उपयोग कर रहे हैं। ये कोर विनियर उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा, यूपी, यूटी और बिहार में स्थित प्लाइवुड कारखानों तक पहुंच गए हैं।
आयातित कोर विनियर की बढ़ती आपूर्ति से प्लाइवुड इकाइयों को मदद मिल रही है, जो फिलहाल उद्योगों के लिए राहत की बात है। विनियरिंग के लिए लकड़ी के व्यवहार्य विकल्पों और सुस्ती के लंबे दौर के बाद, परिदृश्य प्लाइवुड इकाइयों के लिए सकारात्मक हो गया है, जहां वे कच्चे माल की इनपुट का प्रबंधन कर रहे हैं, जिसकी कीमतें घरेलू स्तर पर बढ़ गई हैं। गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, यूपी में स्थित प्लाइवुड इकाइयों को लकड़ी की ऊंची कीमतों और बाधित आपूर्ति श्रृंखला के कारण अपने कोर विनियर के लिए कच्चे माल की उपलब्धता पर भारी दबाव महसूस हुआ था। यहां तक कि केरल, मैंगलोर स्थित प्लाईवुड निर्माण इकाइयां भी स्थानीय विनियर की उच्च कीमत के कारण आयात के अवसर तलाश रही हैं।
आयातित लकड़ी के व्यवहार्य होने और प्लाईवुड और दरवाजे बनाने के लिए कोर विनियर विकल्पों की उपलब्धता के साथ, बंदरगाह आधारित पैनल उद्योग गति और उत्पादन में वापस आ गए हैं। उद्योग जगत की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, कांडला, चेन्नई, मैंगलोर, विषाखापत्तनम, कोलकाता बंदरगाह स्थित प्लाइवुड इकाइयों को उरुग्वे, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना आदि से अच्छी मात्रा में यूकेलिप्टस और पाइन लॉग मिलने लगे हैं। इसके अलावा वियतनाम, तंजानिया, ब्राजील आदि से आयातित कोर विनियर की भी अच्छी मात्रा उनके पास पहुंच रही है।