कांडला, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, केरल स्थित मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन की आशंकाओं के कारण लेवर अपने घर व् कस्बों में लौट रहे थे। इन जगहों से आधे लेवर के चले जाने के अलावा कोविड 2.0 के डर के बाद मेटेरियल की सप्लाई और उत्पादन में तेज गिरावट दर्ज की जा रही है। यह समाचार लिखे जाने तक, इन कारखानों में बाकी बचे लेवर की मदद से उत्पादन जारी है, जो सामान्य उत्पादन का 40 फीसदी ही है। हालांकि, ज्यादातर लेवर अपने घर चले गए, लेकिन कुछ इस बार, मुख्य रूप से बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल में कोविड महामारी के तेजी से फैलने के कारण फैक्ट्रियों में ही रहना ठीक समझा।
पिछले कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि उत्तर भारत में फसल की कटाई और शादियों के मौसम के कारण मार्च के बाद लेवर वापस जाते है। होली के बाद, प्लाइवुड मिलों में उत्पादन सामान्य से 15 से 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है, लेकिन बाजार की मांग वैसा ही रहती है। इस बार, कोविड 2.0 ने मांग के साथ-साथ पेमेंट को भी प्रभावित किया है। इस तरह, छोटे और मंझोली प्लाइवुड और लेमिनेट कंपनियों के सभी कामकाज प्रभावित हुए हंै। कुछ प्रमुख राज्यों जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, एमपी, राजस्थान आदि में लॉकडाउन के चलते पूरा मार्केट सेंटीमेंट प्रभावित हुआ है।
बाजार का परिदृश्य 2020 में कोविड काल की स्थिति के विपरीत, ग्रामीण क्षेत्रों, टियर 2 और टियर 3 शहरों की स्थिति महानगरों से अलग नहीं है। कोविड बहुत तेजी से फैल रहा है और मृत्यु दर भी ज्यादा है। इस बार कम उम्र के लोग भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर स्वास्थ्य सेवा को देखते हुए, कई लेवर, उनके परिवार, बढ़ई और ठेकेदार इस बार शहरों में ही हैं। इसके अलावा, कमजोर वित्तीय स्थिति और कमाई का दबाव के चलते साइटों पर काम काज जारी है, इसलिए जब तक सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया जाता मांग बरकरार रहने की उम्मीद है। अभी मांग और आपूर्ति की स्थिति कारखाने में कमउत्पादन और बाजार में कम मांग के साथ संतुलन की स्थिति में है। मजदूर तब तक काम करते रहने को तैयार हैं जब तक कि महामारी की स्थिति बहुत गंभीर नहीं हो जाती।
लेवर के कॉन्ट्रैक्टर का कहना है कि मिड सेगमेंट प्लाइवुड इंडस्ट्री में इस बार 2-3 महीने तक लेवर की कमी रह सकती हैं, क्योंकि मृत्यु दर ज्यादा होने की वजह से हर व्यक्ति भयभीत है, जो कोविड 2020 के पहले लहर के दौरान नहीं था। वुड पैनल ट्रेड एसोसिएशन का कहना है कि स्थिति छोटे और मंझोली प्लाइवुड इकाइयों के लिए चुनौतीपूर्ण है, जब तक कि मृत्यु और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे का डर नियंत्रण में नहीं आता।