हरियाणा सरकार ने बहुप्रतीक्षित नई ‘करनाल-यमुनानगर‘ रेल लाइन परियोजना को मंजूरी दे दी है, जो दोनों जिलों को सीधे रेल संपर्क से जोड़ेगी। इन जिलों के लोग इस क्षेत्र में औद्योगिक और व्यावसायिक विकास से काफी लाभान्वित होंगे। अभी सड़क से होने वाला आवागमन बहुत आसान और तीव्र नहीं है क्योंकि करनाल से यमुनानगर तक सड़क काफी संकरा है और परिवहन के साधन भी बहुत अधिक नहीं हैं।
इसके बारे में बात करते हुए श्री जेके बिहानी, अध्यक्ष, हरियाणा प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एचपीएमए) ने कहा, “रेल कनेक्ट हमारे ट्रेवेल टाइम को कम करेगा। हालाँकि प्लाइवुड उद्योग में अभी रेल के माध्यम से सीधा परिवहन नहीं होता है, लेकिन यदि रेल संपर्क स्थापित हो जाता है तो भविष्य में इसका फायदा मिलेगा। शुरु में तो यात्रियों को ही ज्यादा फायदा होगा। यह स्वीकृत लाइन हरियाणा के कलानौर से होकर गुजरेगी, इसलिए भविष्य में यह हमें निर्माणाधीन ईडीएफसी (ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) प्रोजेक्ट लाइन जो लुधियाना, पंजाब से कोलकाता, पश्चिम बंगाल के पास दानकुनी तक जाएगी के साथ लिंक होने के बाद हमारे उदयोग को लाभान्वित कर सकती है।‘‘ ‘
करनाल-यमुनानगर‘ रेल लाइन परियोजना हरियाणा सरकार और रेल मंत्रालय का संयुक्त उपक्रम है, जिस पर लगभग 883. 78 करोड़ रुपये की लागत आएगी। प्रस्तावित रेलवे लाइन, जिसकी लंबाई 64.6 किमी है दोनों शहरों के बीच सबसे छोटा लिंक प्रदान करेगी और इसका सीधा संपर्क हरिद्वार से भी होगा। अधिकारियों ने कहा कि परियोजना से प्रमुख फायदों में प्रत्यक्ष और तेज कनेक्टिविटी, यात्रियों को तेज परिवहन की सुविधा और कृषि उत्पादों, प्लाईवुड और लकड़ी, औद्योगिक उत्पादों, धातु उद्योग, उर्वरक आदि के लिए इंद्री, लाडवा और रादौर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से बाजार तक तेजी से पहुंच बनाना शामिल होगी।
यह परियोजना चार साल में चालू हो जाएगी। अब तक दोनों जिलों के बीच रेल संपर्क अंबाला के माध्यम से उपलब्ध है जो लगभग 120 किमी है। करनाल से यमुनानगर तक नई रेलवे लाइन बिछाए जाने पर 57 किमी कम हो जाएगा। जो लोग हरिद्वार जाना चाहते हैं, उनके लिए नया मार्ग आसान और किफायती आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा। इस रेलवे लाइन के बनने से कारोबार को भी काफी फायदा होगा।